गुरुग्राम: पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने प्रदेश के पांच न्यायिक अधिकारियों की अवमानना याचिका पर हरियाणा के मुख्य सचिव सहित दो अधिकारियों को नोटिस जारी किया है। कोर्ट ने दोनों अधिकारियों से 21 मार्च तक जवाब मांगा है।
अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट गुरुग्राम मनोज कुमार राणा और अन्य अधिकारियों ने नियुक्तियाें को लेकर हाई कोर्ट के 20 दिसंबर के आदेश का पालन न करने पर अवमानमा याचिका दायर की है। इस मामले में जस्टिस राजबीर सहरावत की बेंच ने राज्य के मुख्य सचिव संजीव कौशल और गृह एवं न्याय विभाग के सचिव टीवीएसएन प्रसाद को नोटिस जारी कर 21 मार्च तक जवाब मांगा है।
अपनी याचिका में अधिकारियों ने हाई कोर्ट के 20 दिसंबर के आदेश की जान-बूझकर अवज्ञा करने का आरोप लगाया है। कोर्ट ने कहा कि न्यायिक अधिकारियों की नियुक्ति पर सिफारिशें राज्य सरकार के लिए बाध्यकारी हैं। साथ ही निर्देश दिया कि जिन 13 अधिकारियों को अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीशों (एडीजे) के रूप में नियुक्ति के लिए सिफारिश की गई थी, उनकी नियुक्ति दो सप्ताह के भीतर की जाए। विचाराधीन आदेश उन याचिकाओं पर आया, जिनमें हाई कोर्ट की सिफारिशों को स्वीकार नहीं करने के सरकार के कदम को चुनौती दी गई थी। हाई कोर्ट से फिर से नाम भेजने के लिए कहा गया था।
सरकार का विचार था कि केंद्र से प्राप्त कानूनी राय के अनुसार हाई कोर्ट ने 30 नवंबर 2021 के एक प्रस्ताव के माध्यम से इन रिक्तियों को भरने के लिए मानदंड में संशोधन किया है। नियमों में संशोधन के लिए परामर्श की आवश्यकता अनिवार्य है। इसमें परामर्श नहीं हुआ था, इसलिए सरकार उच्च चयन समिति की सिफारिशों को स्वीकार करने के लिए बाध्य नहीं थी।
फरवरी 2023 में एडीजे के लिए 13 नामों की थी सिफारिश
फरवरी 2023 में एडीजे के रूप में नियुक्ति के लिए हाई कोर्ट ने 13 नामों की सिफारिश की गई थी। सरकार ने नामों को अधिसूचित नहीं किया। इसे लेकर 6 सितंबर, 2023 को कुछ न्यायिक अधिकारियों ने न्यायिक पक्ष में हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और याचिकाएं दायर की गईं। इस पर 20 दिसंबर को दो सप्ताह के भीतर अनुशंसित अधिकारियों की नियुक्ति के निर्देश के साथ निस्तारण किया गया था। याचिका के अनुसार, सरकार के साथ-साथ कुछ असफल उम्मीदवारों ने हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। 13 फरवरी, 2024 को उपरोक्त सभी याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी गईं, लेकिन उसके बाद भी नियुक्तियों को अधिसूचित नहीं किया गया है।
जनवरी 2020 से हरियाणा में नहीं हुई कोई पदोन्नति
जनवरी 2020 से हरियाणा में अतिरिक्त जिला और सत्र न्यायाधीश के पद पर कोई पदोन्नति नहीं हुई है, जिससे फीडर कैडर में स्थिरता आ गई है। इसका पूरे कैडर पर प्रभाव पड़ेगा। अधिकारियों के वकील हर्ष चोपड़ा ने तर्क दिया था कि सरकार के इस कदम से अधिकारियों की वरिष्ठता पर भी असर पडऩे की संभावना है।
साभार: हिन्दुस्थान समाचार