नई दिल्ली: रूस के सेंट पीटर्सबर्ग में 10वें ब्रिक्स संसदीय मंच में भारतीय शिष्टमंडल का नेतृत्व कर रहे लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने आज पहले पूर्ण सत्र को संबोधित किया. इस सत्र का विषय था– ‘ब्रिक्स संसदीय आयाम: अंतर-संस करने की संभावनाएं’. बिरला ने कहा कि विकासशील देशों के हितों का प्रतिनिधित्व करने वाला ब्रिक्स वैश्विक शासन व्यवस्था को और अधिक लोकतान्त्रिक बनाने तथा वैश्विक स्तर पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद, विश्व व्यापार संगठन जैसे अंतरराष्ट्रीय संगठनों में सुधार के लिए प्रतिबद्ध है.
समावेशी और सतत विकास के ब्रिक्स के एजेंडा को आगे बढ़ाने में संसदों और सांसदों की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर देते हुए बिरला ने कहा कि भारत इस दिशा में सक्रिय रूप से भागीदारी कर रहा है. उन्होंने उभरते बाजारों और विकासशील देशों को एकजुट करने के प्रति भारत की प्रतिबद्धता के साथ ही परस्पर सम्मान, समझ, समानता, एकजुटता, पारदर्शिता, समावेशिता और आम सहमति के सिद्धांतों के प्रति भारत की निष्ठा के बारे में भी बात की. पिछले वर्ष नई दिल्ली में 18वें जी-20 शिखर सम्मेलन और जी-20 देशों की संसदों के अध्यक्षों के नौवें शिखर सम्मेलन (पी-20) के सफल आयोजन का उल्लेख करते हुए बिरला ने कहा कि ये ऐतिहासिक आयोजन विश्व कल्याण और समावेशी विकास के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग से संयुक्त प्रयास करने के प्रति भारत की प्रतिबद्धता का उदाहरण है. बिरला ने इस बारे में विस्तार से बताते हुए कहा कि भारत का मानना है कि सतत विकास लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए एजेंडा 2030, सतत ऊर्जा परिवर्तन, महिला-पुरुष समानता और सार्वजनिक डिजिटल प्लेटफॉर्म के बारे में नई दिल्ली में आयोजित पी-20 शिखर सम्मेलन में पीठासीन अधिकारियों द्वारा साझा किए गए विचारों और प्रस्तावों से समावेशी और सतत विकास के लिए वैश्विक सहयोग को बढ़ावा मिलेगा.
अंतर-संसदीय मंचों की भूमिका के बारे में बात करते हुए बिरला ने इस बात पर जोर दिया कि सांसद प्रगति और सतत विकास के एजेंडा को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं. इस संदर्भ में ब्रिक्स संसदीय मंच को एक महत्वपूर्ण मंच बताते हुए बिरला ने कहा कि ऐसे मंच पर सांसदों को नए विचारों, नए कानूनों और सर्वोत्तम प्रथाओं का आदान-प्रदान करने का अवसर प्राप्त होता है. बिरला ने भावी चुनौतियों का उल्लेख करते हुए यह आशा व्यक्त की कि अंतर-संसदीय सहयोग को मजबूत करने से ब्रिक्स देशों के बीच साझेदारी और अधिक समावेशी और लोकतांत्रिक होगी. उन्होंने लोकतांत्रिक मूल्यों, सतत विकास और ब्रिक्स के एजेंडा को आगे बढ़ाने के प्रति भारत की प्रतिबद्धता दोहराई. अंत में उन्होंने अपने रूसी समकक्ष और रूसी संघ की संसद द्वारा किए गए आतिथ्य- सत्कार के लिए आभार व्यक्त किया. ब्रिक्स संसदीय मंच में चार नए सदस्यों मिस्र, इथियोपिया, ईरान, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात का स्वागत करते हुए बिरला ने नए सदस्यों को संगठन में निर्बाध रूप से शामिल किए जाने के लिए रूस के अध्यक्ष की सराहना की. बिरला ने आईपीयू अध्यक्ष तुलिया एक्सन से भी मुलाकात की. 10वीं ब्रिक्स संसदीय मंच की बैठक में भाग लेने के लिए बिरला की रूस यात्रा लोकसभा अध्यक्ष के रूप में लगातार दूसरे कार्यकाल की, उनके ऐतिहासिक चुनाव के बाद पहली विदेश यात्रा है.
हिन्दुस्थान समाचार