Parliament Session: 18 वीं लोकसभा में समाजवादी पार्टी (SP) के एक सांसद आरके चौधरी की लोकसभा अध्यक्ष ओम विरला (Om Birla) को पत्र लिखकर संसद भवन में स्थापित सेंगोल को हटाने की मांग तुल पकड़ती जा रही है. इस तरह की अजीबो गरीब मांग से देश हतप्रद हैं तो अधिकांश सांसद इसे सस्ती लोकप्रियता हासिल करने का तरीका मान रहे हैं.
दरअसल, सपा के सांसद आरके चौधरी ने लोकसभा अध्यक्ष ओम विरला को पत्र लिखकर संसद भवन में स्थापित सेंगोल को हटाने की मांग किया है और इस जगह पर संविधान की प्रति रखने का अनुरोध किया है. आरके चौधरी ने यह भी कहा है कि सेंगोल राजा महराजाओं का प्रतीक है, जिसे संसद भवन के उद्घाटन के साथ ही लोक सभा अध्यक्ष के आसन्न के समीप स्थापित किया गया था. सेंगोल के खिलाफ सपा नेता के इस बयान की चहुंओर आलोचना हो रही है.
सपा सांसद आरके चौधरी की सेंगोल पर की गई टिप्पणी पर केंद्रीय मंत्री राजीव रंजन (ललन) सिंह ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि उन्हें पहले उनके बारे में बात करनी चाहिए जिनके साथ वे खड़े हैं, न कि संविधान के बारे में.
केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल ने कहा कि जब संसद में सेंगोल की स्थापना हुई थी, तब भी समाजवादी पार्टी सदन में थी, उस समय उनके सांसद क्या कर रहे थे और अब क्यों विरोध कर रहे हैं.
केंद्रीय मंत्री बीएल वर्मा ने कहा कि सपा के जो सांसद ऐसा कह रहे हैं, उन्हें पहले संसदीय परंपराओं को जानना चाहिए और फिर बोलना चाहिए. उन्होंने कहा कि जिस सेंगोल को हटाने की बात कर रहे हैं, वह स्वाभिमान का प्रतीक है. उन्होंने यह भी कहा कि मुझे लगता है कि कहीं न कहीं उन्हें संविधान और संसदीय परंपराओं पर गौर करना चाहिए.
गोरखपुर से भाजपा के सांसद रवि किशन ने कहा कि सपा के सांसद कुछ भी कह सकते हैं. वे तो भगवान राम की जगह लेना चाहते हैं, पिछले दिनों उन्होंने अपने सांसद की तुलना भगवान राम से की थी. इन बातों का कोई मतलब नहीं है.
भाजपा नेता सीआर केसवन ने कहा है कि आरके चौधरी की टिप्पणी अपमानजनक है. उन्होंने संसद की पवित्रता को भी कमजोर किया है. उन्होंने कहा कि समाजवादी पार्टी के सांसद से इससे बेहतर उम्मीद नहीं कर सकते हैं. केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी ने कहा कि पीएम मोदी ने जो भी किया है सही किया है. उन्होंने यह भी कहा कि सेंगोल को संसद में ही रहना चाहिए.
भाजपा सांसद राधा मोहन दास अग्रवाल ने कहा कि सेंगोल को संसद में होने का विरोध करने वालों को इसके मूल्य और राजनीतिक निहितार्थों का पता नहीं है. उन्होंने कहा कि यह इस देश के शासन में नैतिक मूल्यों की स्थापना का प्रतीक है. यह सेंगोल इसलिए यहां है कि’ कोई भी प्रधानमंत्री अराजकता, तानाशाही और आपातकालीन व्यवस्था स्थापित नहीं कर सकता.
साभार – हिंदुस्थान समाचार