चंडीगढ़: हरियाणा विधानसभा में मनोहर सरकार के खिलाफ कांग्रेस का अविश्वास प्रस्ताव मतदान से ही पहले गिर गया. इस प्रस्ताव पर वोटिंग से पहले ही कांग्रेस सदन से वाकआउट कर गई. मनोहर सरकार के दूसरे कार्यकाल के दौरान यह दूसरा मौका था जब कांग्रेस सरकार के विरूद्ध लाया गया अविश्वास प्रस्ताव सदन में गिर गया.
मुख्यमंत्री मनोहर लाल गुरुवार को विधानसभा में बगैर मतदान के ही विश्वास मत हासिल कर लिया गए. इस प्रस्ताव पर वोटिंग से पहले ही कांग्रेस सदन से वाकआउट कर गई. महम के निर्दलीय विधायक बलराज कुंडू और इनेलो के विधायक अभय सिंह चौटाला ने विधानसभा में कांग्रेस ने भाजपा-जजपा गठबंधन की सरकार के विरुद्ध लाए गए अविश्वास प्रस्ताव पर सवाल उठाए. बलराज कुंडू ने कहा कि जब नंबर गेम भाजपा व जजपा के साथ है तो ऐसे में कांग्रेस को अविश्वास प्रस्ताव लाने की जरूरत नहीं थी. अभय सिंह चौटाला ने हुड्डा के लाए गए अविश्वास प्रस्ताव पर कहा कि अविश्वास प्रस्ताव वहां लाने की जरूरत होती है, जहां सरकार के प्रति लोगों का विश्वास हो. भाजपा-जजपा तो पहले ही लोगों का विश्वास खो चुके थे.
अविश्वास प्रस्ताव पर भाजपा व कांग्रेस विधायकों के बीच हुई लंबी चर्चा के बाद मुख्यमंत्री मनोहर लाल जब अपना जवाब दे रहे थे तो उन्होंने कांग्रेस के शासनकाल के घोटालों की पूरी परत खोल डाली. अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान मुख्यमंत्री मनोहर लाल विपक्ष पर बहुत ही आक्रामक दिखाई दिए. उन्होंने एक के बाद एक पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा द्वारा सदन में उठाए गए सवालों तथा सरकार पर लगाए गए आरोपों का पूरे तथ्यों के साथ जवाब दिया. हुड्डा ने सदन में बोलते हुए भाजपा सरकार को घोटालों की सरकार कहा था.
सदन में मुख्यमंत्री मनोहर लाल की जब बोलने की बारी आई तो उन्होंने केंद्र की कांग्रेस सरकार के साथ-साथ हरियाणा की कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में हुए जमीनों के घोटाले गिनाने शुरू कर दिए. मनोहर लाल ने विधानसभा में अपनी सरकार की पारदर्शिता का उदाहरण देते हुए जब यह कहा कि पूर्व शिक्षा मंत्री गीता भुक्कल की बेटी मैरिट के आधार पर नौकरी लगी है और मेरे भाई की पत्नी का तबादला हुड्डा राज में पैसे देकर हुआ था तो कांग्रेस सदस्य उखड़ गए. कांग्रेस के सदस्यों ने मुख्यमंत्री से आग्रह किया कि वह सदन में पुराने मुद्दे न उठाएं.
मुख्यमंत्री ने कहा कि वह वास्तविकता को उजागर करेंगे। इस बात पर सदन में हंगामा हो गया और कांग्रेस सदस्य वाकआउट कर सदन से चले गए. इस दौरान सत्ता पक्ष के विधायकों की ओर से विधानसभा में जमकर नारेबाजी की गई. थोड़ी देर इंतजार करने के बाद स्पीकर ने विधानसभा में इस अविश्वास प्रस्ताव को बिना वोटिंग के ही खारिज करने का प्रस्ताव पेश कर दिया, जो कि सर्वसम्मति से पारित हो गया.
साभार: हिन्दुस्थान समाचार