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Home इतिहास और संस्कृति

संकल्प दिवस पर जानें पीओजेके में खंडहर बने हिन्दू मंदिर और पूजा स्थलों के मिटने की पूरी कहानी

param by param
Feb 22, 2024, 08:29 pm GMT+0530
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भारत की कश्मीर नीति के तहत 22 फरवरी, 1994 एक बेहद खास दिन है. 30 वर्ष पहले इसी दिन संसद ने एक प्रस्ताव ध्वनिमत से पारित कर पाकिस्तान द्वारा अवैध रूप से कब्जा किए गए जम्मू-कश्मीर (POJK) पर अपना अधिकार जताते हुए कहा था कि यह भारत का अटूट अंग है और पाकिस्तान को वह हिस्सा छोड़ना होगा, जिस पर उसने अवैध रूप से कब्जा जमा रखा है. पाकिस्तान ने भारत की 78 हजार वर्ग किलोमीटर जमीन पर कब्जा जमा रखा है. जिसमें गिलगित-बालतिस्‍तान और पीओजेके की जमीन शामिल है. दोनों ही जगहों पर पाकिस्तान का अवैध कब्जा है. उत्तर-पश्चिम में पुंछ, मीरपुर और मुजफ्फराबाद डिवीजन है, जिसे मिलाकर POJK बनता है.

अक्टूबर 1947 में पाकिस्तान की तरफ से कबाईलियों द्वारा जम्मू और कश्मीर रियासत पर धोखे से हमला किया गया. आधुनिक उपकरणों से लैस इस पाकिस्तानी घुसपैठ में पाकिस्तानी सेना भी शामिल थी, यानि यह सब पाकिस्तानी सेना द्वारा एक षड्यंत्र के तहत किया गया था. अनुमानों के अनुसार इस हमले में हिंदुओं और सिखों का कत्लेआम किया गया, जिसमें मरने वालों की संख्या 30,000 थी और 100,000 से ज्यादा लोग शरणार्थी बनने को मजबूर हुए.

पीओजेके का जो हिस्सा है उसमें प्राचीनकाल से लेकर मध्यकाल के अंत तक यहां हिन्दुओं की जनसंख्या सबसे अधिक रही. बड़ी संख्या में हिन्दू, बौद्ध और सिख पूजा स्थल अस्तित्व में थे. लेकिन आक्रांताओं के विध्वंस के कारण गिनती के ही मंदिर बचे हैं, जिनमें से बौद्ध मंदिर और सिख गुरुद्वारे तो लगभग समाप्त कर दिए गए हैं. स्वतंत्रता के बाद पीओजेके में बड़ी संख्या में मंदिरों को नष्ट किया गया है. यह पूरा इलाका अब इस्लामिक कट्टरपंथियों और आतंकियों का अड्डा बन चुका है. आइए जानते हैं कि वर्तमान समय में पीओजेके में बचे हुए गैर-इस्लामिक पूजा स्थलों की स्थिति कैसी है.

नीलम घाटी में मौजूद शारदा पीठ मंदिर-

माँ शारदा पीठ मंदिर पाकिस्तान द्वारा अवैध रूप से कब्जा किए गए जम्मू-कश्मीर के हिस्से पर स्थित है. यह मंदिर एलओसी यानी लाइन ऑफ कंट्रोल से सटी नीलम घाटी में मौजूद है. पाकिस्तान सरकार द्वारा इस मंदिर की लगातार उपेक्षा की जा रही है. चंद महीने पहले दिसंबर 2023 में खबर आई थी कि पाकिस्तानी सेना ने जीर्ण-शीर्ण प्राचीन शारदा मंदिर परिसर पर अतिक्रमण कर लिया है और वहां एक कॉफी होम भी खोल दिया है.

इस मंदिर के धार्मिक महत्व का अनुमान आप इस बात से लगा सकते हैं कि पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान शंकर ने सती के शव के साथ जो तांडव किया था, उसमें सती का दाहिना हाथ इसी पर्वतराज हिमालय की तराई में आकर गिरा था. यह मंदिर शक्तिपीठों में से एक है और साथ ही इसका ऐतिहासिक महत्व भी इसके लगभग 5 हजार वर्ष पुराने होने के चलते बढ़ जाता है. हालांकि कभी अपने अंदर खूबसूरती को समेटे रहने वाला यह मंदिर आज समय की मार के चलते खंडहर में तब्दील होने के लिए मजबूर है. इस मंदिर का महत्व सोमनाथ के शिवा लिंगम मंदिर जितना है. 19वीं सदी में महाराजा गुलाब सिंह ने इसकी अंतिम बार मरम्मत कराई और तब से ये इसी हाल में है. मंदिर के समीप मादोमती नाम का एक तालाब है, इस तालाब का पानी बहुत ही पवित्र माना जाता है.

ये पूरे दक्षिण एशिया में एक अत्यंत प्रतिष्ठित मंदिर, शक्ति पीठ है. पाकिस्तान के कब्जे में होने की वजह से कोई भारतीय आसानी से यहां नहीं जा पाता है. वर्ष 1948 तक, गंगा अष्टमी पर नियमित शारदापीठ यात्रा शुरू होती थी. लेकिन इसके बाद हालात इतने खराब कर दिए गए कि श्रद्धालुओं का जाना मुश्किल हो गया.

POJK का प्रसिद्ध शिव मंदिर-





पाकिस्तान द्वारा कब्जाए गए जम्मू-कश्मीर में स्थित शिव मंदिर पाकिस्तान में मौजूद नामचीन मंदिरों में से एक है. इस मंदिर के निर्माण की तिथि को लेकर कोई साक्ष्य मौजूद नहीं है. भारत और पाकिस्तान के बीच 1947 कर बंटवारे के बाद के कुछ वर्षों तक तो इस मंदिर की स्थिति सामान्य रही. लेकिन इन दोनों देशों के बीच करवट बदलते राजनीतिक रिश्तों की वजह से इस मंदिर की दुर्दशा हो गई. इस मंदिर के आसपास बढ़ती चरमपंथी गतिविधियों के चलते यहां श्रद्धालुओं का आना-जाना धीरे-धीरे खत्म हो गया. परिणाम ये हुआ कि आज यह मंदिर खंडहर होने के करार पर जा पहुंचा है.

बांध निर्माण में डुबोया गया मंदिर-

पाकिस्तान के कब्जे वाले जम्मू-कश्मीर के मीरपुर शहर में वर्षों पहले कई मंदिर थे, जिनमें से अधिकांश मंगला बांध के निर्माण के समय जलमग्न हो गये थे. आज भी मंगला डैम में पानी का स्तर जब कम होता है, तब मंगला देवी मंदिर स्पष्ट रूप से दिखाई देता है. ट्रिप एडवाइजर जैसी यात्रा पुस्तकों में भी मीरपुर में एक शिवाला मंदिर और बाणगंगा मंदिर के बारे में जानकारी मिलती है. यहां मंगला किला और राजकोट किला अभी भी स्थित हैं. जो उस मंदिर के इतिहास से जुड़े हुए हैं.

इसी तरह से पीओजेके में पुंछ के पास एक देवी गली मंदिर है. देवी गली में घने देवदार के जंगल और पहाड़ों से घिरी हरी-भरी घास की मैदान हैं. देवी गली का नाम इस क्षेत्र के इतिहास से जुड़ा हुआ है. स्थानीय लोगों की मानें तो यह स्थान पाकिस्तान द्वारा किए गए कब्जे से पहले हिंदुओं के लिए एक बहुत ही पवित्र पूजा स्थल था. जो अब पूरी तरह से अस्तित्वविहीन हो चुका है.

खंडहर बन चुका मीरपुर का रघुनाथ मंदिर-

पीओजेके में झेलम नदी के किनारे बसे मीरपुर में स्थित रघुनाथ मंदिर अब वीरान और खंडहर बन चुका है. इस मंदिर को पाकिस्तानी प्रशासन द्वारा लगातार नजरअंदाज किया गया. यह क्षेत्र अब इस्लामिक कट्टरपंथियों और आतंकियों का गढ़ बन चुका है. मीरपुर कभी हिन्दू बहुल क्षेत्र हुआ करता था. यहां 1947 के बाद 20 प्रतिशत हिन्दू जनसंख्या थी. लेकिन अब यहां एक प्रतिशत भी हिन्दू नहीं बचे हैं.

अली बेग गुरुद्वारा बना दिया गया स्कूल-

पीओजेके के बिम्बेर जिले में मीरपुर-झेलम लिंक रोड पर स्थित अली बेग गुरुद्वारा कभी सिखों के लिए विशेष पूजा स्थल था. जिसे अब पाकिस्तानी अधिकारियों ने मोहम्मद याकूब शहीद हाई स्कूल फॉर गर्ल्स में परिवर्ति कर दिया है.

पुरातात्विक स्थल करगाह बुद्ध उपेक्षा का शिकार-

पाकिस्तानी सरकार की उपेक्षा झेल रहे पुरातात्विक स्थलों में से एक है करगाह बुद्ध स्थल में स्थित बुद्ध की नक्काशीदार प्रतिमा. यह स्थान गिलगित के बाहर लगभग 6 मील की दूरी पर स्थित है. यहां एक खड़े बुद्ध की नक्काशीदार मूर्ति है. बताया जाता है कि यह 7वीं शताब्दी की है. गिलगित में बोली जाने वाली शिन भाषा में इसे यशान या यक्षिणी कहते है. यह प्रतिमा भी धीरे-धीरे जर्जर होती जा रही है.

ध्वस्त होता स्कर्दू स्थित गुरुद्वारा श्री छोटा नानकियाना साहिब-





पीओजेके स्थित स्कर्दू एक प्रसिद्ध शहर है. यह लाहौर से लगभग 450 किमी की दूरी पर है. स्कर्दू के मुख्य चौराहे से लगभग 1 किमी दूर एक छोटी पहाड़ी की चोटी पर एक बड़ी इमारत है, यही वह इमारत है जिसे गुरुद्वारा श्री छोटा नानकियाना साहिब के नाम से जाना जाता है. आज ये गुरुद्वारा पाकिस्तानी प्रशासन की उपेक्षा का शिकार है. बताया जाता है कि सत्गुरु जब चीन से वापस आ रहे थे तो इसी स्थान पर रुके थे. स्थानीय लोग इसे ‘अस्थान नानक पीर’ भी कहते हैं. गुरुद्वारे के हिस्से ढहने शुरू हो गए हैं, माना जा रहा है कि इमारत जल्द ही खंडहर में तब्दील हो जाएगी.

यह सब ऐसे ही नहीं हुआ है बल्कि आजादी के बाद इस इलाके में पाकिस्तान सरकार और इस्लामिक कट्टरपंथियों ने मिलकर गैर इस्लामिक पूजा स्थलों को खाक में मिलाने की पूरी योजना बनाई और बीते 76 वर्षों में पीओजेके में स्थित मंदिर, बौद्ध स्थलों और गुरुद्वारों के इतिहास लगातार मिटाया गया. अवशेष के रूप में बचे कुछ गैर स्लामिक पूजा स्थल आज पाकिस्तानी षड्यंत्र की पोल खोल रहे हैं.

साभार: हिन्दुस्थान समाचार

Tags: jammu kashmirPakistanPOJK Sankalp diwastemlpe
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