Ashoka University Controversy: हरियाणा के सोनीपत में स्थित अशोका यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर अली खान महमूदाबाद (Ali Khan Mahmudabad) को पुलिस ने रविवार (18 मई) को गिरफ्तार कर लिया है. प्रोफेसर अली ने ऑपरेशन सिंदूर के बाद हुई प्रेस ब्रीफिंग के दौरान मौजूद 2 महिला अधिकारियों को लेकर टिप्पणी की थी. जिसके बाद महिला आयोग ने उनके खिलाफ सख्त एक्शन लिया था.
अब इस मामले ने एक नया मोड़ लिया है. प्रोफेसर अली खान के परिवार का पाकिस्तान के मोहम्मद अली जिन्ना के साथ गहरे रिश्ते थे. साथ ही पाकिस्तान को बनाने में भी इनके परिवार ने अहम भूमिका निभाई थी.
अली खान के परिवार का पाकिस्तान के मोहम्मद अली जिन्न से खास संबध
गिरफ्तार प्रोफेसर का जिन्ना कनेक्शन!
वामपंथी विचारधारा को पोषित करने वाली अशोका यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर अली खान मेहमूदाबाद को गिरफ्तार कर लिया गया है। उन पर ऑपरेशन सिंदूर पर विवादित टिप्पढ़ी करने का आरोप है। मुझे लगता है कि आप लोगों के इनके परिवार का इतिहास पता होना चाहिए।… pic.twitter.com/qBa3uiwPVI
— Prakhar Shrivastava (@Prakharshri78) May 18, 2025
अली खान के परिवार का कनेक्शन पाकिस्तान के मोहम्मद अली जिन्न के साथ बताया जाता है. अली खान के दादा राजा महमूदाबाद (मुहम्मद अमीर अहमद खान) वह उत्तर प्रदेश के नवाब भी रह चुके थे. बोला जाता है कि जिन्ना राजा महमूदाबाद को अपने बेटे के समान मानते थे. वह ऑल इंडिया मुस्लिम लीग में कई बड़े पद संभाल चुके हैं.
राजा महमूदाबाद ने मुस्लिम लीग की आर्थिक रुप से खूब मदद की थी. भारत से बंटवारे के बाद पाकिस्तान बनाने में राजा महमूदाबाद ने अपनी पूरी जी-जान लगाई थी. ऐसा बोला जाता है कि पाकिस्तान के लिए उन्होंने अपना सब कुछ समर्पित कर दिया था.
साल 1947 में भारत-पाकिस्तान बंटवारे के बाद राजा महमूदाबाद ईराक में रहते थे. उसके 10 साल बाद 1957 में इन्होंने पाकिस्तान की नागरिकता ले ली थी. फिर राजा महमूदाबाद ने अपनी सारी प्रॉपर्टी पाकिस्तान को दान में दे थी. फिर भारत सरकार ने शत्रु संपत्ति के तौर पर भारत में स्थिति उनकी सभी प्रॉपर्टी पर कब्जा कर लिया था.
इसके बाद यह मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा. साल 1966 में कोर्ट के आदेश राजा महमूदाबाद की संपत्ति को उनके परिवार को वापस सौंप दिया गया था. साल 1973 में लंदन में राजा महमूदाबाद की मृत्यु हो गई थी.
अब्बा बने कांग्रेस के विधायक
अली खान महमूदाबाद के पिता मोहम्मद अमीर मुहम्मद खान (उर्फ सुलेमान) (राजा महमूहदाबाद) के बेटे भारत-पाकिस्तान बंटवारे के बाद भारत में ही रहे थे. उन्होंने यही पर रहकर यूपी -उत्तरांखड में अपनी प्रॉपर्टी की देखभाल की थी. साल 1985 और 1989 में सुलेमान ने महमूदाबाद से कांग्रेस पार्टी की ओर से चुनाव जीता था और 2 बार यह विधायक बने थे.
साल 1981 में देश की तत्कालीन इंदिरा गांधी की सरकार ने उनसे संपत्ति का 25 प्रतिशत वापस लौटाने का आदेश दिया था लेकिन सुलेमना इस बात पर सहमत नहीं हुए. इस मामले को लेकर वह लखनऊ सिविल कोर्ट पहुंचे. साल 2001 में वह यह केस जीत चुके थे. साल 2002 में सरकार की अपील के बाद यह मामला एक बार फिर कोर्ट में पहुंचा. जो फिलहाल अभी भी चल रहा है.
बाद में प्रोफेसर अली खान महमूदाबाद अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी में शामिल हुए. वहां उन्हें नेशनल स्पोकपर्सन की जिम्मेदारी निभाई है. वह कई बार अपने विचारों को खुलकर पब्लिक के सामने रखते हुए नजर आए. लेकिन हाल ही में उनके द्वारा दिए गए विवादित बयान से समाजवादी पार्टी के लिए भी मुश्किलें खड़ी हो सकती है.
जानें क्या है पूरा मामला
दरअसल, ऑपरेशन सिंदूर की कार्रवाई के बारे में सरकार द्वारा प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित की गई थी. जिसमें कर्नल सोफिया कुरेशी और विंग कमांडर व्योमिका सिंह ऑपरेशन के बारे में पूरी जानकारी दे रही थी. अली खान ने इस प्रेस कॉन्फ्रेंस को लेकर एक विवादित पोस्ट अपने सोशल मीडिया (फेसबुक) पर शेयर किया था. जिसमें अली खान ने बताया है कि यह प्रेस कॉन्फ्रेंस केवल एक दिखावा है. उन्होंने सरकार पर आरोप लगाते हुए है कि सरकार केवल मीडिया को दिखाने के लिए कर्नल सोफिया को आगे लेकर आई है. लेकिन असल में वह मुस्लिम समुदाय के खिलाफ में काम करती है.
आगे खान ने पोस्ट में लिखा कि दोनों देशों के कुछ पागल फोजी केवल बॉर्डर पर तनाव पैदा करते हैं, जिसमें बेकसूर लोगों की जान चली जाती है. इसके बाद राज्य महिला आयोग ने इस मामले 12 मई को कार्रवाई करते हुए अली खान को पेश होने के लिए नोटिस भेजा था लेकिन 13 मई को वह पेश नहीं हुए. इसके बाद हरियाणा पुलिस ने राजद्रोह सहित कई धाराओं के साथ अली खान के खिलाफ मामला दर्ज किया.
साथ ही भाजपा युवा नेता ने भी अली खान के खिलाफ शिकायत दर्ज करवाई थी. उनका कहना था कि अली खान के द्वारा की गई टिप्पणी ऑपरेशन सिंदूर का अपमान करना है. 18 मई को हरियाणा पुलिस ने अली खान को दिल्ली के ग्रेटर कैलाश इलाके से गिरफ्तार किया.
जानें कौन है प्रोफेसर अली खान महमूदाबाद?
- अली खान सोनीपत में स्थित अशोका य़ूनिवर्सिटी में राजनीति विज्ञान के प्रोफेसर है. अली खान का जन्म 2 दिसबंर, 1982 का हुआ था. वह उत्तर प्रदेश के महमूदाबाद राज परिवार से संबध रखते है. उनके दादा राजा महमूदाबाद और पिता मोहम्मद अमीर अहमद खान थे. उनके परिवार का भारत-पाक बंटवारे और इतिहास ब्रिटिश भारत में अहम भूमिका निभाई थी. अली ने अपनी शुरूआती पढ़ाई लखनऊ के ला मार्टिनियर कॉलेज से की थी.
- इसके बाद आगे की पढ़ाई के लिए वह यूनाइटेड किंग्डंस चले गए. इसके बाद खान ने कैब्रिंज यूनिवर्सिटी से राजनीति विज्ञान और इतिहास में पी.एचडी की डिग्री हासिल की. अली खान ने अरबी भाषा सिखने के लिए सीरिया के दमिश्क यूनिवर्सिटी में दाखिला लिया था.
- अली खान समाजवादी पार्टी में राष्ट्रीय प्रवक्ता के तौर पर भी काम करते है. वह अपने विचारों को लेकर कई बार राजनीतिक सुर्खियों में भी रहे हैं. यह करीब 30-50 हजार करोड़ संपत्ति के मालिक है. इनके नाम लखनऊ, उत्तराखंड, पाकिस्तान और ईराक जैसे कई देशों में प्रॉपर्टी है.
बता दें, ऐसा पहली बार नहीं हुआ है कि किसी मामले की वजह से अशोका यूनिवर्सिटी चर्चा में आई हो. इससे पहले भी कई बार वामपंथी विचार धारा के कारण ये विवादों में घिर चुकी है.
प्रो-फिलीस्तान का यूनिवर्सिटी में हुआ था प्रदर्शन (2024)
मई, साल 2024 में यूनिवर्सिटी में दीक्षांत समारोह हुआ था. उस दौरान छात्रों ने फ्री-फिलिस्तानी और स्टॉप जेनोसाइड के पोस्टर दिखाते हुए प्रदर्शन किया था. छात्रसंघ ने तेल अवीव यूनिवर्सिटी, इजराइल से रिश्ता तोड़ने की मांग की थी. कई लोग इस प्रदर्शन को वोक (वामपंथी) विचारधारा का हिस्सा मानते हैं.
यूनिवर्सिटी में हुई हिंदू विरोधी के लगाए नारे (2024)
26 मार्च, 2024 में अशोका यूनिवर्सिटी के कुछ छात्रों ने हिंदू धर्म के खिलाफ प्रदर्शन किया था. छात्रों ने ‘जय भीम-जय मीम’, ‘जय सावित्री-जय फतिमा’ और ‘ब्राह्मण-बनियावाद मुर्दाबाद’ के नारे लगाए थे. सोशल मीडिया पर वायरल हुई वीडियो में इन नारों को हिंदू विरोधी बताया गया था.
यहां पढ़ने वाले छात्रों ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी से प्रभावित होकर विश्वविद्यालय में आरक्षण और जाति जनगणना की मांग भी की थी. इतना हंगामा होने के बावजूद प्रशासन के द्वारा कोई भी एक्शन न लेने के लिए यूनिवर्सिटी पर आरोप लगे थे.
छात्रों ने इजराइल के खिलाफ किया प्रदर्शन
अशोका यूनिवर्सिटी में पढ़ने वाले छात्रों ने इजराइल के गाजा में हुई सैन्य कार्रवाई को पूरी तरह से नरसंहार बताया था. साथ ही 7 अक्टूबर, 2023 को हमास द्वारा हुए आतंकी हमले को इन छात्रों ने केवल इंवेट्स बताया था. जिसके बाद इनकी खूब निंदा की गई. इस प्रदर्शन को पूरी तरह से वामपंथी प्रोपेगेंडा घोषित किया गया है.
लोकसभा चुनाव के दौरान हुई थी हेराफेरी (2019)
अशोका यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर सब्यसाची दास ने अपने रिसर्च पेपर में दावा किया था साल 20219 में हुए लोकसभा चुनाव में BJP ने EVM में हेरापेरी की थी. उनके रिसर्च पर कमियां मिली. जिसके बाद उनकी काफी निंदा हुई और दबाव की वजह से प्रोफेसर को इस्तीफा देना पड़ा था.
प्रोफेसर नीलांजन सरकार ने भगवान राम का उड़ाया था मजाक
इस यूनिवर्सिटी के ही एक और प्रोफेसर नीलांजन सरकार ने दावा किया था राष्ट्रपति भवन में लगी नेताजी सुभाष चंद्र बोस की फोटो असल में बंगाली अभिनेता प्रोसेनजीत चटर्जी की है. साथ ही उन्होंने भगवान राम और बीजेपी का भी खूब मजाक उड़ाया था.
क्या अशोका यूनिवर्सिटी बन चुकी है पूरा वामपंथी का अड्डा?
- साल 2014 में अशोका यूनिवर्सिटी की स्थापना हुई थी. यह एक प्राइवेट यूनिवर्सिटी है, जो अपनी वामपंथी सोच के तहत प्रोपेगैंडा चलाने के लिए जानी जाती है.
- इस यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर और स्टूडेंट्स के द्वारा कई बार ऐसे विवादित बयान दिए गए हैं, जो चर्चा में रहते हैं और देश की सोच के खिलाफ होते हैं. कई लोग इसे विश्वविद्यालय को वामपंथी का गढ़ भी कहा जाता है.
बता दें, प्रोफेसर अली खान महमूदाबाद के द्वारा दिए गए विवादित बयान से यूनिवर्सिटी ने पूरी तरह से अपने हाथ साफ कर दिए हैं. इतने मामले होने के बाद भी प्रशासन के द्वारा कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है, जिसकी बहुत निंदा की जा रही है.
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