Chhatrapati Sambhaji Maharaj Jayanti 2025: हर साल 14 मई को छत्रपति महाराज की संभाजी की जयंती (Chhatrapati Sambhaji Maharaj Jayanti) मनाई जाती है. 14 मई का यह दिन पूरे मराठा साम्राज्य (Maratha Empire) के लिए गर्व की बात है. छत्रपति संभाजी न केवल एक महान योद्धा थे. उन्हें आज भी धार्मिक सहिष्णुता, वीरता और विद्वत्ता का प्रतीक भी माना जाता है.
जानें संभाजी के बचपन से जुड़ी कुछ बातें
14 मई, 1657 को महाराष्ट्र के पुरंदर किले में संभाजी महाराज का जन्म हुआ था. उनके पिता महान मराठा सम्राट छत्रपति शिवाजी और माता सईबाई थी. संभाजी की पत्नी का नाम येसूबाई था. संभाजी के जन्म के कुछ समय बाद ही उनकी माता की मृत्यु हो गई थी. जिसके बाद उनके पिता ने दूसरा विवाह किया था, लेकिन उनकी सौतेली माता का व्यवहार उनके साथ अच्छा नहीं था. तब संभाजी की देखभाल उनकी दादी जीजाबाई ने की थी.
संभाजी महाराज ने बेहद कम उम्र (8 साल) में फारसी, हिंदी, मराठी और संस्कृत समेत कई भाषाओं में दक्षता हासिल कर ली थी. वह काफी विद्वान कवि और लेखक थे. बुद्धिभूषण नामक ग्रंथ की रचना छत्रपति संभाजी ने ही की थी.
बता दें, छत्रपति संभाजी को छावा के नाम से भी जाना जाता है. दरअसल, छत्रपति शिवाजी को शेर कहा जाता है और उनके बेटे संभाजी को शेर का छोटा बच्चा यानि छावा.
14 साल की उम्र तक संभाजी पूरी तरह से युद्ध लड़ने के लिए तैयार हो गए थे. संभाजी ने अपने पिता की गैर-मौजूदगी में युद्ध लड़े थे
कहा जाता था कि संभाजी की सौतेली माता की इच्छा अपने सगे बेटे राजाराम को राजा बनाने की थी इसलिए वह जानबूझकर शिवाजी-संभाजी के बीच गलतफहमियां पैदा करती थी. एक बार तो ऐसी स्थिति हुई कि छत्रपति शिवाजी ने संभाजी को कारावास में भेज दिया था.
लेकिन वह वहां से भाग निकले. जेल से भागते समय उनकी मुलाकात ब्राह्मण कवि कलश से हुई, जो आगे चलकर संभाजी के सलाहकार बने थे.
इसके बाद संभाजी मुगलों के साथ मिलकर रहने लगे, लेकिन बाद हिंदुओं के प्रति मुगलों के द्वारा क्रूर व्यवहार देखकर वह वापस अपने राज्य लौट आए.
मुगलों से किया था संघर्ष

3 अप्रैल, 1680 को छत्रपति शिवाजी की मृत्यु हो गई थी. जिसके बाद साल 1681 में मराठा साम्राज्य के दूसरे छत्रपति संभाजी बने. संभाजी ने साल 1681 से 1689 तक मराठा साम्राज्य में दूसरे शासक के तौर पर शासन किया था. संभाजी ने राजा बनते ही नए मंत्रिमंडल का गठन किया. अपने मंत्रिमंडल में उन्होंने कवि कलश को अपना पर्सनल सलाहकार नियुक्त किया. कवि कलश को मराठी भाषा का बिल्कुल भी ज्ञान नहीं था लेकिन फिर भी वह हमेशा संभाजी का साथ देते थे.
संभाजी ने मुगलों, सिद्धी, पोर्तुगीज समेत अन्य दुश्मनों से वीरतापूर्वक लड़ाई की और मराठा साम्राज्य की रक्षा की थी. संभाजी ने कई सालों तक औरंगजेब की विशाल सेना से लड़ते हुए मराठा भूमि की रक्षा की थी. संभाजी को न्यायप्रिय भी कहा जाता था.

संभाजी ने अपने 9 साल के शासन में करीब 100 से ज्यादा लड़ाई लड़ी और सभी युद्ध में जीत हासिल की थी.
छत्रपति संभाजी के नेतृत्व में उनकी सेना में कई बार मुगलों को हराने की कोशिश की थी. साल 1689 के दौरान मुगलों ने छत्रपति संभाजी को पकड़ लिया था और औरंगजेब ने उन्हें इस्लाम धर्म कबूल करने का आदेश दिया था. हालांकि छत्रपति संभाजी ने धर्म परिवर्तन करने से साफ इंकार कर दिया था. अपने सहयोगियों द्वारा किए गए विद्रोह के चलते संभाजी मुगलों से मुकाबला हार गए.
आखिर में संभाजी को बंदी बनाया गया और उन्हें मानसिक और शारीरिक तौर पर बहुत परेशान किया गया. लेकिन संभाजी ने कभी भी हार नहीं मानी. आखिरी में 32 साल की उम्र में 11 मार्च, 1689 को उनकी मौत हो गई थी.
छावा के रुप में विक्की कौशल में निभाया था संभाजी की रोल

छत्रपति संभाजी के जीवन के बारे में पढ़कर बॉलीवुड के निर्देशक लक्ष्मण उतेकर ने उनके ऊपर एक फिल्म बनाई. उतेकर का मानना था कि कम ही लोग संभाजी के जीवन को इतना करीब से जानते हैं. ऐसे में सभी लोगों के संभाजी के बारे में बताने के लिए उन्होंने छावा फिल्म बनाई. जिसमें विक्की कौशल ने संभाजी की अहम भूमिका निभाई. इस मूवी को लोगों के द्वारा खूब पसंद किया गया. यह फिल्म 800 करोड़ से ज्यादा की कमाई कर चुकी है.
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