Operation Sindoor: पहलगाम में हुए आतंकी हमले (Pahalgam Terrorist Attack) का भारत ने अब मुंहतोड़ जवाब दिया है. मंगलवार की रात (6-7 मई) को भारत की सेनाओं ने ऑपरेशन सिंदूर (Operation Sindoor) के तहत एयरस्ट्राइक कर पाकिस्तान और PoK में स्थित 9 आतंकी संगठनों के ठिकानों में तबाह कर दिया.
VIDEO | Operation Sindoor: “My husband was in the defence forces and he wanted to protect the peace, protect the innocent lives. He wanted to make sure that there is no hatred and terror in this country. I am thankful to the government, but I request them not to end it here. I… pic.twitter.com/gLbZdHJ283
— Press Trust of India (@PTI_News) May 7, 2025
इस एयरस्ट्राइक के बाद 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले में अपने पति, पिता और करीबी परिजनों को खो देने लोगों ने भारतीय सेनाओं और पीएम मोदी का शुक्रिया अदा किया. इसी बीच पहलगाम हमले में शहीद हुए करनाल (हरियाणा) के लेफ्टिनेंट विनय नरवाल की पत्नी हिमांशी ने अपनी प्रतिक्रिया दी है. मीडिया से बात करते समय हिमांशी थोड़ी इमोशनल हो गई. उन्होंने सरकार से इस कार्रवाई को न रोकने की अपील की है.
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उन्होंने कहा कि आज हमारी भारतीय सेना और मोदी सरकार ने पाकिस्तानी आतंकियों और उनके आकाओं को मुंहतोड़ जवाब देकर उन्हें भी आज उसी दर्द का एहसास कराया है, जो 15 दिन पहले 22 अप्रैल को 26 परिवारों ने झेला था.
हिमांशी ने कहा कि मेरे पति डिफेंस में थे और जब उन्होंने नेवी ज्वाइन की थी तो वह चाहते थे कि देश में शांति बनी रहे. देश में नफरत और आतंकवाद न हो. किसी निर्दोष की जान न जाए. उनका यह स्प्रिट इस ऑपरेशन सिंदूर में है. सरकार द्वारा आतंकवाद और नफरत को बर्दाशत नहीं किया जा सकता है.
पहलगाम हमले से 6 दिन पहले हुई थी शादी
हिमांशी नरवाल ने 22 अप्रैल की उस भयंकर रात को याद कर बताया कि जब यह हमला हुआ था तब उनकी शादी को केवल 6 ही दिन हुए थे. उन्होंने आतंकवादियों से अपने पति को छोड़ने की अपील की थी, लेकिन आतंकियों का कहना था कि इसका जवाब अब मोदी से लेना. आज भारतीय सेना और मोदी सरकार ने इसका जवाब दे दिया. मुझे सेना पर बहुत गर्व है. उन्होंने कहा है कि यह कार्रवाई अभी रोकनी नहीं चाहिए. यह आंतकवाद के अंत होने की शुरूआत है. ताकि जैसी घटना मेरे साथ हुई, वैसी किसी ओर के साथ न हो.
आगे उन्होंने बताया कि पहले पहलगाम आतंकी हमले में 2 घंटे तक वह अकेले लड़ती रही. इस दौरान उनके साथ 26 महिलाएं और भी थी. जिन्हें उम्मीद थी कि केंद्र सरकार और सेना उनकी मदद जरुर करेगी. आज इस ऑपरेशन सिंदूर ने पूरे देश का सिर ऊंचा कर दिया.
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