Operation Sindoor: भारतीय सेना (Indian Army) ने 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले का पाकिस्तान को करार जवाब दिया है. भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के जरिए पाकिस्तान और उसके कब्जे वाले इलाकों में मंगलवार रातभर (6-7 मई, 2025) को चले ऑपरेशन में 9 आतंकी ठिकानों पर हमला किया. जिसमें 100 से ज्यादा आतंकी ढेर होने की जानकारी मिली है.


पाकिस्तान की इंटर सर्विसेज पब्लिक रिलेंशस (ISPR) के महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल अहमद शरीफ चौधरी ने मुरीदके, कोटली, बहावलपुर समेत कई जगहों पर हमला होने की जानकारी दी है.
बता दें, भारतीय सेना का टारगेट पहलगाम आतंकी हमले के 2 बड़े जिम्मेदार आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर -ए-तैयबा के ठिकानों को ध्वस्त करना है.
मुरदीके में स्थित लश्कर -ए-तैयबा का हेडक्वार्टर
पाकिस्तान के लाहौर से करीब 33 किलोमीटर की दूरी पर स्थित ग्रैंड ट्रंक रोड पर मुरीदके लश्कर -ए-तैयबा (Lashkar-e-Taiba) का हेडक्वार्टर स्थित है. इसे ‘मरकज़-ए-तैयबा’ के नाम से जाना जाता है. इसकी स्थापना साल 1980 के दशक में हुई थी. हाफिज सईद ने ISI और बाहरी फंडिग की मदद से इसे बनाया था. यह परिसर करीब 200 एकड़ में बना हुआ है.
यह परिसर लश्कर का वैचारिक, लॉजिस्टिक और ऑपरेशनल सेंटर हैं. इसी स्थान पर कश्मीर और पाकिस्तान से आए सैकड़ों नए भर्तियों को ट्रैनिंग दी जाती है.
यह परिसर पूरे विश्व के आतंकी ठिकानों में सबसे बड़ा ठिकाना माना जाता है.
- सैटेलाइट फोटो से पता चलता है कि मरकज़-ए-तैयबा पूरी सुविधाओं से भरपूर वाला है. इसका मुख्य केंद्र में एक मस्जिद है, जिसके चारों ओर स्कूल, ट्रेनिंग सेंटर और खुले मैदान है. यहां पर आई नई भर्तियों को युद्ध के लिए ट्रैनिंग दी जाती है. इस परिसर में बैंक, कार्यालय और अस्पतला समेत कई अन्य व्यावसायिक बिल्डिंगस भी शामिल हैं.
- लाहौर के पास और मुख्य हाईवे पर स्थित होने के कारण मरकज़ से संसाधनों की तेजी से तैनाती होना आसान है. वैसे तो साल 1980 के दशक में इसे (मरकज़) सोवियत-विरोधी अफगान जिहाद के लिए बनाया गया था, लेकिन बाद में यह पूरी तरह से भारत-विरोधी आतंकी का प्रमुख अड्डा बन गया.
- पाकिस्तान ने 9/11 हमले के बाद लश्कर-ए-तैयबा पर रोक लगाई थी. साथ ही मरकज़ का एक मदरसे के रुप में पंजीकरंण करवाया. हालांकि फिर भी मरकज़ का उद्देश्य आतंक के साथ जुड़ा रहना था.
- साल 2008 में हुए मुंबई हमले में कई आतंकियों को इसी परिसर में ट्रेनिंग दी गई थी. खुद अजमल कसाब ने जांच के दौरान इस बात का खुलासा किया था.
लश्कर-ए-तैयबा का है बड़ा इंटरनेशनल नेटवर्क
- लश्कर-ए-तैयबा ने अन्य जिहादी संगठनों जैसे अफगानिस्तान और चेचन्या के ग्रुप की मदद से देश और दुनिया में अपना प्रभाव बढ़ाया है.
- लश्कर-ए- तैयबा एक सलाफी-जहादी संगठन है. जिसका मकसद न केवल कश्मीर को आजादी दिलाना बल्कि उसे पाकिस्तान से मिलाना है.
- इस आतंकी संगठन को शिक्षा और डोनेशन के नाम पर दुनियाभर से फंडिग मिलती है.
जमात-उद-दावा
- जमात-उद-दावा (Jama’at-ud-Da’wah) एक धर्म प्रचार संगठन है. जिसका उद्देश्य पाकिस्तान में स्थित दर्जनों मदरसों और 2500 से ज्यादा कार्यालयों के जरिए कट्टर विचारधारा फैलाना है.
- साल 2008 में जमात-उद-दावा को आतंकवादी संगठन करार कर दिया था और बाद में इसे FATF की ग्रे लिस्ट में शामिल कर दिया था. हालांकि पाकिस्तान ने जमात पर लगी रोक और सईद की गिरफ्तारी का दावा किया था, जिसे भारत ने केवल एक दिखावा बताया.
इन प्रमुख आतंकों का लश्कर से कनेक्शन
- नवंबर 2008- मुंबई आतंकी हमला, जिसमें 166 लोगों की हुई थी मौत
- जुलाई 2006- मुंबई लोकल ट्रेन बम ब्लास्ट, हमले में 180 से ज्यादा की मौत
- दिसंबर 2001- भारतीय संसद पर जैश के साथ मिलकर किया था हमला
- मार्च 2000- चिट्टीसिंहपोरा में हुए हमले में 35 सिखों की हत्या
किसने की थी लश्कर-ए-तैयबा की स्थापना
- साल 1980 के दशक में हाफिज सईद, जफर इकबाल और अब्दुल्ला अज्जाम ने इस संगठन की स्थापना की थी. जिसका उद्देश्य अफगानिस्तान में सोवियत संघ के खिलाफ लड़ाई करना था. इसका मूल संगठन मरकज़-उद-दावा वल-इर्शाद था.
- लश्कर का जन्म अफगानिस्तान का कुनार प्रांत माना जाता है. वैसे तो लश्कर खुद को एक सैन्य संगठन बताता है, जिसका प्रमुख हाफिज सईद है. इसके बाद सईद का बेटा तल्हा इस संगठन का दूसरा बड़ा नेता माना जाता है.
- बता दें, लश्कर भी एक पारिवारिक संगठन है.
- मुरीदके के साथ-साथ पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर के कई जगहों पर भी इसके ट्रेनिंग कैंप हैं.
- साल 1996 में 16 हिंदुओं की हत्या करना इस संगठन का शुरूआती हमला माना जाता है. जम्मू-कश्मीर में फिदायीन हमलों की शुरूआत की थी. साल 1993 में ISI और अलगाववादी संगठनों की मदद से आतंकी घुसपैठ शुरू की थी.
जानिए कौन है हाफिज सईद
- साल 1950 में पाकिस्तान में हाफिज सईद का जन्म हुआ था. हाफिज ने अपनी पढ़ाई सऊदी अरब की एक यूनिवर्सिटी से की थी. उस दौरान वह वहाबी विचारधारा से प्रबावित हुए थे.
- हाफिज को US समेत कई देशों और संगठनों ने वैश्विक आतंकी घोषित करार दिया है.दिसबंर में भारत के संसद पर हुए हमले के बाद से हाफिज को कई बार जेल भी भेजा गया था.
- साल 2020 में हाफिज को 11 साल की सजा सुनाई गई, लेकिन उसकी लाहौर में ISI की सुरक्षा में रहने की कई खबरें सामने आई.
साल 2023 में भारत द्वारा प्रत्यर्पण की मांग को पाकिस्तान ने खारिज कर दिया था.
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