Caste Census: मोदी सरकार (Modi Government) ने भारत में जातिगत जनगणना (Caste Census) कराने की मंजूरी दे दी है. यह ऐतिहासिक निर्णय प्रधानमंत्री मोदी की अध्यक्षता में हुई राजनीतिक मामलों पर कैबिनेट समिति (CCPA) की बैठक में लिया गया. स्वतंत्रता के बाद पहली बार देश में जाति आधारित जनगणना होगी. अब तक हुई 7 जनगणनाओं में केवल SC और ST समुदाय की ही गिनती होती थी. अब पहली बार अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) के अंतर्गत आने वाली जातियों की भी गणना होगी.
जातिगत जनगणना का असर हर राज्य और केंद्र शासित प्रदेश में होने वाला है. जातिगत जनगणा के आंकडे आने के बाद आरक्षण को लेकर बहस छिड़ सकती है. अगर बात हिंदी भाषी राज्य हरियाणा की करें तो यहां जातियों का जमावड़ा हमेशा से ही चर्चा का केंद्र रहा है.
आपने हरियाणा के लोगों को 36 बिरादरियों का जिक्र करते हुए सुना होगा. हरियाणा में 36 से ज्यादा जातियां हैं इसी वजह से इसका इस्तेमाल सर्व समाज के लिए किया जाता है
हरियाणा राज्य में हमेशा से जाति को लेकर कई तरह के बड़े-बड़े दावे किए जाते हैं. जिसे लेकर सियासी बवाल भी देखने को मिले हैं. आइए जानें जातिगत जनगणना कराने से हरियाणा में क्या असर देखने को मिलेगा.
आसान भाषा में समझे क्या है जातिगत जनगणना?
जनगणना दो शब्दों से मिलकर बना है. जिसमें जन मतलब-जनता और गणना मतलब- गिनती. आसान भाषा में बोले तो जन की गिनती. वहीं अगर जाति जनगणना का मतलब जाति पूछकर लोगों की गिनती करना. इस जनगणना की मदद से देश में अलग-अलग जाति के रहने वाले सभी लोगों की जानकारी एकत्रित कर जाएगी.
पहले जनगणना में केवल SC-ST जातियों की गिनती होती है, लेकिन अब जाति जनगणना मं OBC जाति को भी शामिल कर दिया गया है.
इस जाति जनगणना के मदद से देश में रहने वाले लोगों की जाति का पता ही चलेगा. साथ ही उनकी समाज में शैक्षणिक, आर्थिक और सामाजिक स्थिति के बारे में भी पूरी जानकारी मिलेगी. खासतौर पर सबकी नजर ओबीसी वर्ग पर टिकी हुई है.
हरियाणा की जाति संरचना पर नजर डालें
हरियाणा में कुल जनसंख्या लगभग 2.53 करोड़ ( 2,53,51,462) है. राज्य में मुख्यतौर पर जाट, दलित और ओबीसी का तबका सबसे ज्यादा है. जाट ने हरियाणा की राजनीति, इतिहास में अहम भूमिका निभाई है. यहां देखें किस जाति मे कितने प्रतिशत आबादी
जाति आबादी (प्रतिशत में)
सामान्य वर्ग 45.00
अन्य पिछड़ी जाति 35.00
अनुसूचित जाति 20.17
अनुसूचित जनजाति 00.00
यह आंकड़े साल 2011 में हुई जनगणना के आधार पर है.
जाति आबादी (प्रतिशत में)
ब्राह्मण 7.5
अहीर 5.1
वैश्य 5
जाट सिख 4
मेव और अन्य मुस्लिम 3.8
राजपूत 3.4
गुर्जर 3.4
सैनी 2.9
कुम्हार 2.7
रोड़ 1.1
बिश्नोई 0.7
बता दें, ये सभी आंकड़े अनुमानित है.
किस समुदाय में शामिल होंगे जाट?
सामान्य तौर पर जाट, सामान्य श्रेणी में शामिल होता है, लेकिन साल 2016 में जाट समाज ने आरक्षण की मांग करते हुए आंदोलन किया था. उन्होंने (जाट समुदाय) सरकार से सरकारी नौकरी और शैक्षणिक संस्थानों में अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) के तहत आरक्षण की मांग की थी.
भाजपा सरकार से पहले जब केंद्र में संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (UPA) की सरकार थी, तो उन्होंने जाट समुदाय को ओबीसी (OBC) आरक्षण कोटे में शामिल किया गया था, लेकिन पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने इस फैसले को खारिज कर दिया था.
हरियाणा में कई बड़े आंदोलन में जाट समुदाय काफी एक्टिव रहा है. सोनीपत, झज्जर, रोहतक, करनाल, भिवानी, पानीपत, फतेहबाद, रेवाड़ी, जींद और कैथल जिले में जाट सबसे ज्यादा संख्या में रहते हैं. जाट समुदाय ने भी कई बार केंद्र सरकार से जातिगत जनगणना की मांग की है.
जानिए क्यों जरूरी है जातिगत जनगणना?
साल 1990 में वीपी सिंह की सरकार ने मंडल कमिशन के सुझावों को मानकर इसकी रिपोर्ट को लागू किया था. तब वीपी सरकार ने 1931 की सेंसस को बेस मानकर ओबीसी को आरक्षण दिया था. बता दें, 1931 में ओबीसी की आबादी 52 प्रतिशत के करीब थी.
बदलते समय के साथ-साथ देश में पिछड़े वर्ग की आबादी भी बढ़ती गई. ऐसे में अब जातिगत जनगणना से इस बात का पता चलेगा कि क्या ओबीसी की आबादी 52 प्रतिशत है या नहीं?
हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने आरक्षण को लेकर एक फैसला दिया था, जिसके तहत 50 प्रतिशत से ज्यादा किसी भी शैक्षणिक संस्थान और सरकारी नौकरी में आरक्षण नहीं मिलेगा.
संविधान की किस सूची का विषय है जनगणना?
संविधान के अर्टिकल-246 के तहत जनगणना संघ सूची का विषय है. यह संविधान की सातवीं अनुसूची के 69 नंबर में सूचीबद्ध है. जनगणना कराने और उससे संबंधित विषय पर कानून बनाने का अधिकार केवल केंद्र सरकार का है. जबकि जनसंख्या नियंत्रण और परिवार नियोजन संविधान की समवर्ती सूची का विषय है. इसे 42वें संविधान संशोधन 1976 के माध्यम से समवर्ती सूची में जोड़ा गया है. इसका मतलब है कि इस विषय पर केंद्र और राज्य दोनों कानून बना सकते हैं.
दरअसल, राज्य सरकारें जनगणना नहीं करा सकती हैं. यह काम केवल केंद्र सरकार करती है. इसलिए राज्य सरकार इसे सर्वे का नाम देती हैं.
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