Bhakra-Nangal Dam: हरियाणा-पंजाब में पानी को लेकर विवाद तेजी से बढ़ रहा है. भाखड़ा बांध के माध्यम से हरियाणा को दिए जाने वाले पानी को पंजाब की भगवंत मान सरकार ने कम कर दिया है. इस बात की जानकारी खुद पंजाब के सीएम भगवंत मान ने 29 अप्रैल, 2025 को एक वीडियो के जरिए दी थी.
जिसके बाद हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने भगवंत मान पर गलत तरह की राजनीति करने का आरोप लगाया.
बता दें, पहले हरियाणा को 9 हजार क्यूसेक पानी दिया जाता था, जिसमें 5 हजार क्यूसेक पानी की कटौती कर दी गई है. मान सरकार के इस फैसले के बाद हरियाणा के कई जिलों में लोगों को पानी की गंभीर समस्या का सामना करना पड़ रहा है.
भगवंत मान जी, जल वितरण के इस मुद्दे का राजनीतिकरण करने का प्रयास न करें।
यह SYL नहर के पानी के बारे में नहीं है – यह पीने के पानी के बारे में है। pic.twitter.com/KRmtgUqLcI
— Nayab Saini (@NayabSainiBJP) April 30, 2025
बढ़ते विवाद के बीच BBMB ने धारा 7 के तहत इस मामले को केंद्र सरकार के पास भेजने के लिए एक पत्र लिखा. इसके बाद हरियाणा के पूर्व सीएम मनोहर लाल खट्टर ने पंजाब सरकार पर आरोप लगाते हुए एक बयान दिया. जिसमें उन्होंने कहा कि पंजाब की मान सरकार राज्य धर्म निभा रही. जिसके बाद मामला और भी गरमाने लगा.
बाद में सीएम मान ने हरियाणा के मुख्यमंत्री सैनी को पत्र लिखते हुए उनके ऊपर राजनीति करने का आरोप लगाया. बढ़ते मामले को देखते हुए BBMB की एक मीटिंग हुई. जिसमें दिल्ली, हरियाणा, पंजाब और राजस्थान सरकार के प्रतिनिधित्व शामिल हुए. लेकिन इस मीटिंग मे कोई हल नहीं निकला.
जानिए क्या है दोनों राज्यों ने एक-दूसरे पर क्या लगाए आरोप
हरियाणा का आरोप:
- हरियाणा सरकार का कहना है कि पंजाब सरकार नियम के अनुसार पानी नहीं दे रहा है. मान सरकार ने BBMB के नियमों का उल्लंघन किया.
- सीएम सैनी का कहना है कि हरियाणा को केवल 4000 क्यूबेक पानी दिया जा रहा है. जो उनकी जरुरत का केवल 44 प्रतिशत है.
पंजाब का आरोप:
- पंजाब सरकार का कहना है कि उनके राज्य में पहले से पानी की समस्या है. भूजल का स्तर 300 फीट से नीचे पहुंच चुका है.
- सीएम भगवंत मान का कहना है कि हरियाणा पहले ही अपने हिस्से से ज्यादा (103%) पानी यूज कर चुका है. अब हरियाणा को एक्स्ट्रा पानी नहीं दिया जाएगा.
- पंजाब सरकार ने हरियाणा पर आरोप लगाया है कि हरियाणा, राजस्थान को मिलने वाले पानी की भी यूज खुद कर रहा है.
दो समय पर होता है पानी का बंटवारा
पहला है डैम वॉटर फिलिंग पीरियड: इस समय पर बांध को भरा जाता है. यह कार्य (21 मई से 20 सितंबर) तक होता है. साथ ही पानी की सप्लाई लिमिटेड होती है.
दूसरा है डैम वॉटर डिप्लीशन पीरियड: इस समय (21 सिंतबर से 20 मई) सभी राज्यों को नियमानुसार उनके हिस्से का पानी दिया जाता है.
पंजाब सरकार ने भाखड़ा डैम से जो पानी रोका है, आखिर ये बांध किस नदी पर है? किन-किन राज्यों में इस बांध के तहत पानी पहुंचाया जाता है? कब इस बांध का निर्माण हुआ था? इस बांध को बनाने का आखिर क्या उद्देश्य था? इन सभी प्रश्नों के जवाब आपको यहां पर आसानी से मिल जाएंगे.
भाखड़ा-नांगल दो अलग-अलग बांध

दरअसल, भाखड़ा और नांगल दो अलग-अलग बांध हैं. ये दोनों बांध एक ही प्रोजेक्ट के तहत बनाए गए थे. जहां भाखड़ा बांध हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर जिले और नांगल बांध पंजाब में स्थित है. यह बांध बिलासपुर जिले में स्थित सतलुज नदी पर बना हुआ है. भाखड़ा और नांगल बांध में करीब 10 किलोमीटर की दूरी है.
पंचवर्षीय योजना में कृषि क्षेत्र को दिया बड़ा उपहार

1 अप्रैल, 1951 में भारत में पंचवर्षीय योजना की शुरूआत की गई थी. पहली पंचवर्षीय योजना में कृषि क्षेत्र को महत्व दिया गया था. सरकार ने कृषि क्षेत्र को योजन के तहत कुल 2378 करोड़ रुपए दिए थे. इस बजट का करीब 27.2 प्रतिशत खर्चा सिंचाई और ऊर्जा पर होना था.
सरकार ने कृषि क्षेत्र में सिंचाई की व्यव्स्था को बेहतर करना, मानसून पर निर्भरता को कम करने के लिए बांध बनाना बेहद जरुरी समझा. ऐसा करने से कृषि उत्पादकता पर काफी अच्छा असर होगा. कृषि के अलावा उद्योगों को भी इस बांध से लाभ मिलता, क्योंकि इससे बिजली भी आसानी से बनती.
तत्कालीन भारत सरकार ने एक डैम बनाने की योजना बनाई, जिससे लंबे समय से अंग्रेज बनाना चाहते थे. यह बांध पंजाब और हिमाचल प्रदेश के बीच बनाया गया था, जिसका उद्देश्य बरसात के दिनों में आने वाले पानी का सरंक्षण किया जा सकें. इस परियोजना का नाम भाखड़ा-नांगल डैम (Bhakra-Nangal Dam) रखा गया था.
बता दें, आजादी से पहले जनरल लुई डेन ने इस बांध बनाने का प्लान किया था. साल 1908 में उन्होंने इस सुझाव को ब्रिटिश हुकुमत के सामने पेश किया, लेकिन पैसों की कमी होने की वजह से यह डैम नही बन पाया था.
जानिए भाखड़ा-नांगल डैम का इतिहास

इस बांध को बनाने के लिए सन् 1944 (आजादी से पहले) में पंजाब के तत्कालीन राजस्व मंत्री छोटू राम ने हिमाचल के बिलासपुर के राजा के साथ एक समझौता साइन किया था. फिर 8 जनवरी,1945 को इस परियोजना को फाइनल रुप दे दिया गया था.
साल 1946 में इस परियोजना का काम शुरू हुआ ही था कि भारत देश अंग्रेजों के गुलामी से आजाद हो गया था और अंग्रेज भारत छोड़कर वापस चले गए थे.
बांध को बनाने के लिए कई बार प्रस्ताव रखा गया, लेकिन हर बार प्रस्ताव को खारिज कर दिया गया. आखिरकार साल 1948 में बांध परियोजना की रिपोर्ट पास हो गई. बता दें, रिपोर्ट में नांगल, भाखड़ा डैम और नहरों को बनाने का प्रस्ताव रखा गया था.
इसके बाद आखिरकार साल 1951 में इस प्रोजेक्ट का काम शुरू हुआ. इस बांध को बनाने के लिए अमेरिका से इंजीनियरों को टीम को बुलाया गया. साल 1954 में पंडित नेहरू जी ने इस परियोजना का उद्धाटन किया था.
22 अक्टूबर, 1963 को यह डैम पूरा बनकर तैयार हो गया था. भारत के प्रथम प्रधानमंत्री नेहरु ने यह बांध देश की जनता को समर्पित कर दिया था. इस बांध को बनने में पूरा 12 साल का समय लगा था.
इन राज्यों को मिलेगा पानी

भाखड़ा-नांगल बांध से पानी प्रमुख पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और राजस्थान को मिलता है. इसके अलावा दिल्ली में भी इस डैम का पानी प्राप्त किया जाता है.
इस बांध को बनाने के मुख्य उद्देश्य किसानों को सिंचाई करने के लिए पानी देना, बिजली उत्पादन और बाढ़ की स्थिति को कंट्रोल करना.
यह बांध पूरे भारत की सबसे बड़ी बहुउद्देश्यीय नदी घाटी परियोजना है. इस डैम को बनाने में कुल 236 करोड़ रुपये की लागत आई थी. जवाहर लाल नेहरु, कुंवर सेन गुप्ता, राय बहादुर और हार्वे स्लोकम के नेतृत्व में इस बांध का निर्माण किया गया था.

इस बांध को बनाने के लिए जरुरी सामानों को ढोने के लिए रोपल से नांगल तक रेलवे लाइन बिछाई गई. जो करीब 60 किलोमीटर लंबी थी. साथ ही इस दौरान एक अस्पताल भी बनाया गया था.
जानिए किस राज्य के हिस्से में कितने प्रतिशत पानी?
भाखड़ा-नांगल बांध की कुल लंबाई 649 किलोमीटर है. जिसमें से 169 किलोमीटर पंजाब, हरियाणा के हिस्से में 14 किमी तथा बचा हुआ हिस्सा राजस्थान के पास है. समझौते के अनुसार हरियाणा के हर साल 4.4 मिलियन एकड़ फुट पानी मिलना चाहिए.
बांध बनने से हुए ये लाभ
भाखड़ा-नांगल बांध बनने से किसानों को सिंचाई के लिए आसानी से पानी मिलता है. साथ ही, बिजली उत्पादकता में काफी फायदा होता है. बता दें, यह बांध भूकंपीय क्षेत्र मे बना हुआ है, जो पूरे विश्व का सबसे ऊंचा गुरुत्वीय बांध है.
पंजाब के पानी रोकने से क्या होगा असर?
पानी की समस्या: हरियाणा के कई जिलों में पानी की गंभीर समस्या देखने को मिल रही है. जिसमें जींद, हिसार, कैथल, सिरसा,फतेहबाद और भिवानी जिला शामिल है.
सिंचाई पर होगा असर: हरियाणा में पानी की कमी होने से कपास की खेती करने से सिरसा और भिवानी में किसानों की दिक्कत का सामना करना पड़ा रहा है.
दिल्ली में हो सकती है पानी की कमी: हरियाणा में पानी की कटौती करने से दिल्ली की जनता को भी पानी की समस्या से जूझना पड़ सकता है.
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