Pahalgam Terror Attack: जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने का फैसला लिया है. सुरक्षा मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (CCS) ने सिंधु जल संधि को निलंबित करने, पाकिस्तान के नागरिकों के लिए सार्क वीजा जारी करने पर रोक लगाने और अटारी-वाघा सीमा को बंद करने का निर्णय लिया है. साथ ही पाकिस्तान के उच्चायोग को सीमित करने का भी निर्णय लिया है.
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने का निर्णय लिया है. हमले में 25 भारतीयों और एक नेपाली नागरिक की मौत हुई थी. सुरक्षा मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति की प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में बैठक हुई.
सुरक्षा मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने हमले की कड़ी निंदा की और पीड़ितों के परिवारों के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त की. विदेश सचिव ने कहा कि इस हमले के बाद, विश्वभर से कई सरकारों ने भारत के प्रति समर्थन और एकजुटता व्यक्त की है, जो आतंकवाद के प्रति जीरो टॉलरेंस की भावना दर्शाती है.
बैठक में इस आतंकी हमले के पाकिस्तानी संबंधों की जानकारी दी गई. विदेश मंत्रालय के सचिव विक्रम मिस्री ने पत्रकार वार्ता में सीसीएस के निर्णयों की जानकारी दी.
पाकिस्तान क्रॉस-बॉर्डर आतंकवाद का समर्थन
इसके अनुसार, सिंधु जल संधि को तत्काल प्रभाव से निलंबित किया जाएगा, जब तक पाकिस्तान क्रॉस-बॉर्डर आतंकवाद का समर्थन छोड़ने की विश्वसनीय और स्थायी प्रतिबद्धता नहीं करता. अटारी चेक पोस्ट को तुरंत बंद किया जाएगा, जो लोग वैध अनुमोदनों के साथ पार कर चुके हैं, उन्हें 01 मई 2025 से पहले लौटने का अवसर दिया जाएगा. पाकिस्तानी नागरिकों को सार्क वीजा छूट योजना के तहत भारत आने की अनुमति नहीं होगी. पहले जारी किए गए वीजा रद्द कर दिए गए हैं और वर्तमान में भारत में मौजूद पाकिस्तानी नागरिकों को 48 घंटे के भीतर देश छोड़ना होगा.
पाकिस्तानी उच्चायोग में रक्षा, नौसेना और वायु सलाहकारों को “पर्सोना नॉन ग्राटा” घोषित किया गया है. इन्हें एक सप्ताह के भीतर भारत छोड़ने का आदेश दिया गया है. भारत भी इस्लामाबाद में अपने रक्षा/नौसेना/वायु सलाहकारों को वापस बुलाएगा. इसके अलावा, उच्चायोगों की कुल संख्या को वर्तमान 55 से घटाकर 30 किया जाएगा, जो 01 मई 2025 तक प्रभावी होगा.
सुरक्षा मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने सुरक्षा स्थिति की समीक्षा की और सभी बलों को उच्च सतर्कता बनाए रखने का निर्देश दिया. यह सुनिश्चित किया गया कि हमले के अपराधियों को न्याय के कटघरे में लाया जाएगा और उनके प्रायोजकों को भी जवाबदेह ठहराया जाएगा. भारत आतंकवादियों के खिलाफ अपनी कार्रवाई को जारी रखेगा.
क्या है सिंधु जल समझौता?
19 सितंबर 1960 को भारत और पाकिस्तान के बीच कराची में सिंधु नदी तंत्र की नदियों को लेकर समझौता हुआ. उस समय के तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और पाकिस्तानी राष्ट्रपति अयूब खान ने इस समझौते पर हस्ताक्षर किए थे. समझौते में सिंधु बेसिन से बहने वाली 6 नदियों को पूर्वी और पश्चिमी हिस्से में बांटा गया. इनमें ब्यास, रावी और सतलुज को पूर्वी नदियां मानते हुए इनका पानी भारत के लिए तय किया गया. वहीं, सिंधु, चेनाब और झेलम को पश्चिमी नदियां माना गया और इनका पानी पाकिस्तान के लिए तय किया गया.
बता दें, पाकिस्तान को इन नदियों के प्रवाह का 80 प्रतिशत पानी मिलता है. पाकिस्तान की 21 करोड़ से ज्यादा आबादी इसी जल पर निर्भर है. पंजाब और सिंध प्रांत की खेती इसी पानी पर निर्भर है. इस समझौते के तहत भारत सिंधु नदी प्रणाली के पानी का केवल 20% ही इतेमाल कर सकता है. बाकी 80% पानी पाकिस्तान को देता है. सिंधु पाकिस्तान की लाइफलाइन मानी जाती है.
पाकिस्तान की खेती, पीने का पानी और बिजली उत्पादन का बड़ा हिस्सा इसी पानी पर निर्भर है. समझौते को रोकने से पाकिस्तान बूंद-बूंद पानी के लिए तरस जाएगा. पाकिस्तान खेतीबाड़ी पर इसका बड़ा असर होगा.
पाकिस्तान पहले से ही आर्थिक संकट से गुजर रहा है. अनाज की कमी से भूखमरी की मार भी पाकिस्तान से झेल रहा है. अब भारत के इस प्रहार से उसकी कमर टूटने जा रही है.
साभार – हिंदुस्थान समाचार
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