TRF: जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल 2025 को आतंकियों (Pahalgam Terror Attack) ने बैसरन घाटी में घूमने आए पर्यटकों को निशाना बनाया है. इस हमले में कई लोगों की जान चली गई. मृतकों में भारतीय पर्यटकों के साथ-साथ 2 विदेशी पर्यटक भी शामिल हैं. बताया जा रहा है कि आतंकवादियों ने पहले पर्यटकों से उनका धर्म पूछा और कलमा पढ़ने का कहा, जिसके बाद गैर-मुस्लिम को इन दहशतगर्दों ने गोली मार दी और वहां से भाग गए. भारतीय सुरक्षाबलों ने पूरे इलाके को घेर लिया और इन आतंकियों की धड़पकड़ के लिए लगातार सर्च ऑपरेशन चलाया जा रहा है.
बता दें कि इस आतंकी हमले के तार भी पड़ोसी देश पाकिस्तान से जुड़े हुए हैं. आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा की शाखा ‘द रेजिस्टेंस फ्रंट'(TRF) ने इस हमले की जिम्मेदारी ली है. जिसके बाद भारतीय एजेंसियां अलर्ट मोड पर है. पीएम मोदी खुद सऊदी अरब की दो दिवसीय यात्रा छोड़कर वापस स्वदेश लोट आए हैं. उन्होंने विदेश मंत्री और NSA अजीत डोभाल के साथ उच्च स्तरीय बैठक भी की है.
जानिए क्या है आतंकी संगठन TRF?
‘द रेजिस्टेंस फ्रंट’ यानि The Resistance Front (TRF) पाकिस्तान के आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा की ही एक ब्रांच है. माना जाता है कि दहशतगर्दों के इस संगठन का गठन पुलवामा हमले (14 फरवरी 2019) के बाद किया गया. लेकिन इसने पहले ही घाटी में अपने पैर पसारने शुरू कर दिए थे. शुरूआती समय में यह एक ऑनलाइन यूनिट के तौर पर काम करता था, लेकिन इसे लश्कर-ए-तैयबा सहित विभिन्न आतंकी संगठनों का साथ मिलता गया.
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, TRF को पाकिस्तान की एक खुफिया एजेंसी ISI ने बनाया था. बता दें कि अगस्त 2019 में जब जम्मू-कश्मीर से धारा-370 हटाई तो यह संगठन पूरे प्रदेश में एक्टिव हो गया. जिसका उद्देश्य कश्मीर में आतंकवादी गतिविधियों को बढ़ावा देना था.
उस समय के दौरान पाकिस्तान, अपनी धरती पर पनपने वाले आंतकी संगठनों को लेकर पूरी दुनिया में चौतरफा घिर चुका था. 2018 में पाकिस्तान को FATF (वित्तीय कार्रवाई कार्य बल) की ग्रे लिस्ट में शामिल किया गया था. इस संगठन को बनाने का एक उद्देश्य यह भी था कि लश्कर-ए-तैयबा संगठन और आंतकी फंडिग मामले से दुनिया का ध्यान हटा सकें.
दरअसल, पुलवामा अटैक के बाद तो पाकिस्तान पूरी तरह से बेनकाब हो चुका था. ऐसे में आतंक के आकाओं ने TRF नामक संगठन बनाने का फैसला किया. जिसकी आड में वो कश्मीर में अपना एजेंडा चला सकें.
इतना ही नहीं TRF का नाम तो रेजिस्टेंस फ्रंट के नाम पर है. लेकिन यह पूरी तरह से घाटी में आंतकवाद को पसारने में आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के बाएं हाथ के तौर पर कार्य कर रहा है. इसकी फंडिंग भी पाकिस्तान से ही होती है. इस आतंकी संगठन में शामिल गुर्गे मुख्यतौर पर कश्मीरी पंडित, सिखों,आम नागरिकों और सुरक्षाकर्मियों को निशाना बनाते हैं. ये लोग आम युवाओं को अपने संगठन में शामिल करने के लिए सोशल के जरिए भर्ती का प्रचार करते हैं.
शेख सज्जाद गुल है TRF का लीडर
शेख सज्जाद गुल इस आतंकी संगठन TRF का संस्थापक है. गुल एक कश्मीर का आतंकवादी है. बता दें सबसे पहली बार साल 2018 में श्रीनगर में मशहूर जर्नलिस्ट शुजात बुखारी और उनके 2 निजी सुरक्षा अधिकारियों की हत्या के मामले में इसका नाम सामने आया था.
केंद्र की मोदी सरकार ने साल 2023 में गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम के तहत TRF पर प्रतिबंध लगा दिया था और सज्जाद गुल को आतंकी घोषित करार किया था.
- इन आतंकी हमलों में TRF का नाम शामिल
साल 2024 में जम्मू-कश्मीर के गंदेरबल जिले के सोनमर्ग इलाके में आतंकियों ने एक डॉक्टर समेत 6 स्थानीय श्रमिक की गोली मारकर हत्या कर दी थी. - साल 2023 में पुलवामा में कश्मीरी पंडित संजय शर्मा की हत्या में इस आतंकी संगठन का नाम शामिल है.
- साल 2020 में साउथ कश्मीर के कुलगाम जिले में आतंकवादियों ने BJP के तीन कार्यकर्ताओं की गोली मारकर हत्या की थी.
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