Sheetala Mata Mandir Gurugram: हरियाणा के गुरुग्राम में माता शीतला का भव्य मंदिर स्थित है. यह मंदिर काफी ऐतिहासिक है. बताया जाता है कि लगभग तीन दशक पहले शीतला माता ने यहां के सिंघा जाट के सपने में आकर दर्शन दिए थे. उसके बाद इस भव्य मंदिर का निर्माण किया गया था. माना जाता है कि यहां माता साक्षात रुप में निवास करती है. इस आर्टिकल में आपको शीतला माता और मंदिर के बारे में सभी जानकारी दी जाएगी.
जानिए कौन है शीतला माता

ब्राह्मण, जाट, क्षत्रिय, गुर्जर और वैश्य समाज में माता शीतला को कुलदेवी के रुप में पूजा जाता है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, शीतला माता भगवान शिव की पत्नी शक्ति का ही एक स्वरुप मानी जाती है. माता शीतला का इतिहास 500 सालों से भी ज्यादा पुराना है. माना जाता है कि पहले देवी शीतला का मंदिर दिल्ली के केशोपुर में स्थित था. साल 1901 के अनुसार, सिंघा जाट के सपने में आकर दर्शन दिए थे. जिसके बाद इस मंदिर को यहां (गुरुग्राम) में बनाया गया था.
मान्यता है कि देवीलोक से माता शीतला हाथ में दाल के दाने लेकर धरती पर राजा विराट के राज्य में रहने के लिए आई थी. शीतला माता के दर्शन करने हर साल करीब 10 लाख से ज्यादा श्रद्धालु आते हैं. देवी शीतला के दर्शन करने के लिए सोमवार के दिन बड़ी संख्या में भक्तों का तांता लगा रहता है.

वैसे तो शीतला माता के कई सारे मंदिर हैं, लेकिन गुरुग्राम में स्थित शीतला माता मंदिर का लोगों के बीच विशेष महत्व है, क्योंकि इस मंदिर का महाभारत काल के समय से भी खास संबध है.
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माना जाता है कि जो भी भक्त इस मंदिर में पूजा करने आते हैं उनकी सभी इच्छाएं पूरी होती है. गुरुग्राम में स्थित शीतला मंदिर में लोग दूर-दूर से आकर शादी और मुंडन जैसे कार्यक्रम करते हैं.
शीतला माता को भक्त प्रसाद के तौर पर मुरमुरे चढ़ाए जाते हैं. साथ ही लाल रंग की चुन्नी भी चढ़ाई जाती है.
हर मन्नत होती है पूरी

मंदिर के प्रवेश द्वारा पर बरगद का पेड़ है. मान्यता है कि श्रद्धालु अपनी मन्नत मांगने के लिए इस पेड़ पर मौली, चुन्नी और जल चढ़ाते हैं. यहां महिलाएं संतान प्राप्ति के लिए माता शीतला की पूजा भी करती हैं.
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महाभारत काल से खास कनेक्शन
शीतला माता मंदिर का महाभारत के समय से भी खास संबध है. माना जाता है कि यहीं पर द्रोणचार्य ने पांडवों और कौरवों को शिक्षा दी थी. स्कन्द पुराण के अनुसार माता शीतला को स्वच्छता की देवी भी कहा जाता है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, ब्रह्मा जी ने शीतला माता को पूरे विश्व को आरोग्य रखने का कार्य सौंपा था. देवी शीतला हर तरह के रोग और कष्टों को दूर करती हैं.
हिंदू धर्म में माता शीतला का बेहद महत्व है. माना जाता है कि चिकन पॉक्स या स्मॉल पॉक्स का रोग माता शीतला के कोप से ही पनपता है. इस रोग से मुक्ति पाने के लिए रोगी से माता शीतला के नाम आटा, दाल, चावल और गुड़ आदि का दान भी कराया जाता है.
शीतला सप्तमी का त्योहार

बता दें, होली के सातवें दिन यानि चैत्र महीने के कृष्ण पक्ष की सप्तमी के दिन शीतला सप्तमी का त्योहार मनाया जाता है. कई लोग इसे होली के आठवें दिन भी मनाते हैं, इसलिए इसे शीतला अष्टमी कहते हैं. शीतला सप्तमी को बसौड़ा नाम से भी जाना जाता है.
साल में 2 बार लगता है कुंभ जैसा मैला
गुरुग्राम में स्थित इस मंदिर में शीतला माता के दर्शन करने श्रद्धालु बहुत-बहुत दूर से आते हैं. साल में आने वाली 2 नवरात्रों के दौरान यहां पर कुंभ जेसा मेले का आयोजन होता है, जो पूरे एक महीने तक चलता है. मदिर प्रशासन के द्वारा मिली जानकारी के अनुसार, नवरात्र के शुभ मौके पर यहां पर लगभग 50 लाख श्रद्धालु दर्शन करने के लिए आते हैं.
कैसे पहुंचे शीतला मंदिर
सड़क मार्ग से
अगर आप सड़क मार्ग से शीतला माता मंदिर आने की सोच रहे हैं, तो गुरुग्राम बस स्टैंड से यह मंदिर करीब 2.7 किलोमीटर की दूरी पर है. यहां से आप ई-रिक्शा, ऑटो , टैक्सी के माध्यम से मंदिर पहुंच सकते हैं.
मेट्रो स्टेशन से आने के लिए मंदिर के सबसे पास इफको मेट्रो स्टेशन है. यहां से मंदिर करीब 3 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. यहां से आप ऑटो, टैक्सी की मदद से मंदिर तक पहुंच सकते हैं.
रेल मार्ग
अगर आप ट्रेन से इस मंदिर आने का प्लान कर रहे हैं, तो यहां का सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन गुरुग्राम है. यहां से मंदिर की दूरी करीब 3 किलोमीटर है. रेलवे स्टेशन से यहां मंदिर तक पहुंचने के लिए आप रिक्शा, टैक्सी की मदद ले सकते हैं.
हवाई मार्ग
गुरुग्राम में स्थित शीतला माता मंदिर का आने के लिए आपको नजदीकी इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट है, जोकि नई दिल्ली में स्थित है. यहां से आपको मंदिर आने के लिए टैक्सी और बस के माध्यम से आप मंदिर तक आ सकते हैं.
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