Panipat Textile Business: हरियाणा का पानीपत (Panipat) जिला हमेशा से अपनी जमीन पर हुई तीन लड़ाईयों के चलते पूरे देश में लोगों के बीच में मशहूर है. लेकिन इसके साथ-साथ पानीपत ने कई अलग-अलग कीर्तिमानों में अपनी पहचान बनाई है. जिसके बारे में केवल कुछ ही लोग जानते हैं. पानीपत अलग-अलग देशों से आए वेस्ट कतरनों को रि-यूज करने में पूरे वर्ल्ड में पहले स्थान पर है.

पानीपत अमेरिका और कई यूरोपियन देशों से आने वाले खराब कपड़े से धागे और नए कपड़े बनाकर उन्हीं को भेजकर विदेशी मुद्रा कमा रहा है. यह काम पिछले कई सालों से यहां पर किया जा रहा है. पूरे विश्व में यह मुकाम उद्योमियों ने अपनी मेहनत पर हासिल किया है. पानीपत में वेस्ट कतरन से बने धागों से पेंट, टी-शर्ट और जुराब आदि चीजें बनाई जाती हैं.

पानीपत को पूरे विश्व में टैक्सटाइल हब (Panipat Textile Business Hub) के नाम से भी जाना जाता है. आपको बता दें, अकेले पानीपत जिले में लगभग साढ़े 7 हजार करोड़ रुपये के हैंडलूम प्रोडक्ट पूरे साल में एक्सपोर्ट किए जाते हैं.
वैसे तो भारत को आजादी मिलने के समय से ही पानीपत में हैंडलूम का काम काफी तेजी से चल रहा था. साल 1987 में पानीपत में ओपन इंडस्ट्री की शुरूआत हुई थी. यहां पर बनने वाले कंबल पूरे देश में पंसद किए जाने लगे थे. लेकिन अब पानीपत में रिसाइकिल/ रियूज धागों का कारोबार पिछले 15 सालों में एक इंडस्ट्री का रुप ले चुका है.
जानें वेस्ट कपड़े से धागा बनाने का पूरा प्रोसेस

पानीपत के स्पिनिंग मिल लगभग 80 विदेशों से कई टनों में यूज्ड कपड़ा मंगवाते हैं. उसके बाद रंगों की छटाई कर कपड़ों से रूई बनाने की पूरी प्रक्रिया की जाती है. फिर उसी रुई से धागे बनाए जाते हैं. इस पूरी प्रक्रिया में बहुत ही कम खर्चा आता है. इसकी कारण से पानीपत पूरे विश्व में धागा इंडस्ट्री में मशहूर हुआ है.

बता दें, पूरे भारत में धागा रियूज करने के लिए 80 प्रतिशत उद्योग पानीपत में स्थित है. पानीपत में करीब 400 स्पीनिंग मिल है, जो हर रोज 20 हजार किलो धागा बनाती है. जिसका रोजाना का टर्न ओवर 500 करोड़ रुपये है.
हरियाणा चैंबर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष प्रीतम सिंह सचदेवा ने एक मीडिया वेबसाइट को बताया कि पानीपत रिसाइकलिंग उद्योग निर्यात से करीब 7-8 हजार करोड़ रुपये का कारोबार होता है. उन्होंने बताया कि उनका 80 प्रतिशत कारोबार इसी रिसाइकिल धागे पर निर्भर है.
जानिए क्या है ओपन-एंड स्पिनिंग यार्न तकनीक?
ओपन-एंड स्पिनिंग एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें बिना स्पिंडल के धागा तैयार किया जाता है. इस धागे से लगभग 4000 करोड़ रुपये का कारोबार होता है. वहीं बेकार पड़े ऊनी कपड़ो को रिसाइकिल करके भी कम क्वालिटी का धागा तैयार किया जाता है. जिसका साल भर में लगभग 2000 करोड़ रुपये का कारोबार होता है.
इस तरह किया जाता है रिसाइकिल का एक्सोपर्ट
रैग उद्यमी खुद या एजेंट की मदद से रिसाइकिल धागे के लिए दूसरे उद्यमियों और एक्सपोर्टर के संपर्क में आते हैं. यहां मिलने वाला सामान्य धागे से 20 से 25 प्रतिशत सस्ता होता है. उद्यमी इन धागों को खरीदकर इस धागे से दरी, डोरमेट, बाथरुम मेट, कंबल, शॉल आदि सामान बनाते हैं.
जागरण की रिपोर्ट के अनुसार, इन उद्योगों ने करीब 12 लाख लोगों को रोजगार प्रदान किए हैं.
PM मोदी ने मन की बात कार्यक्रम में की थी पानीपत की तारीफ
Discussed a topic of global importance – textile waste and how India’s youth is helping to overcome this challenge. #MannKiBaat pic.twitter.com/w1MYa9WTPr
— Narendra Modi (@narendramodi) March 30, 2025
हाल ही में पीएम मोदी ने भी अपने ‘मन की बात कार्यक्रम’ के 120वें के एपिसोड में पानीपत टैक्सटाइल का जिक्र किया था. पीएम मोदी ने कहा कि पानीपत ने पूरे विश्व में एक अलग पहचान बनाई थी. इस शहर ने वेस्ट मैटेरियल से धागे बनाने की प्रक्रिया से पर्यावरण सरंक्षण में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया है. आज पानीपत शहर टेक्सटाइल रिसाइकलिंग का हब बन चुका है.
इटली को दी मात
भारत के पानीपत ने इटली को पछाड़ कर पहले स्थान पर अपनी जगह बना ली है. भारत पूरे विश्व में सबसे ज्यादा यार्न प्रड्यूस करने वाला देश बन गया है. वर्तमान समय में पानीपत में धागे की कुल 50 इकाईयां नई लगी है. पानीपत में कुल 510 मशीनें इन मिलों में धागा उत्पादन कर रही है. यहां पर लगी एक नई मशीन पुरानी तीन मशीनों के बराबर काम करती है.
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