Holi 2025: हरियाणा का नाम सुनते ही हमारे दिमाग में हमेशा खेती, किसान और पहलवान आता है, लेकिन यहां पर होली भी धूमधाम से मनाई जाती है. पानीपत के डाहर गांव के डाट होली (Dat Holi) की पूरे प्रदेश में अपनी एक अलग पहचान है. हर क्षेत्र में खास ढंग से मनाई जाने वाली होली का अपना ही एक विशेष महत्व होता है. तो आइए जानिए क्या है डाहर गांव की डाट होली?
कब हुई थी डाट होली की शुरूआत?
पानीपत के डाहर गांव में डाट होली खेलने की परंपरा 1288 ईस्वी से चली आ रही है. बताया जाता है कि अंग्रेजों ने इस डाट होली को रोकने की खूब कोशिश की थी, परंतु गांव के लोगों ने उनका जमकर विरोध किया. बता दें, इस होली को खेलने की परंपरा मथुरा की होली से प्रेरित है. गांव के 36 बिरादरी के सभी लोग इस होली को एक साथ खेलते हैं. इस होली को खेलते समय कभी भी झगड़ा नहीं हुआ था.
कुछ इस अनोखे अंदाज में मनाई जाती है डाट होली
जहां सामान्य तौर पर लोग रंगों से बचाना चाहते हैं, वहीं इस होली में लोग दीवारों के सहारे बैठकर रंगों की बरसात को सहते हैं. इस होली को खेलने के लिए सभी लोगों को 2 ग्रुप में बांटा जाता है. दोनों ही ग्रुप एक-दूसरे को पीछे धकेलने को कोशिश करते हैं. जो ग्रुप दूसरे ग्रुप में पहले धक्का देता है वह जीत जाता है.
इस दौरान महिलाएं कढ़ाई पर बनाए गए रंगों को छत्तों से युवाओं पर फेंकती है. इस अनोखे ढंग की होली को देखने के लिए लोग दूर-दूर से पानीपत आते हैं.
इस डाट होली में बच्चे, युवा और महिलाएं शामिल होती है. गांव के लोगों का कहना है कि अगर किसी के घर पर मृत्यु हो भी जाएं, तो भी यह परंपरा छूटती नहीं है. यह त्योहार न केवल रंगों का बल्कि भाईचारे, एकता और प्यार का भी प्रतीक है.
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