Parliament Budget Session 2025: संसद में आज बजट सत्र का नौवां दिन है. दोनों ही सदनों में आम बजट को लेकर चर्चा चल रही है. चर्चा के दौरान कई मुद्दों पर पक्ष-विपक्ष के बीच सियासी गर्मी देखने को मिली. इसी बीच डीएमके सांसद द्वारा दिए गए एक बयान ने पूरे संसद में बवाल मचा दिया. दरअसल डीएमके सांसद दयानिधि मारन ने लोकसभा में संस्कृत भाषा को पैसों से जुड़ा, जिस पर लोकसभा स्पीकर ने आपत्ति जताई और उन्हें खरी-खरी सुना दीं.
दरअसल, डीएमके सांसद ने संसद पर आरोप लगाया कि टैक्सपेयर्स का पैसा उस भाषा में बर्बाद किया जा रहा है, जिसमें कोई बात कर नहीं करता है. यह बिल्कुल गलत है. साथ ही दयानिधि ने संस्कृत भाषा में अनुवाद करने में भी आपत्ति जताई है. उन्होंने कहा कि किसी और आधिकारिक भाषा का इस्केमाल होने पर उन्हें कोई परेशानी नहीं है, लेकिन संस्कृत भाषा उन्हें समझ नहीं आती है. मारन ने अपने पक्ष को मजबूत रखने के लिए साल 2011 में हुई जाति जनगणना का उदाहरण देते हुए कहा है कि भारत में केवल 73 हजार लोग ही संस्कृत भाषा बोल पाते हैं.
लोकसभा अध्यक्ष ने सांसद दयानिधि मारन को लगाई फटकार
DMK MP Dayanidhi Maran: Why are you wasting taxpayers’ money on translating debates into Sanskrit?
Speaker Om Birla responds 🔥: In which country are you living? Debates are translated in 22 languages but you have problem with Sanskrit, with Hindi. It will be translated pic.twitter.com/q3CFXORsWM
— Megh Updates 🚨™ (@MeghUpdates) February 11, 2025
लोकसभा अध्यक्ष दयानिधि द्वारा लगाए गए आरोप पर काफी नाराज नजर आए. उन्होंने सांसद को फटकार लगाते हुए कहा कि माननीय आप किस देश में रहते हैं. यह भारत देश हैं. यहां हमेशा से संस्कृत भाषा को प्राथमिकता दी जाती है. उन्होंने आगे कहा कि मैंने यहां पर कुल 22 भाषा के बारे में बात की है. संसद में कार्रवाई का मान्यता प्राप्त सभी 22 भाषाओं में ट्रांसलेट होता है. सिर्फ संस्कृत भाषा नहीं है. आपको संस्कृत भाषा से क्यों ही इतनी आपत्ति है?
ये हमारे देश का दुर्भाग्य है कि जिस संस्कृत में हमारे धर्मग्रंथ रामायण, महाभारत आदि लिखे गए. वेद-उपनिषद् सभी संस्कृत में ही है. भगवद् गीता जिसने दुनिया को जीना सिखाया. उसके श्लोक भी संस्कृत भाषा में ही है. दुनिया भर में संस्कृत के प्रति उत्सुकता है. उसी संस्कृत भाषा का हमारे ही देश में अपमान किया जा रहा है. बता दें डीएमके की नीति हमेशा से तमिलनाडु को भाषाई आधार पर उत्तर भारत से अलग करने की रही है. इसी वजह से डीएमके लीडर्स हिंदी और संस्कृत का विरोध करते हैं.
यह बात तो सब जानते हैं कि तमिलनाडु सरकार हमेशा से सनातन धर्म और हिंदी भाषा का अपमान करती हैं, लेकिन आज संसद में डीएमके नेता ने भारत की देव भाषा संस्कृत को ही निशाना बना दिया है.
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