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Opinion: यूएसएआईडी का दुरुपयोग

मानवता की आड़ में वामपंथी पारिस्थितिकी तंत्र, जिसमें डीप स्टेट ताकतें और यूएसएआईडी का हिस्सा शामिल है, स्वार्थी कारणों और दुनिया को अपने हिसाब से चलाने की इच्छा के लिए कई देशों की राजनीतिक प्रणालियों और संस्कृतियों को नष्ट कर रहा है.

Akansha Tiwari by Akansha Tiwari
Feb 12, 2025, 04:48 pm GMT+0530
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Opinion: मानवता की आड़ में वामपंथी पारिस्थितिकी तंत्र, जिसमें डीप स्टेट ताकतें और यूएसएआईडी का हिस्सा शामिल है, स्वार्थी कारणों और दुनिया को अपने हिसाब से चलाने की इच्छा के लिए कई देशों की राजनीतिक प्रणालियों और संस्कृतियों को नष्ट कर रहा है. शाहीनबाग, किसान आंदोलन, बांग्लादेश हिंदू नरसंहार, कश्मीर नरसंहार, मुंबई आतंकवादी हमला, नक्सलवाद और आतंकवाद की गतिविधियाँ, शहरी नक्सलियों के भारत विरोधी आख्यान जैसे कई भारत विरोधी प्रदर्शन, सभी वामपंथी पारिस्थितिकी तंत्र द्वारा वित्तपोषण की ओर इशारा करते हैं, जिनमें से एक यूएसएआईडी है. डोनाल्ड ट्रम्प और एलोन मस्क ने मानवता के लिए जोखिम देखा और यूएसएआईडी को बंद कर दिया. विदेशी सहायता रोकने और इसके वितरण के प्रभारी प्रमुख एजेंसी को बंद करने के ट्रम्प प्रशासन के हालिया कदमों ने संघीय खर्च में विवाद के अपेक्षाकृत मामूली लेकिन लंबे समय से चले आ रहे स्रोत पर ध्यान केंद्रित किया है.

इन कदमों ने दुनियाभर के मानवीय संगठनों और सरकारों के बीच अस्पष्टता पैदा कर दी है कि कौन-से कार्यक्रम जारी रह सकते हैं और कौन-से नहीं. स्वास्थ्य, शिक्षा, स्वच्छता और जल जैसी अनेक मानवीय सहायता जारी रखी जानी चाहिए और राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प निःस्संदेह मानवता-विरोधी वामपंथी समूहों को हटाने के बाद ये सहायता शुरू करेंगे.

भारत तथा अन्य विकासशील और अविकसित देशों में मानवता विरोधी कार्रवाइयों के लिए मानवता विरोधियों के वित्तपोषण का किस प्रकार दोहन किया जा रहा है? कुछ उदाहरण-

यूएसएआईडी, जिसपर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की आलोचना हो रही है, उसे अमेरिका के सभी अंतरराष्ट्रीय व्यय का आधे से अधिक फंड प्राप्त होता है. खतरे के संकेतों के बावजूद, यूएसएआईडी ने पाकिस्तान स्थित फलाह-ए-इंसानियत फाउंडेशन (FIF) को वित्तपोषित किया, जो हाफिज सईद के लश्कर-ए-तैयबा (LeT) का मुखौटा है  इस तथ्य के बावजूद कि अमेरिकी सरकार ने एफआईएफ और एलईटी पर प्रतिबंध लगा दिया है, उन्हें यूएसएआईडी से वित्त पोषण प्राप्त हुआ फलाह-ए-इंसानियत फाउंडेशन (FIF) और एलईटी मुंबई में 26/11 के हमलों के लिए जिम्मेदार थे, जिसमें 166 लोग मारे गए थे. पाकिस्तानी आतंकवादियों द्वारा बेरहमी से मारे गए 166 व्यक्तियों में छह अमेरिकी भी थे.

एफआईएफ को यूएसएआईडी का पैसा हेल्पिंग हैंड फॉर रिलीफ एंड डवलपमेंट (HHRD) के माध्यम से भेजा गया था, जो मिशिगन में स्थापित एक मुस्लिम गैर-लाभकारी संस्था है, जिसका दक्षिण एशिया में सक्रिय आतंकवादी समूहों से संबंध है. ट्रम्प ने यूएसएआईडी पर नकेल कसते हुए इसे “डीपस्टेट” करार दिया है. एक्स पर एक पोस्ट में, ट्रम्प से जुड़े एक अकाउंट ने दावा किया कि “जॉर्ज सोरोस ने यूएसएआईडी से $260,000,000.00 प्राप्त किए और इस पैसे का इस्तेमाल श्रीलंका, बांग्लादेश, यूक्रेन, सीरिया, ईरान, पाकिस्तान, भारत, यूके और अमेरिका में अराजकता फैलाने, सरकार बदलने और व्यक्तिगत लाभ के लिए किया।” उनकी टिप्पणी अमेरिकी विदेशी सहायता की बढ़ती जांच में शामिल है, खासकर तब से जब ट्रम्प प्रशासन ने यूएसएआईडी के बजट को फ्रीज कर दिया है. डॉज (DOGE) के सीईओ एलन मस्क ने ट्रम्प की सरकार का समर्थन किया है, जो वामपंथ यूएसएआईडी की वित्तीय सहायता पर जोर देते हैं, जिसे वे “विवादास्पद” उपक्रम बताते हैं.

मस्क की भागीदारी और समर्थन ने शासन परिवर्तन और राजनीतिक प्रभाव के लिए विदेशी सहायता के उपयोग के बारे में रिपब्लिकन की चिंताओंको बढ़ा दिया है. मस्क ने एक्स स्पेसेस की बातचीत में कहा कि उन्होंने ट्रम्प के साथ “यूएसएआईडी के बारे में बात की” और “[राष्ट्रपति] सहमत हुए कि हमें इसे बंद कर देना चाहिए”, ट्रम्प द्वारा यूएसएआईडी के बारे में संवाददाताओं से कहने के बाद, “इसे कट्टरपंथी पागलों के एक समूह द्वारा चलाया जा रहा है, और हम उन्हें बाहर निकाल रहे हैं, और फिर हम [इसके भविष्य के बारे में] कोई निर्णय लेंगे।”

भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने कहा कि यूएसएआईडी द्वारा वित्तपोषित एनजीओ ने सरकार की अग्निवीर परियोजना का विरोध किया, जाति जनगणना को बढ़ावा दिया और देश में नक्सलवाद का समर्थन किया.

अमेरिकी विदेशी सहायता पारंपरिक रूपसे विकास के बजाय राजनीतिक शक्ति पर केंद्रित रही है. यूएसएआईडी द्वारा वित्तपोषित कार्यक्रमों ने बार-बार प्राप्तकर्ता देशों को अमेरिका के अनुकूल नीतियों को अपनाने, अमेरिकी फर्मों के पक्ष में बाजार सुधारों को लागू करने और सैन्य प्रभुत्व के लिए रणनीतिक आधार के रूप में कार्य करने के लिए प्रेरित किया है. सहायता स्वयं कभी-कभी सच्ची आत्मनिर्भरता बनाने के बजायअल्पकालिक उपायों को प्राथमिकता देती है, जिससे कई विकासशील देश आर्थिक सशक्तीकरण की बजाय निर्भरता के चक्र में फंस जाते हैं. इन कमजोरियों के बावजूद, यूएसएआईडी अमेरिकी सॉफ्ट पावर का एक महत्वपूर्ण उपकरण रहा है.

देखिए, यूएसएआईडी किसी कारणयाकार्यके लिए सिर्फ चेक लिखकर नहीं चला जाता है. यह जमीन पर राज्य के कर्मियों, अनुबंध श्रमिकों और गैर-सरकारी संगठनों (NGO) के संयोजन को नियुक्त करता है. उनमें से कुछ पूर्णकालिक कार्यकर्ता के रूप में काम करते हैं, लेकिन संघीय विशेषाधिकारों के बिना. और वे स्थायी सिविल सेवा पेशेवरों और विदेश सेवा अधिकारियों की तुलना में बहुत अधिक संख्या में हैं, जो आमतौर पर एक अमेरिकी सरकारी एजेंसी के लिए काम करते हैं. सीरिया के उदाहरण में, यूएसएआईडी ने शरणार्थियों को खिलाने के लिए धन उपलब्ध कराया. हालांकि, चार वर्षों में, एकएनजीओएजेंट ने इसका लगभग 10% हिस्सा चुरालिया और इसे अल-कायदा से जुड़े संगठन में भेज दिया.

संघीय अमेरिकीसरकार विदेशी सहायता पर कितना खर्च करती है?

कांग्रेस के बजट कार्यालय के जनवरी 2025 के पूर्वानुमानों के अनुसार, सरकार वित्तीय वर्ष 2025 में अंतरराष्ट्रीय सहायता कार्यक्रमों पर लगभग 58.4 बिलियन डॉलर खर्च करने की राह पर है. लेकिन, वित्तीय वर्ष के शुरू होने में बमुश्किल तीन महीने रह गए हैं, जब ट्रम्प प्रशासन आक्रामक रूप से सहायता को फिर से आकार दे रहा है और उसे कम कर रहा है, तो यह आँकड़ा बदल सकता है.

ForeignAssistance.gov के अनुसार, संयुक्त राज्य सरकार ने वित्तीय वर्ष 2023 में अंतरराष्ट्रीय सहायता पर 71.9 बिलियन डॉलर खर्च किए, जो सबसे हालिया वित्तीय वर्ष है, जिसके लिए डेटा काफी हद तक पूरा है. इसकी तुलना में वित्तीय वर्ष 2022 में लगभग 74.0 बिलियन डॉलर खर्च किए गए. ये डेटा (और ForeignAssistance.gov के अन्य) अन्य देशों को हथियारों की बिक्री और सैन्य उपकरणों के हस्तांतरण के विषय से बाहर हैं. बदलती परिस्थितियों (जैसे युद्ध, आपदाएँ या बीमारी का प्रकोप) और बदलते राष्ट्रीय लक्ष्यों के आधार पर विदेशी सहायता की राशि, प्राप्तकर्ता और उद्देश्य साल-दर-साल बदलते रहते है. उदाहरण के लिए, वित्त वर्ष 2001 में यू.एस. विदेशी सहायता व्यय काफी कम था: मुद्रास्फीति-समायोजित 2023 डॉलर में $24.6 बिलियन. हालाँकि, संघीय राजकोषीय मानदंडों के अनुसार, हाल के वर्षों में वार्षिक सहायता व्यय में कोई खास बदलाव नहीं आया है. वित्त वर्ष 2008 और वित्त वर्ष 2023 के बीच, वार्षिक सहायता व्यय मुद्रास्फीति के लिए समायोजित $52.9 बिलियन और $77.3 बिलियन के बीच उतार-चढ़ाव रहा. संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, यू.एस. सरकार दुनिया की सबसे बड़ी सहायता देने वाली संस्था है, जो 2024 में ट्रैक की गई सभी मानवीय सहायता का 40% से अधिक हिस्सा देती है.

पूरे संघीय बजट के हिस्से के रूप में विदेशी सहायता कितनी बड़ी है?

सरकार ने वित्त वर्ष 2023 में विदेशी सहायता पर $71.9 बिलियन खर्च किए, जो कि $6.1 ट्रिलियन से अधिक के कुल संघीय व्यय का 1.2% है. एक लाइन चार्ट यह दर्शाता है कि विदेशी सहायता व्यय अमेरिकी संघीय बजट का एक मामूली लेकिन विवादास्पद घटक है. वित्त वर्ष 2001 से, विदेशी सहायता ने समग्र संघीय व्यय का 0.7% से 1.4% हिस्सा लिया है. तुलना के लिए, सरकारी घाटा – प्राप्तियों और व्यय के बीच का अंतर जिसे उधार लेकर कवर किया जाना चाहिए- वित्त वर्ष 2023 में लगभग $1.7 ट्रिलियन था. शीत युद्ध के दौरान संघीय व्यय में विदेशी सहायता का हिस्सा बड़ा था. वास्तव में, वर्तमान सहायता प्रणाली को बड़े पैमाने पर संयुक्त राज्य अमेरिका और सोवियत संघ के बीच प्रतिद्वंद्विता द्वारा आकार दिया गया था.

अमेरिकी विदेशी सहायता राशि का उपयोग किस लिए किया जाता है?

अमेरिकी विदेशी सहायता मानवीय, आर्थिक विकास और लोकतंत्र निर्माण परियोजनाओं की एक विस्तृत श्रृंखला को निधि देती है, हालांकि श्रेणियां अस्पष्ट हो सकती हैं और उनके बीच अंतर अस्पष्ट हो सकता है. उदाहरण के लिए, वित्त वर्ष 2023 में सबसे बड़ा गतिविधि क्षेत्र, $15.9 बिलियन या सभी दी गई सहायता का 22.1%, “विकास के लिए व्यापक आर्थिक आधार” था. यह सब आर्थिक विकास के लिए लग सकता था, लेकिन उस राशि का $14.4 बिलियन सीधे रूस के साथ युद्ध में यूक्रेनी सरकार का समर्थन करने के लिए खर्च किया गया था.

भारत में वामपंथी पारिस्थितिकी तंत्र की कठपुतलियाँ, जिनमें कुछ वंशवादी राजनीतिक दल, कई गैर सरकारी संगठन, शहरी नक्सली, स्वयंभू बुद्धिजीवी और कुछ मीडिया हस्तियाँ शामिल हैं, मानवता विरोधी और विभाजनकारी ताकतों के साथ उनके संबंधों के साथ-साथ व्यक्तिगत लाभ और पर्याप्त धन के लिए राष्ट्र और इसकी संस्कृति को कमजोर करने के उनके प्रयास स्पष्ट रूप से सामने आ रहे हैं.

पंकज जगन्नाथ जायसवाल

(लेखक, स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं.)

साभार – हिंदुस्थान समाचार

ये भी पढ़ें: Opinion: आखिर दिल्ली में क्यों ढहा ‘आप’ का किला?

Tags: AmericaUSAUSAID
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