Hisar: हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय द्वारा विकसित उन्नत किस्में न केवल हरियाणा बल्कि देश के अन्य राज्यों में भी अपना परचम लहरा रही हैं. विश्वविद्यालय ने पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप के तहत तकनीकी व्यवसायीकरण को बढ़ावा देने के लिए हैदराबाद की बीज कंपनी महाकालेश्वर एग्रीटेक प्राइवेट लिमिटेड के साथ समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए हैं.
विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बीआर कम्बोज ने शुक्रवार को बताया कि HAU द्वारा लगातार विभिन्न फसलों की उन्नत किस्में विकसित की जा रही हैं ताकि किसान कम लागत में अधिक पैदावार प्राप्त कर सकें. उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय द्वारा गत चार वर्षो के दौरान विभिन्न फसलों की 50 किस्में ईजाद की गई हैं. हमारा प्रयास है कि वैज्ञानिकों द्वारा किए जाने वाले शोध किसानों के पास शीघ्र पहुंचने चाहिए.
उपरोक्त समझौते के तहत विश्वविद्यालय द्वारा विकसित बाजरे की एचएचबी-67 संशोधित 2 किस्म का बीज तैयार कर कंपनी किसानों तक पहुंचाएगी ताकि इस किस्म का विश्वसनीय बीज उन्हें मिल सके और उनकी पैदावार में इजाफा हो सके. कुलपति प्रो. बीआर कम्बोज की उपस्थिति में विश्वविद्यालय की ओर से समझौता ज्ञापन पर विश्वविद्यालय के अनुसंधान निदेशक डॉ. राजबीर गर्ग ने जबकि कंपनी की तरफ से निदेशक संजीव रेड्डी ने हस्ताक्षर किए. बाजरा अनुभाग के अध्यक्ष डॉ. अनिल कुमार ने बताया कि एचएचबी-67 संशोधित-2 किस्म पहले वाली किस्म एचएचबी 67 संशोधित का जोगिया रोग प्रतिरोधी उन्नत रूपांतरण है.
यह संकर किस्म हरियाणा, राजस्थान व गुजरात के बारानी क्षेत्रों में आम काश्त के लिए 2021 में अनुमोदित की गई थी. एचएचबी-67 संशोधित के नर जनक एच 77/833-2-202 को चिह्नित (मार्कर) सहायक चयन द्वारा जोगिया रोग प्रतिरोधी बनाया गया है. इस नई विकसित संकर किस्म एचएचबी-67 संशोधित-2 में एचएचबी 67 संशोधित के सभी गुण जैसे अतिशीघ्र पकना, शुष्क रोधिता, दाने व चारे की अच्छी गुणवत्ता, अगेती, मध्यम व पछेती बुवाई के लिए उपयुक्तता आदि विद्यमान हैं. इसके दाने व सूखे चारे की औसत उपज क्रमश: 8.0 क्विंटल तथा 20.9 क्विंटल प्रति एकड़ है. यह नई संशोधित संकर किस्म बेहतर प्रबंधन से और भी अच्छे परिणाम देती है . बाजरा की अन्य बीमारियों के रोगरोधी है.
साभार – हिंदुस्थान समाचार
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