Haryana: पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के परिसर में स्थित बार एसोसिएशन रूम में गुरुवार को तीन महत्वपूर्ण कानूनी ग्रंथों का विमोचन किया. इस अवसर पर पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस शील नागू ने आधिकारिक रूप से “भारतीय न्याय संहिता पर विवेचना और टिप्पणी”, “भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता पर विवेचना और टिप्पणी” और “भारतीय साक्ष्य अधिनियम पर विवेचना और टिप्पणी” शीर्षक से तीन पुस्तकें शामिल हैं.
इस अवसर पर विमोचन समारोह की अध्यक्षता मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्य न्यायाधीश, जस्टिस अजय कुमार मित्तल ने की. ये ग्रंथ रविंद्र खंडेलवाल, कमलजीत दहिया, अनु सिंह और वरुण चुघ के सह-लेखन में तैयार किए गए. इस अवसर पर अपने भाषण में जस्टिस शील नागू ने इन नए कोडों को न्याय, समानता और कानून के शासन के सिद्धांतों को अभिव्यक्त करने वाली एक न्यायिक प्रणाली की ओर एक कदम बताया. उन्होंने कहा कि भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम न केवल विधायी अपडेट का प्रतीक हैं, बल्कि कानूनी ढांचे के पूर्ण परिवर्तन का प्रतीक हैं जो साइबर अपराध, भीड़ हिंसा और आतंकवाद जैसी आधुनिक चुनौतियों का समाधान करते हैं.
जस्टिस अजय कुमार मित्तल ने कानूनी सुधारों की समयोचितता और प्रासंगिकता की सराहना की और इन नए कानूनों की जटिलताओं के माध्यम से कानूनी पेशेवरों को शिक्षित करने और मार्गदर्शन करने में इन पाठों की महत्वपूर्ण भूमिका को उजागर किया. इस कार्यक्रम का संचालन हाई कोर्ट बार एसोसिएशन के कार्यवाहक अध्यक्ष जसदेव सिंह बराड़ और मानद सचिव स्वर्ण सिंह तिवाना ने किया.
इस माैके पर कानूनी, प्रबंधन और सांस्कृतिक विषयों पर तीन दर्जन से अधिक पुस्तकें लिखने वाले हरियाणा कैडर के 1985 बैच के सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी एवं मौजूदा भारत स्काउट्स और गाइड्स के राष्ट्रीय आयुक्त के.के. खंडेलखाल भी उपस्थित रहें. इनकी व्यापक रचनाएं कानून के विभिन्न क्षेत्रों में समझ और अनुप्रयोग में महत्वपूर्ण योगदान देती हैं. वहीं इस अवसर पर बार एसोसिएशन के कई सम्मानित सदस्य उपस्थित थे.
साभार – हिंदुस्थान समाचार
ये भी पढ़ें: Haryana: बिटकाइन में पैसे लगाकर दोगुने करने के लालच में छात्रा से हजारों रुपये ठगे