Kaithal: हरियाणा में स्वास्थ्य विभाग द्वारा शुरू किए गए टीबी बचाओ अभियान के तहत अब तक 60 हजार से अधिक लोगों की स्क्रीनिंग की जा चुकी है. स्वास्थ्य विभाग ने टीबी के मरीजों के संपर्क में आने वाले तीमारदारों (देखभाल करने वाले) व अन्य लोगों को बचाव के लिए दवा देना शुरू कर दिया है. अब तक ऐसे करीब 20 हजार तीमारदारों की बचाव के लिए दवा शुरू की गई है. टीबी की बीमारी के मरीज अधिक न बड़े इसलिए स्वास्थ्य विभाग ने यह अभियान शुरू किया है. सरकार ने 2025 के अंत तक जिले को टीबी मुक्त बनाने का लक्ष्य रखा है.
इस लक्ष्य के तहत अब तक जिले में 20 गांव क्षय रोग यानी टीबी (माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस) मुक्त भी हो चुके हैं. टीबी बचाव कार्यक्रम के नोडल अधिकारी व डिप्टी सिविल सर्जन डॉ. संदीप बातिश ने शनिवार काे बताया कि टीबी को जड़ से खत्म करने के लिए एक विशेष कार्यक्रम शुरू किया गया है. इसके तहत टीबी मरीज के परिवार के सदस्यों व उसके संपर्क में आए लोगों का टीएसटी और ईग्रा टेस्ट किया जा रहा है. यदि इसमें पॉजिटिव मिलते है तो उनका उपचार शुरू होगा. इससे संपर्क में आए व्यक्ति को टीबी होने से बचाया जा सकेगा. ऐसे में अब तक 60 हजार लोगों की जांच की जा चुकी है. इनमें टीबी बीमारी की पुष्टि तो नहीं हो पाई, लेकिन बचाव के लिए इनमें से करीब 20 हजार लोगों की दवा जरूर शुरु की जा चुकी है.
जिला कैथल में टीबी के 750 मरिज एक्टिव
सर्दियों के मौसम में क्षय रॉक के बढ़ने का अधिक खतरा रहता है. जिले में इस समय टीबी के 750 से अधिक एक्टिव मरीज हैं. इन मरीजों को विभिन्न संगठनों की ओर से गोद भी लिया गया है. इसके तहत सरकार इन्हें 500 रुपये प्रति माह डाइट की राशि भी दे रही है. चिह्नित किए गए लोगों के टीबी के सैंपल भी लिए गए हैं. यदि विभाग को जांच में यह लोग टीबी पॉजिटिव मिलते हैं तो उपचार भी शुरू किया जाएगा. स्वास्थ्य विभाग फेफड़ों में टीबी मिलने वाले मरीज के संपर्क में आए लोगों की जांच करेगा. फेफड़ों की टीबी के मरीज से संपर्क में आए व्यक्ति के शरीर में कीटाणु जा सकता है. जिले में अब तक 1500 से अधिक टीबी के संक्रमित केस सामने आ चुके हैं. इसमें से करीब 750 मरीज एक्टिव हैं.
साभार – हिंदुस्थान समाचार
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