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Savitribai Phule Jayanti: जानिए देश की पहली महिला शिक्षक के जीवन की कहानी

भारत के छह मौलिक अधिकारों में से एक है शिक्षा का अधिकार. भारत देश में हर किसी को पढ़ने का अधिकार है, लेकिन समाज में कुछ समुदाय लोग आज भी इससे दूर हैं.

Akansha Tiwari by Akansha Tiwari
Jan 3, 2025, 05:55 pm GMT+0530
Savitribai Phule Jayanti

Savitribai Phule Jayanti

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Savitribai Phule Jayanti 2025: भारत के छह मौलिक अधिकारों में से एक है शिक्षा का अधिकार. भारत देश में हर किसी को पढ़ने का अधिकार है, लेकिन समाज में कुछ समुदाय लोग आज भी इससे दूर हैं. भारत में सभी लोगों को शिक्षा दिलाने के लिए कई सारे महान व्यक्तियों ने लंबे समय तक लड़ाई लड़ी. जिनमें से एक है सावित्रीबाई फुले. आज यानी 3 जनवरी को सावित्रीबाई फुले की जयंती है. सावित्रीबाई फुले देश की पहली महिला शिक्षक हैं. सावित्रीबाई ने महिलाओं के अधिकारों के लिए काफी संघर्ष किए. जिसे आजकत पूरे देश के द्वारा याद किया जाता है.

03 जनवरी, 1831 को महाराष्ट्र के सतारा जिले में स्थित नायगांव नाम के गांव में हुआ था. महज 9 साल की उम्र में सावित्रीबाई की शादी पूना (पुणे) में रहने वाले 13 साल के ज्योतिबा फुले से हुई थी. शादी के समय तक सावित्रीफुले तो बिल्कुल भी पढ़ना लिखना नहीं आता था, वहीं उनके पति उस समय तीसरी कक्षा की पढ़ाई कर रहे थे. पढ़ाई में सावित्रीबाई की रुचि देख ज्योतिबा फुले ने उन्हें पढ़ाने का निश्चय किया. कहा जाता है कि पहले के दौर में केवल ऊंच जाति के पुरुषों को ही पढ़ने की अनुमति दी जाती थी. महिलाओं और दलित समाज के लोगों को पढ़ने का अधिकार नहीं था.

सावित्रीबाई फुले ने अपने पति ज्योोतिबा फुले संह मिलकर 19वीं सदीं में महिलाओं के अधिकार के बारे में, अशिक्षा , छूआछूत, बाल और विधवा विवाह जैसी कई कुरीतियों को खत्म करने के लिए उनके खिलाफ आवाज उठाई. सावित्रीबाई फुले ने अपने पति संग मिलकर साल 1848 में पुणे में लड़कियों के लिए सबसे पहला स्कूल खोला था. बाद में स्कूलों की संख्या बढ़ते हुए 18 तक पहुंची. साल 1853 , 26 जनवरी को सावित्रीबाई फुले ने गर्भवती बलात्कार पीड़ितों के लिए भी बाल हत्या प्रतिबंधक गृह की स्थापना की थी.

बताया जाता है जब सावित्रीबाई फुले ने लड़कियों को पढ़ाने की पहल की थी, तब उस दौरान सब लोग उनके खिलाफ थे. जब सावित्रीबाई लड़कियों को पढ़ाने के लिए स्कूल लेकर जाती थी तो लोग उनके ऊपर गोबर फेंक कर मारते थे. सावित्रीबाई हमेशा अपने साथ बैग में एक जोड़ी कपड़े अलग से लेकर जाती थी और स्कूल पहुंच कर वह गंदे कपड़ों को बदल लेती थी.

इसके अलावा सावित्रीबाई ने विधवाओं के लिए एक आश्रम खोला. उन्होंने अपने पति ज्योतिबा फुले संग मिलकर ‘सत्यशोधक समाज’ की भी स्थापना की थी, जिसका उद्देश्य बिना दहेज और पुजारी के विवाह आयोजित करना था. सावित्रीबाई को एक महान कवियत्री के रुप में भी जाना जाता है.

10 मार्च , 1897 में सावित्रीबाई फुले की मौत हो गई थी. उनकी मौत प्लेग के मरीजों की देखभाल के दौरान हुई. सावित्रीबाई फुले ने अपना पूरा महिलाओं के हक के खिलाफ लड़ने और दलितों को उनके अधिकार दिलाने में लगा दिया था. जिसे आजतक पूरे देश और दुनिया के द्वारा याद किया जाता है.

ये भी पढ़ें: सावित्रीबाई फुले की जयंती पर PM मोदी ने किया याद, बताया महिला सशक्तिकरण की प्रेरणास्रोत

Tags: India's First Female TeacherSavitribai PhuleSavitribai Phule JayantSavitribai Phule Jayant 2025
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