Supreme Court on Bulldozer Action: सुप्रीम कोर्ट ने देशभर चल रहे बुलडोजर एक्शन (Supreme Court on Bulldozer Action) को लेकर दिशा-निर्देश जारी किया है. जस्टिस बीआर गवई की अध्यक्षता वाली बेंच ने दिशा-निर्देश जारी करते हुए कहा कि अगर कानून की प्रक्रिया का पालन किए बिना किसी आरोपित या दोषी के घर को ध्वस्त कर दिया जाता है तो उसका परिवार मुआवजे का हकदार होगा. साथ ही मनमाने ढंग से या अवैध तरीके से काम करने वाले अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई भी की जाएगी.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राज्य और उसके अधिकारी मनमाने कदम नहीं उठा सकते। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कार्यपालिका किसी व्यक्ति को दोषी घोषित नहीं कर सकती और न ही वह न्यायाधीश बनकर किसी आरोपी व्यक्ति की संपत्ति को ध्वस्त करने का फैसला कर सकती है। https://t.co/8oy95gYPJO
— ANI_HindiNews (@AHindinews) November 13, 2024
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कार्यपालिका न्यायाधीश बनकर किसी आरोपित की संपत्ति को ध्वस्त करने का निर्णय नहीं ले सकती. न्याय करने का काम न्यायपालिका का है. कार्यपालिका न्यायपालिका की जगह नहीं ले सकती है. कोर्ट ने कहा कि किसी का घर उसकी उम्मीदें है. हर किसी का सपना होता है कि उसका आश्रय कभी न छिने और हर एक का सपना होता है कि उसके पास आश्रय हो.
कोर्ट ने कहा कि हमारे सामने सवाल यह है कि क्या कार्यपालिका किसी ऐसे व्यक्ति का आश्रय छीन सकती है जिस पर अपराध का आरोप हो. कोर्ट ने कहा कि इस मामले में सभी पक्षों को सुनने के बाद हम आदेश जारी कर रहे हैं, जिसके लिए हमने सुप्रीम कोर्ट के पूर्व के कई फैसले पर भी विचार किया है. कोर्ट ने कहा कि ये राज्य सरकार की जिम्मेदारी है कि वो राज्य में कानून-व्यवस्था बनाए रखे और राज्य में कानून का ही राज होना चाहिए. कोर्ट ने कहा कि हमने शक्तियों के पृथक्करण के साथ-साथ इस बात पर भी ध्यान दिया है कि कार्यकारी और न्यायिक वर्ग अपने संबंधित क्षेत्रों में कैसे काम करे.
कोर्ट ने कहा कि हमने संविधान के तहत गारंटीकृत अधिकारों पर विचार किया है जो व्यक्तियों को राज्य की मनमानी कार्रवाई से सुरक्षा प्रदान करते हैं. कोर्ट ने कहा कि कानून का नियम यह सुनिश्चित करने के लिए ढांचा प्रदान करता है कि व्यक्तियों को पता हो कि उनकी संपत्ति मनमाने ढंग से नहीं छीनी जाएगी. कोर्ट ने कहा कि क्या अपराध करने वाले आरोपित या दोषी ठहराए गए व्यक्तियों की संपत्ति को कानून की उचित प्रक्रिया का पालन किए बिना गिराया जा सकता है. हमने आपराधिक न्याय प्रणाली में निष्पक्षता के मुद्दों पर विचार किया है और आरोपित के मामले में पूर्वाग्रह नहीं किया जा सकता. कोर्ट ने कहा कि कानून का शासन लोकतांत्रिक सरकार की नींव है. यह मुद्दा आपराधिक न्याय प्रणाली में निष्पक्षता से संबंधित है, जो यह सुनिश्चित करता है कि कानूनी प्रक्रिया में अभियुक्तों के अपराध का पहले से आकलन नहीं किया जाना चाहिए कि वह अपराधी है.
कोर्ट ने पहली अक्टूबर को इस मामले पर फैसला सुरक्षित रख लिया था. सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा था कि हम एक धर्मनिरपेक्ष देश हैं, हम सब नागरिकों के लिए दिशा-निर्देश जारी करेंगे. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि अवैध निर्माण हिंदू, मुस्लिम कोई भी कर सकता है, हमारे दिशा-निर्देश सभी के लिए होंगे, चाहे वह किसी भी धर्म या समुदाय के हों. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि सार्वजनिक सड़कों पर, वॉटर बॉडी या रेलवे लाइन की जमीन पर अतिक्रमण से बने मंदिर, मस्जिद या दरगाह जो कुछ भी है उसे तो जाना ही होगा, क्योंकि पब्लिक ऑर्डर सर्वोपरि है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि साल में चार से पांच लाख डिमोलिशन की कर्रवाई होती है. ये आंकड़ा पिछले कुछ सालों का है. उल्लेखनीय है कि 17 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने बुलडोजर जस्टिस पर लगाम कसते हुए विभिन्न राज्यों में हो रही बुलडोजर कार्रवाई पर रोक लगा दी थी.
साभार – हिंदुस्थान समाचार
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