Haryana Stubble Burning: हरियाणा के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्याम सिंह राणा ने बताया कि राज्य सरकार ने किसानों को पराली को खेत में मिलाकर खाद के रूप में उपयोग करने के लिए प्रेरित किया जा रहा है, जिससे न केवल भूमि की उर्वरता में वृद्धि हो रही है बल्कि किसानों के लिए आर्थिक लाभ भी सुनिश्चित हो रहे हैं. इससे राज्य में पराली जलाने की घटनाओं में कमी भी आई है.
मंगलवार को मंत्री राणा ने कहा कि फसल अवशेष को खेत में मिलाने से मृदा में कार्बन और अन्य पोषक तत्वों की मात्रा बढ़ जाती है, जिससे अगली फसलों की पैदावार में भी वृद्धि होती है. उन्होंने कहा कि वैज्ञानिक अनुसंधान से साबित हुआ है कि खेत में पराली मिलाने से मृदा का पोषक चक्र मजबूत होता है और मृदा कार्बन का स्तर बढ़ता है, जिससे अगले फसलों की उपज में भी सुधार होता है.
उन्होंने बताया कि कई प्रगतिशील किसान अब फसल अवशेषों को मिट्टी में मिलाकर उर्वरक के रूप में उपयोग कर रहे हैं. इस प्रक्रिया से न केवल प्रति वर्ष 3 से 5 क्विंटल प्रति एकड़ फसल की पैदावार में वृद्धि हो रही है, बल्कि यूरिया की खपत भी कम हो कर लागत में कटौती हो रही है. यमुनानगर जिले के बकाना गांव के किसान राजेश सैनी का उदाहरण देते हुए कृषि मंत्री ने कहा कि उन्होंने पिछले तीन वर्षों से पराली को जलाने की बजाए खेत की मिट्टी में मिलाया है, जिससे उनकी फसल की पैदावार लगभग छह क्विंटल प्रति एकड़ बढ़ गई है. इस तरीके से उनकी प्रति एकड़ वार्षिक आय में 10,000 से 15,000 रुपये तक का इजाफा हुआ है.
कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री ने बताया कि हरियाणा में लगभग 28 लाख एकड़ भूमि पर धान की खेती होती है. इस साल राज्य सरकार द्वारा किसानों में जागरूकता फैलाने के लिए चलाई गई मुहिम का नतीजा है कि पराली जलाने की घटनाओं में उल्लेखनीय कमी आई है. राज्य सरकार ने इन-सीटू और एक्स-सीटू प्रबंधन के लिए किसानों को सब्सिडी पर मशीनें उपलब्ध कराई हैं और जो किसान पराली नहीं जलाते हैं, उन्हें सरकार की ओर से प्रति एकड़ 1,000 रुपये की आर्थिक सहायता दी जा रही है.
साभार – हिंदुस्थान समाचार
ये भी पढ़ें: Haryana: जनवरी में हो सकते हैं सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी का चुनाव