Haryana Stubble Burning: प्रदूषण को रोकने के लिए जिला प्रशासन की ओर से किसानों को पराली प्रबंधन करने के लिए जोर दिया जा रहा है. पराली का इन सीटू और एक्स सीटू प्रबंधन करने वाले किसानों को सरकार द्वारा प्रति एकड़ एक हजार रुपये प्रोत्साहन राशि दी जाएगी. इस स्कीम का लाभ लेने के लिए अब तक जिला के एक हजार 188 किसानों ने पंजीकरण भी कर दिया है, जिसके तहत करीब 12 हजार 315 एकड़ का क्षेत्र पंजीकृत हुआ है. डीसी कैप्टन शक्ति सिंह ने गुरुवार को कहा कि सभी अधिकारी फील्ड में रहकर कार्य करें. ग्राम स्तर की टीमें किसानों को जागरूक करें और उन्हें फसल अवशेष प्रबंधन के लाभ तथा पराली जलाने से होने वाले नुकसान के बारे में बताएं. वहीं खंड व ग्राम स्तरीय टीमें के नोडल अधिकारी पुलिस विभाग के साथ मिलकर नियमित रूप से मॉनिटरिंग करें. उन्होंने बताया कि जिला में गत वर्ष पराली प्रबंधन करने वाले 1075 किसानों को 87 लाख रुपये अनुदान स्वरूप दिए गए थे. इस बार भी पराली प्रबंधन करने वाले किसानों को अनुदान राशि दी जाएगी. किसान इस स्कीम का लाभ लेने के लिए पोर्टल पर आवेदन कर सकते हैं.
कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के उपनिदेशक डॉ. जितेंद्र सिंह अहलावत ने बताया कि अब तक पराली जलाने के तीन मामले सामने आए हैं, जिनमें धान की फसल के अवशेष जलाए जाने की बात सही निकली है किसानों को जागरूक करने के लिए जागरूकता वाहन व विभागीय टीमें गांव-गांव जा रहे हैं. किसानों को सरकार द्वारा कृषि यंत्र उपलब्ध करवाए जा रहे हैं, ताकि वे फसल अवशेषों का सही से प्रबंधन कर सके. कृषि विभाग बेरी के बीएओ डा अशोक रोहिल्ला ने बताया कि पराली प्रबंधन करके काफी किसानों ने अपनी आय में बढ़ोत्तरी की है और उन्हें समस्त झज्जर जिले का नाम रोशन किया है. मुख्यत: इन किसानों में गांव वजीरपुर निवासी प्रदीप कुमार व रंधावा, संजीत निवासी मदाना कलां, दोपाना बेरी निवासी सोमवीर, गांव गोच्छी निवासी वीरेंद्र, दूबलधन निवासी रमेश कुमार, माजरा डी निवासी जयदीप सिंह और जोगेंद्र सिंह, गांव सासरोली आदि ने पराली प्रबंधन पर अच्छा कार्य किया है. किसानों को इन किसानों से प्रेरणा लेकर पराली प्रबंधन पर कार्य करना चाहिए, ताकि पर्यावरण प्रदूषण को रोकने के साथ-साथ अपनी जमीन की उर्वरा शक्ति बढ़ा सकें.
साभार – हिंदुस्थान समाचार
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