Haryana Assembly Election Result 2024: हरियाणा में विधानसभा चुनाव के नतीजों को लेकर चली रही काउंटिंग में भाजपा 49 सीटों पर जीतते हुए नजर आ रही है. दूसरी ओर कांग्रेस 35 सीटों के साथ सत्ता में आने से दूरी बनाती हुई नजर आ रही है. चुनावी आंकड़े जारी होने के बाद यह स्थिती साफ हो गई है कि भाजपा हरियाणा में हैट्रिक के साथ तीसरी बार अपनी सरकार बनाने जा रही है. वहीं कांग्रेस एक बार फिर सत्ता से बाहर की तरफ जाने लगी है. कांग्रेस के खराब प्रदर्शन के पीछे का मुख्य कारण पार्टी के अंदरुनी कलह को बताया गया है. खासतौर से सीएम की दावेदारी को लेकर भूपेन्द्र हुड्डा और कुमारी सैलजा के बीच चल रही लड़ाई है.
जहां एक ओर हरियाणा कांग्रेस के प्रमुख नेता भूपेन्द्र हुड्डा को जाटलैण्ड का अहम नेता माना जाता है. वहीं कुमारी सैलजा को दलित समुदाय का बड़ा चेहरा माना जाता है.पिछले साल हुए चुनावों में भी भूपेन्द्र हुड्डा ने सीएम की लिस्ट में नंबर एक पर थे, लेकिन कांग्रेस की उस समय हार का सामना करना पड़ा था. इस साल कांग्रेस पार्टी में केवल भूपेन्द्र हुड्डा ही नहीं बल्कि सिरसा से सांसद कुमारी सैलजा और रणदीप सुरजेवाला भी मुख्यमंत्री बनने की लाइन में आगे थे.
सीएम की दावेदारी पर आपसी मतभेद होने के साथ-साथ हरियाणा कांग्रेस उम्मीदवारों को टिकट देने पर भूपेन्द्र हुड्डा और कुमारी सैलजा के बीच सहमित नहीं बनी. जिसके चलते करीब 10-12 दिनों तक कुमारी सैलजा ने चुनाव प्रचार से भी दूरी बना ली थी. फिर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन से सैलजा ने दिल्ली में मुलाकात की . जिसके बाद कुारी सैलजा ने 26 सितंबर से चुनाव प्रचार में जुटी हुई नजर आई.
कुमारी सैलजा की कांग्रेस से चल रही नाराजगी का बीजेपी ने फायदा उठाते हुए उन्हें भाजपा में आने का ऑफर भी दिया था. इस पर कुमारी सैलजा ने कहा कि मेरी रगों में कांग्रेस का खून दौड़ता है.
इतना ही नहीं भूपेन्द्र हुड्डा और कुमारी सैलजा के बीच चल रहे मतभेद को खत्म करने के लिए पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी खूब कोशिश की. चुनाव प्रचार के दौरान हुई रैली में राहुल गांधी हुड्डा और सैलजा को एक साथ मंच पर साथ लाकर पार्टी में एकता का संदेश जनता के सामने दिया. इसके अलावा राहुल गांधी ने अपनी एक रैली में कहा कि ये पार्टी के शेर है लेकिन कभी-कभी आपस में लड़ते हैं.
कुमारी सैलजा के द्वारा मुख्यमंत्री बनने की इच्छा पर भूपेन्द्र हुड्डा ने कहा कि यह लोकतंत्र देश में हर किसी को अपनी इच्छा रखने का हक है. लेकिन प्रदेश के लिए सीएम चुनने की एक प्रक्रिया है जिसमें विधायक अहम भूमिका निभाते हुए हैं. सभी विधायक अपने-अपने विचार रखते हैं उसके बाद ही पार्टी हाईकमान सीएम का नाम चुनती है.
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