सुप्रीम कोर्ट से आध्यत्मिक गुरु सद्गुरु जग्गी वासुदेव को आज बहुत बड़ी राहत मिली है. शीर्ष अदालत ने ईशा फांउडेशन के खिलाफ मद्रास हाई कोर्ट द्वारी जारी आदेश पर रोक लगा दी है. अब इस मामले की अगली सुनवाई 18 अक्तूबर को होगी. सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने आश्रम में जांच के लिए पहुंचे पुलिसकर्मियों पर सवाल खड़े किए. बता दें सुनवाई के दौरान दो बहनें वर्चुअल तौर पर कोर्ट में मौजूद थी. दोनों बहनों ने अपनी बात कोर्ट के सामने रखते हुए कहा कि वह अपनी मर्जी से आश्रम में रह रहे हैं. और उनके पिता पिछले 8 सालों से उन्हें परेशान कर रहे हैं.
चीफ जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बैंच में वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने जजों के सामने पूरे मामले को रखते हुए मद्रास हाई कोर्ट द्वारा जारी बयान पर रोक लगाने की मांग की. वकील रोहतगी ने अपनी बात रखते हुए कहा कि ये पूरी तरह से धार्मिक स्वतंत्रता का मामला है. सद्गुरु के लाखों अनुयायी है. इस तरह मद्रास हाई कोर्ट के बयानों पर जांच शुरु नहीं की जा सकती है.
जानिए क्या था पूरा मामला
दरअसल यह पूरा मामला ईशा फांउडेशन से जुड़ा हुआ है. एक रिटार्यड प्रोफेसर एस. कामराज की तरफ से मद्रास हाई कोर्ट में ईशा फांउडेशन के खिलाफ एक याचिका दायर की थी. जिसमें उन्होंने बताया था कि उनकी दो बेटियां गीता (42) और लता (39) का आश्रम में ब्रेन वॉश किया जा रहा है. लेकिन ईशा फांउडेशन ने इस आरोप को गलत ठहराते हुए कहा कि वह दोनों लड़कियां अपनी मर्जी से आश्रम में रह रही है. इस याचिका के बाद 30 सितंबर को मद्रास हाईकोर्ट ने ईशा फांउडेशन से जुड़े सभी अपराथिक मामलों पर जांच करने का आदेश किया था. इसके बाद 1 अक्तूबर को करीब 150 पुलिसकर्मी जांच करने के लिए आश्रम पहुंचे.
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