सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली के पड़ोसी राज्यों में पराली जलाने से रोक पाने में नाकाम रहने पर वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग को कड़ी फटकार लगाई है. जस्टिस एएस ओका की अध्यक्षता वाली बेंच ने आयोग से पूछा कि आप बताइए कि आप पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने पर रोक कैसे लगाएंगे.
कोर्ट ने वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग से कहा कि कानून का पालन नहीं किया जा रहा है. आप एक भी ऐसा दिशा-निर्देश दिखाइए, जो आपने संबंधित पक्षों को जारी किया हो. सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की ओर से एएसजी ऐश्वर्या भाटी ने कहा कि संबंधित पक्षों को एडवाइजरी और दिशा-निर्देश जारी किए जा रहे हैं लेकिन कोर्ट इन प्रयासों से संतुष्ट नहीं हुआ. कोर्ट ने कहा कि ये सब हवा में है. एनसीआर में क्या हुआ, वो कहीं नहीं दिखाई दे रहा है.
सुनवाई के दौरान वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग के चेयरपर्सन राजेश वर्मा ने कहा कि पराली जलाने से रोकने को लेकर सब-कमेटियां और दस्ते गठित किए गए हैं. 40 दस्ते गठित किए गए हैं, जिसने 1099 औद्योगिक इकाइयों को बंद कराया है. तब कोर्ट ने कहा कि हम हर साल पराली का जलना देख रहे हैं. ये बढ़ रहा है कि घट रहा है. तब वर्मा ने कहा कि पिछले तीन सालों में वायु गुणवत्ता में सुधार हुआ है.
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने 24 सितंबर को वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग से पराली जलाने से रोकने के लिए उठाए गए कदमों पर विस्तृत रिपोर्ट मांगी थी. इस मामले में एमिकस क्यूरी अपराजिता सिंह ने कोर्ट को मीडिया रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि दिल्ली से सटे राज्यों में पराली जलनी शुरू हो गई है. उन्होंने कहा कि इसके लिए वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग को जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए. उसके बाद कोर्ट ने वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग से विस्तृत रिपोर्ट तलब की थी.
साभार – हिंदुस्थान समाचार
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