Devilal Family Politics in Haryana: हरियाणा में 15वीं विधानसभा के लिए 5 अक्टूबर को चुनाव आयोजित किए गए हैं. हरियाणा की सियासत में देवी लाल चौटाला का परिवार काफी अहम भूमिका निभाता आया है. वर्तमान में यह चौटाला फैमिली अलग-अलग पार्टियों में बंटकर हरियाणा में अपना दबदबा बना रही है. देवी लाल के परिवार के कुछ सदस्यों ने अपनी नई पार्टी का गठन किया है, तो कुछ सदस्य कांग्रेस से लेकर बीजेपी में शामिल है. तो आइए जानें आखिर क्या हैं चौटाला परिवार की हरियाणा सियासत?
देवीलाल का इतिहास
देवीलाल का पूरा नाम चौधरी देवी लाल है. हरियाणा के हिसार जिले के तेजाखेड़ा गांव के सामान्य घर में देवी लाल ने 25 सितंबर, 1914 को जन्म लिया था. उन्होंने महज 15 साल की उम्र में आजादी के लिए हुए लड़ाई में शामिल होकर अपना योगदान दिया था. साल 1930 में महात्मा गांधी के आंदोलन में शामिल होने पर उन्हें जेल जाना पड़ा था. साल 1938 में देवीलाल ने कांग्रेस पार्टी ज्वाइन की थी. उसके बाद साल 1942 में ‘अंग्रेजों भारत छोड़ो’ आंदोलन के दौरान देवी लाल को फिर से दो साल के लिए जेल जाना पड़ा.
अंग्रजों की गुलामी से आजाद होने के बाद जब भारत में पहली बार साल 1952 में चुनाव हुए थे, उस दौरान पंजाब और हरियाणा एक ही शहर था. उस समय देवीलाल ने चुनाव जीता और पहली बार कांग्रेस से विधायक बने. उसके पश्चात अलगे दो बार हुए चुनाव में भी उन्हें जीत मिली और वह विधायक पद में कार्य करते रहे. इसी बीच साल 1956 में देवीलाल को पंजाब कांग्रेस का अध्यक्ष भी बनाया गया था. उसके बाद देवीलाल ने हरियाणा को पंजाब से अलग करने की बात छेड़ी. और साल 1966 में हरियाणा एक अलग राज्य बन गया. साल 1971 में देवीलाल ने कांग्रेस का साथ छोड़ा. देवीलाल को इमरजेंसी के दौरान दोबारा से जेल जाना पड़ा. जेल से बाहर आने के बाद देवीलाल ने जनता पार्टी से चुनाव लड़ा. जहां से उन्हें जीत मिली और वह हरियाणा के सीएम बने. परंतु उनका कार्यकाल खत्म होने से पहले ही उन्हें वह पद छोड़ना पड़ा.
देवीलाल का राजनीतिक करियर काफी उतार-चढ़ाव भरा रहा है. साल 1987 में उन्होंने अपना नया लोकदल बनाया. और फिर अपनी सरकार भी बनाई.
फिर साल 1989 में देवीलाल जनता दल में शामिल हुए. जनता दल चंद्रशेखर और बी.पी सिंह के नेत्तृत्व वाली थी. उसके बाद देवीलाल को डिप्टी प्रधानमंत्री की कुर्सी मिली. लेकिन उसके बाद देवीलाल के राजनीतिक करियार में उतार आने लगा. साल 1991, 1996 और 1998 में हुए चुनावों में देवीलाल को भूपेन्द्र हुड्डा के खिलाफ बुरी तरह से हार का सामना करना पड़ा था. साल 1998 में वह राज्यसभा के सदस्य चुने गए. उसी बीच साल 2001 में उनकी मौत हो गई थी.
ओम प्रकाश को मिली पिता देवीलाल की विरासत
देवीलाल के 4 बेटे और 1 बेटी हैं, जिनमें ओम प्रकाश चौटाला, रणजीत चौटाला, जगदीश चौटाला और प्रताप चौटाला है. देवीलाल के उप-प्रधानमंत्री बनते ही ओम प्रकाश चौटाला ने हरियाणा की सियासत संभालते हुए राजनीति में एंट्री ली और हरियाणा के मुख्यमंत्री बने. साल 1989-1991 तक ओम प्रकाश चौटाला सीएम कुर्सी पर रहें. साल 1991 में हुए लोकसभा चुनाव में ओम प्रकाश को हार का सामना करना पड़ा. हार झेलते ही ओम प्रकाश की राजनीतिक यात्रा में मानो विराम लग गया हो. लेकिन एक फिर साल 1999 में ओ. पी चौटाला ने बीजेपी की मदद से हरियाणा की सियासत में कमबैक किया और मुख्यमंत्री का पद संभाला. ओम प्रकाश कुल 4 बार हरियाणा के मुख्यमंत्री रह चुके है.
परिवार में मतभेद के चलते अपनाए अलग-अलग रास्ते
ओमप्रकाश के कारण परिवार में काफी मतभेद हुए और परिवार ने राजनीति में अलग-अलग रास्ते अपनाए. देवीलाल के छोटे बेटे रणजीत सिंह चौटाला ने लंबे समय तक कांग्रेस के रहने के बाद साल 2019 में रणजीत ने निर्दलीय रानिया सीट से चुनाव लड़ा और जीत हासिल की. लेकिन इस साल उन्होंने लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा में शामिल होने का निर्णय लिया. फिर बाद में विधानसभा चुनाव के लिए बीजेपी से टिकट नहीं मिलने की वजह से उन्होंने पार्टी से इस्तीफा दे दिया.
वर्तमान में दो पार्टियों में बंटा चौटाला परिवार
अगर वर्तमान स्थिती की बात करें तो चौटाला परिवार मुख्य रुप से दो पार्टियों में बंटा है इनेलो और जेजेपी. ओमप्रकाश के बड़े बेटे अजय चौटाला ने इंडियन नेशनल लोकदल से अलग होकर अपनी नई जननायक जनता पार्टी का गठन किया. वहीं दूसरी ओर इनेलो पार्टी की कमान ओम प्रकाश और उनके छोटे बेटे अभय चौटाला के पास है.
अजय चौटाला के दो बेटे दुष्यंत चौटाला और दिग्विजय चौटाल जो फिलहाल अपने पिता अजय चौटाल की विरासत को आगे ले जा रहे हैं. जननायक जनता पार्टी के संयोजक दुष्यंत चौटाला हरियाणा के डिप्टी सीएम भी रह चुके हैं.
इस बार होने वाले विधानसभा चुनाव में इनेलो नेता और ओ.पी चौटाला के दूसरे बेटे अभय चौटाला ऐलानाबाद सीट से विधायक बनने की रेस में हैं. इसके अलावा ओपी चोटाला के भाई प्रताप चौटाला की बहू और रवि चौटाला की पत्नी सुनैना चौटाला भी चुनाव लड़ रही है. अभय चौटाला के बेटे करण चौटाला भी राजनीति में एक्टिव है और इस बार उनके दूसरे बेटे अर्जुन चौटाला भी अपनी किस्मत अजमाने के लिए चुनाव लड़ने के लिए मैदान में उतरे हैं. औप उनका मुकाबला खुद उनके चाचा रणजीत चौटाला से होगा. इसके अलावा ओपी के भाई जगदीश चौटाला के बेटे आदित्य चौटाला कांग्रेस से इस बार फिर से चुनाव लड़ रहे हैं.
यहां समझे पूरा चौटाला परिवार
देवीलाल चौटाला के 4 बेटे
- ओम प्रकाश चौटाला
- रणजीत चौटाला
- स्व. प्रताप चौटाला
- स्व. जगदीश चौटाला
ओम प्रकाश चौटाला के 2 बेटे
- अभय चौटाला,
- अजय चौटाला
अजय चौटाला के 2 बेटे
- दुष्यंत चौटाला
- दिग्विजय चौटाला
अभय चौटाला के 2 बेटे
- करण चौटाला
- अर्जुन चौटाला
स्व. जगदीश चौटाला के 3 बेटे
- आदित्य चौटाला
- अनिरुद्ध चौटाला
- अभिषेक चौटाला
स्व. प्रताप चौटाला के 2 बेटे
- रवि चौटाला
- जीतेन्द्र चौटाला
जानें किस तरह चौटाला परिवार में आई दरार?
साल 2013 में एक ऐसी घटना हुई जिसके बाद चौटाला परिवार में बुरी तरह से दरार आई और सब एक-दूसरे से अलग हो गए. दरअसल, जूनियर बेसिक टीचर (जेबीटी) घोटाला के चलते जब ओम प्रकाश और अजय चौटाला जब 10 साल के लिए जेल गए तो पूरी इनेलो पार्टी की कमान अभय चौटाला के हाथों में आ गई थी. इसके बाद साल 2014 में अजय चौटाला के बड़े बेटे दुष्यंत चौटाला ने राजनीति में आए. जिसके बाद उन्होंने हिसार लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा और जीत हासिल की. दुष्यंत चौटाला ने कुलदीप बिश्नोई को मात दी थी. लेकिन विधानसभा में इनेलो बुरी तरह से हार गई थी.
दुष्यंत चौटाला के लोकसभा सांसद बनते ही इनेलो पार्टी में दो गुट बन गए थे. एक गुट दुष्यंत चौटाला के साथ था, तो दूसरा गुट अभय चौटाला. पार्टी के भीतर चल रही लड़ाई जब सबके सामने आई तो ओ.पी चौटाला ने अजय चौटाला के दोनों बेटों को साल 2018 में पार्टी से बाहर कर दिया और इनेलो पार्टी की पूरी जिम्मेदारी अभय चौटाला के हाथों में सौंप दी.
उसके बाद दुष्यंत ने अपने बलबूते पर साल 2018 में जननायक जनता पार्टी का गठन किया. साल 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में दुष्यंत चौटाला के सामने बीजेपी से बृजेन्द्र सिंह थे. जहां दुष्यंत को हार झेलनी पड़ी. लेकिन फिर 2019 में हुए विधानसभा चुनाव में मैदान में उतरे और जीत हासिल की. बाद में जजपा का बीजेपी के साथ गठबंधन हुआ. जिसके बाद दोनों ने मिलकर हरियाणा में अपनी सरकार बनाई. फिर दष्यंत चौटाला हरियाणा प्रदेश के उप-मुख्यमंत्री बने. लेकिन यह गठबंधन भी ज्यादा समय नहीं चल पाया. इस साल 2024 हुए लोकसभा चुनाव में दोनों के बीच सीट शेयरिंग को लेकर सहमति नहीं पाई. जिस दौरान दोनों का गठबंधन टूट गया.