Haryana Assembly Election 2024: हरियाणा प्रदेश में 1 अक्टूबर को विधानसभा चुनाव होने वाले हैं वहीं 4 अक्टूबर को वोटों की गिनती होगी. इस बार होने वाले चुनाव में जहां एक तरफ बीजेपी (BJP) पार्टी प्रदेश में तीसरी बार अपनी सरकार बनाने पर जुटी हुई हैं,तो वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस पार्टी पिछले दो बार के हुए विधानसभा चुनाव की हार से सबक लेते हुए अपनी तैयरियों में लगी हुई है. पिछले पांच सालों में प्रदेश की जाती समीकरण में काफी बदलाव हुए हैं, जिसे पार्टी की हार-जीत पर असर देखने को मिल सकता है.
हरियाणा में जाट वोटर्स का प्रतिशत 22.2 है, तो वहीं अनुसूचित वोटर्स का प्रतिशत 21 है. और तीसरे स्थान पर 8 प्रतिशत वोटर्स के साथ पंजाबी है. वहीं अन्य-ओबीसी की प्रदेश में प्रतिशत 23.41 है.
पिछले दो बार के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने गैर-जाट प्रत्याशियों पर भरोसा दिखाते हुए अपनी जीत हासिल की, तो वहीं कांग्रेस ने साल 2014 और 2019 में हए चुनावों में 28-30 उम्मीदवार जाट समुदाये के चुने थे लेकिन इसके बावजूद उन्हें हार का सामना करना पड़ा. हालांकि इस बार होने वाले चुनाव में कांग्रेस पार्टी गैर-जाट समुदाय से भई उम्मीदवारों को चपनाव की रणभऊमि में उतारान चाहती है. इसलिए इस बार कांग्रेस चुनाव के लिए राजपूत, पंजाबी और ब्राह्मण समुदाय से भी अपने उम्मीदवारों को टिकट दे सकती है.
अगर बात करें भाजपा की, तो साल 2019 में हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी और जजपा में गठबंधन देखने को मिला था, जिसे जाट समुदाय ने भी भाजपा की सरकार बनने में सहयोग दिया था. लेकिन गठबंधन टूटते ही जाट वोटर्स का रुझान बीजेपी की तरफ कम होता हुआ दिखाई दे रहा है. और इसका सीधा फायदा कांग्रेस को हो सकता है. इसके अलावा प्रदेश की 2 अन्य पार्टियां इनलो और जजपा भी जाट वोटर्स को अपनी तरफ करने में पूरी तरह से जुटे हुए है.
जानें प्रदेश में क्या है जाट जातीय का समीकरण ?
हरियाणा प्रदेश में कुल 22.2 प्रतिशत वोटर्स हैं. हरियाणा के रोहतक, पानीपत, सोनीपत, झज्जर, फतेहाबाद, हिसार, भिवानी, जींद और सिरसा समेत कुल 35 विधानसभा में जाटों का दबदबा बना हुआ है. इन विधानसभाओं को जाटलैंण्ड के नाम से भी जाना जाता है. हरियाणा की किसी भी रानीतिक पार्टी में जाट समुदाय काफी अहम भूमिका निभाता है. अधिकतर जाट समुदाय का फायदा कांग्रेस के हिस्से में देखने को मिलता है. जिसका नतीजा यह है कि इस बार होने वाले विधानसभा चुनाव में एक बार फिर भूपेन्द्र हुड्डा मुख्यमंत्री का चेहरे बनने की रेस में शामिल है.
कांग्रेस में हुड्डा और सैलजा गुट में मुख्यमंत्री के चेहरे को लेकर काफी खींचातानी चल रही है. पार्टी में सहमति न होने के कारण मुख्यमंत्री की दावेदारी चुनने का जिम्मा पार्टी हाईकमान ने सौंप लिया है. कांग्रेस पार्टी द्वारा बनाई गई स्क्रीनिंग कमेटी के अध्यक्ष अजय माकन द्वारा पहले भी 90 विधानसभा की रिपोर्ट पार्टी अध्यक्ष को सौंपी जाएगी. उसके बाद मल्लिकार्जुन खड़गे और राहुल गांधी को सौंपी जाएगी. उसके बाद ही दावेदारी के नाम पर मंथन किया जाएगा.
आपको बता दें, इस बार होने वाले विधानसभा चुनाव में दोनों प्रमुख पार्टी कांग्रेस और भाजपा ने फिलहाल अब तक किसी गठबंधन में लड़ने पर नहीं बोला है. उम्मीद लगाई जा रही है कि दोनों पार्टियां इस बार अकेले-अकेले चुनाव लड़ती हुई नजर आएंगी.
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