देश को 43 वर्षों तक सेवाएं देने वाले भारतीय सेना के 20वें प्रमुख जनरल सुंदरराजन पद्मनाभन का 83 वर्ष की उम्र में सोमवार को चेन्नई में निधन हो गया. वह 30 सितंबर, 2000 से 31 दिसंबर, 2002 तक थल सेनाध्यक्ष रहे. अपने सैन्य साथियों के बीच जनरल पद्मनाभन की पहचान ‘पैडी’ के नाम से थी. लंबे और शानदार करियर के लिए उन्हें अति विशिष्ट सेवा पदक से भी सम्मानित किया गया था.
केरल के तिरुवनंतपुरम में 5 दिसंबर, 1940 को जन्मे जनरल पद्मनाभन देहरादून के राष्ट्रीय भारतीय सैन्य कॉलेज (आरआईएमसी) और पुणे के खडकवासला स्थित राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (एनडीए) के छात्र रहे. उन्हें 13 दिसंबर, 1959 को भारतीय सैन्य अकादमी से स्नातक होने के बाद आर्टिलरी रेजिमेंट में नियुक्त किया गया था. सेना में कमीशन मिलने के बाद जनरल पद्मनाभन ने अगस्त, 1975 से जुलाई, 1976 तक भारतीय सेना की सबसे पुरानी ‘लाइट बैटरी’ की कमान संभाली. इसके बाद सितंबर, 1977 से मार्च, 1980 तक ‘गजाला माउंटेन रेजिमेंट’ का नेतृत्व किया. यह पर्वतीय रेजिमेंट भारतीय सेना की सबसे पुरानी तोपखाना रेजिमेंट में से एक है और इसने कई युद्ध में हिस्सा लिया है.
जनरल पद्मनाभन ने सितंबर, 1992 से जून, 1993 तक 3 कोर के ‘चीफ ऑफ स्टाफ’ के रूप में कार्य किया. लेफ्टिनेंट जनरल के रूप में पदोन्नति के बाद वह जुलाई, 1993 से फरवरी, 1995 तक कश्मीर घाटी में 15 कोर के कमांडर थे. उनके इस कार्यकाल के दौरान सेना ने कश्मीर में आतंकवादियों पर बड़ी बढ़त हासिल की. इसके बाद उन्होंने 30 सितंबर, 2000 से 31 दिसंबर, 2002 तक देश के 20वें थल सेनाध्यक्ष के रूप में सेवाएं दी थीं.
जनरल पद्मनाभन 43 वर्ष से अधिक की विशिष्ट सैन्य सेवा के बाद 31 दिसंबर, 2002 को सेवानिवृत्त हो गए. दिल्ली में प्रतिष्ठित राष्ट्रीय रक्षा कॉलेज (एनडीसी) में शामिल होने से पहले जनरल पद्मनाभन ने एक स्वतंत्र तोपखाना ब्रिगेड और एक ‘माउंटेन ब्रिगेड’ की कमान संभाली थी. उन्हें 15 कोर के कमांडर के रूप में सेवाओं के लिए अति विशिष्ट सेवा पदक (एवीएसएम) से सम्मानित किया गया था.
साभार – हिंदुस्थान समाचार
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