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Raksha Bandhan 2024: रक्षाबंधन के खास मौके पर जानें इससे जुड़ी पौराणिक मान्यताएं?

हिंदू कैलेंडर के मुताबिक श्रावण महीने की पूर्णिमा को हर साल रक्षाबंधन का त्योहार मनाया जाता है. रक्षाबंधन का त्योहार भाई-बहन के रिश्ते के लिए काफी अहम माना जाता है.

Akansha Tiwari by Akansha Tiwari
Aug 19, 2024, 12:22 pm GMT+0530
Raksha Bandhan 2024

Raksha Bandhan 2024

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Raksha Bandhan 2024: हिंदू कैलेंडर के मुताबिक श्रावण महीने की पूर्णिमा को हर साल रक्षाबंधन (Raksha Bandhan) का त्योहार मनाया जाता है. रक्षाबंधन का त्योहार भाई-बहन के रिश्ते के लिए काफी अहम माना जाता है. रक्षाबंधन या राखी का त्योहार पूरे भारत में खासतौर से उत्तर-भारत में बहुत धूमधाम के साथ सेलिब्रेट किया जाता है. इस दिन बहन अपने भाई की कलाई में रक्षा धागा या राखी बांध उसकी लंबी उम्र की कामना करती है. बदले में भाई उसकी हमेशा रक्षा करने का वादा करता है. राखी बाधने के बाद भाई अपनी बहनों को गिफ्ट देता है. इस साल राखी का यह त्योहार 19 अगस्त यानि आज मनाया जा रहा है. हिंदू धर्म में किसी भी त्योहार को मनाने के पीछे मान्यता होती है, जिस कारण से उस त्योहार की महत्वता और अधिक बढ़ जाती है. ठीक उसी तरह रक्षाबंधन को मनाने के पीछे भी कई सारे मान्यताएं है, जिसके बारे में आज इस आर्टिकल में आपको बताया जाएगा.

आइए जानें रक्षाबंधन को मनाने की पौराणिक मान्यताएं

  1. पहली मान्यता यह है कि भगवान को वामनावतार के बाद दोबारा लक्ष्मी के पास जाना था, लेकिन भगवान वचन देकर फंस गए और वहीं बली की सेवा में लग गए. वहां दूसरी ओर, लक्ष्मी माता इस बात से चिंतित हो गई. इसी बीच नारद जी ने माता लक्ष्मी को एक तरकीब बताई. उसके बाद माता लक्ष्मी ने राजा बली को राखी बांध अपना भाई बना लिया. और साथ ही अपने पति को अपने साथ ले गई. जिस दिन माता लक्ष्मी ने राजा बली की कलाई में राखी बांधी दी थी उस दिन श्रावण मास की पूर्णिमा थी. तभी से ही हर साल यह त्योहार मनाया जाता है.
  2.  जिस तरह उत्तर-भारत में सावन महीने की पूर्णिमा को रक्षाबंधन का त्योहार मनाया जाता है, ठीक उसी तरह दक्षिण-भारत के समुद्री क्षेत्रों में नारली (नारियल) पूर्णिमा का त्योहार मनाया जाता है. नारली त्योहार मछुआरों के लिए काफी महत्वपूर्ण माना जाता है. इस दिन मुछआरे भगवान इंद्र और वरुण की पूजा करते हैं उसके बाद मछली पकड़ने की शुरुआत करते हैं. पूजा-अर्चना के दौरान मछुआरे सुमद्र देवता को नारियल आर्पित करते हैं. ऐसा माना जाता है कि इससे मछुआरों को मछली पकड़ने में कोई परेशानी नहीं होती है.
  3. रक्षाबधन मनाने की एक मान्यता यह भी है कि इंद्र की पत्नी शचि ने वृत्तसुर से लड़ाई के दौरान इंद्र की रक्षा के लिए उनके हाथ में रक्षा धागा बांधता था. तभी से ही जब भी कोई युद्ध में जाता है, तो उसके हाथ की कलाई में रक्षा धागा या कलवा बांधा जाता है और उसकी लंबी आयु की मनोकामना की जाती है.
  4. स्कंद, श्रीमद्धागवत पुराण में बताया गया है कि भगवान विष्णु ने अदिति के गर्भ से वामन का अवतार लिया और ब्राह्मण के रुप में वेश बदल राजा बली के द्वार पर भिक्षा मांगने पहुंचे. राजा काफी दानवीर थे, तो उन्होंने विष्णु को वचन देते हुए कहा तुम जो भी मांगोगे, पूरा होगा. भगवान ने बली से तीन पग भूमि मांगी और राजा बली ने बिना सोचे-समझे हां बोल दिया. वैसे ही भगवान वामन ने अपना विशालरुप प्रकट कर दो पग में धरती, पाताल और आकाश नाप लिया. जब भगवान ने तीसरे पग के लिए पूछा तो, राजा बली ने कहा-आप मेरे सिर पर रख दीजिए. भगवान राजा बली से प्रसन्न हुए और उन्हें रसातल का राजा बना दिया और अजर-अमर रहने का भी वचन दे दिया. वहीं राजा बली ने अपनी भक्ति के दम पर भगवान से दिन-रात उनके सामने रहने का वचन भी मांग लिया.
  5. रक्षाबंधन का जिक्र महाभारत में भी किया गया है. जब कुंती पुत्र युधिष्ठिर ने भगवान श्रीकृष्ण से पूछा कि मैं सभी मुसीबतों और सकंटों से कैसे पार सकता हूं, तब कृष्ण ने उन्हें और उनकी पूरी सेना को रक्षाबंधन मनाने का उपाय सुझाया था.
  6. हिंदू शास्त्रों के अनुसार मौली या रक्षा धागा बांधने से शक्तिशाली और पवित्र बंधन होने का अहसास होता है. इंसान के मन में किसी भी तरह के बुरे विचार नहीं आते हैं. गलत रास्तों की तरफ उनका ध्यान नहीं भटकता है.
  7. कोई वादा या संकल्प करने के लिए रक्षा धागा बांधा जाता है. जिस तरह राजा बली ने भगवान को तीन पग भूमि देने से पहले जल छोड़कर संकल्प लिया था, ठीक उसी तरह भाई भी अपनी बहनों की रक्षा करने का संकल्प लेते हैं. यदि रक्षा धागा या मौली बांधने के बाद वादे का उल्लघंन नहीं करना चाहिए.
  8. राखी मनाने की एक मान्यता यह भी है कि एक बार राजसूय यज्ञ के दौरान श्रीकृष्ण ने जब शिशुपाल का वध किया था, तो उस समय उनकी उंगुली से तेज खून निकल रहा था, उस दौरान द्रौपदी ने अपनी साड़ी का एक टुकड़ा फाटकर कुष्ण की उंगुली पर बांधा था. उस समय श्रीकृष्ण ने कहा कि एक दिन मैं जरुर तुम्हारी इस साड़ी का कर्ज अदा करुंगा. और उन्होंने चीरहरण के दौरान उनकी इज्जत और मान सभा में बनाए रखा था. तब से ही हर रक्षाबंधन मनाने की परंपरा शुरु हई थी.
  9. रक्षाबंधन मनाने की एक मान्यता है कि रक्षा धागा या मौली बांधने से तीनों देवियां माता लक्ष्मी, सरस्वती और पार्वती साथ ही तीनों देवताओं ब्रह्राा, विष्णु और महेश की कृप्या सैदव आपके ऊपर बनी रहती है. इसके अलावा आप किसी भी मंदिर में किसी देवी-देवता के नाम पर भी कोई मन्नत के लिए रक्षा धागा या मौली बांध सकते हैं.
  10. काफी पहले से हाथेों में राखी और रक्षा धागा बांधने का प्रचलन बना रहा है. हमारे हाथ के मूल में 3 रेखाएं होती है, जिन्हें मणिबंध कहा जाता है, ये तीनों रेखाएं देवी-देवताओं को समर्पित होती हैं. इसलिए जब भी रक्षा धागा या मौली कलाई में बांधी जाएं, तो मंत्र का उच्चारण करना बेहद जरुरी होता है. ऐसा करने से मौली धारण करने वाले की रक्षा होती है.
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