History of Karnal: हरियाणा के करनाल (Karnal) जिले का अपना एक ऐतिहासिक और रोचक इतिहास रहा है. करनाल शहर को राजा कर्ण की महानगरी के नाम से भी जाना जाता है. माना जाता है कि महाभारत में कुंती सूर्यपुत्र और दानवीर योद्धा महाराजा कर्ण ने इस नगरी को बसाया था.
महाभारत के युद्ध और इतिहास से हरियाणा के कई जिलों का खास नाता रहा है. जिसकी वजह से आज भी यह स्थान लोगों के बीच चर्चा में बने रहते हैं. इस आर्टिकल में आपको करनाल से जुड़े रोचक किस्से बताने जा रहे हैं.
महाभारत में दानवीर कर्ण महान योद्धा होने के साथ-साथ दानवीर भी थे. कर्ण ने अपने पास दान मागंने की इच्छा से आए किसी भी व्यक्ति को खाली हाथ नहीं जाने देते थे. बताया जाता है कि राजा कर्ण रोजाना सुबह कर्णताल में स्नान के पश्चात भगवान शिव का जलाभिषेक करते थे. उस दौरान वह अपने वजन के बराबर का सोना भी दान किया करते थे.
कर्णताल पार्क आज भी राजा कर्ण को है समर्पित
करनाल जिले में आज भी कर्णताल नाम से एक पार्क मौजूद है, जो राजा कर्ण को समर्पित है. कर्णताल पार्क में दानवीर कर्ण की एक बहुत बड़ी प्रतिमा बनी हुई है. मूर्ति में कर्ण के हाथों में धनुष और तीर कमान है. मूर्ति के नीचे एक रथ पहिया का भी है. पहिए के नीचे एक झरना भी बना हुआ है. जो कर्ण द्वारा आखिरी बार दान देने के समय प्रकट हुए झरने को दर्शाता है. ऐसे में राजा कर्ण के सम्मान में इस जगह का नाम करनाल पड़ा गया था.
जानें करनाल का इतिहास
साल 1739 में करनाल प्रमुखता से अस्तित्व में आया था. जब नादिर शाह ने करनाल में मुहम्मद शाह को हराया था. उसके बाद सन् 1863 में राजा गोपाल सिंह ने पूरे करनाल मपर कब्जा कर लिया था. बाद में सन् 1785 में करनाल में मराठों ने खुद को स्थापित किया था. इसी बीच करनाल में कराठा और सिखों में मुठभेड़ होती रहती थीं.
साल 1795 में , आखिरी में जींद के राजा भाग सिंह से मराठों ने करनाल को जीत लिया था और इसे जॉर्ज थॉमस को सौंप दिया था. इसी दौरान लाडवा के राजा ने भी करनाल पर अपना कब्जा कर लिया था.
साल 1805 में अंग्रेजों ने करनाल में कब्जा कर इसे मंडल बनाया था. बाद में करनाल को ब्रिटिश छावनी में पूरी तरह से बदल दिया गया था. साथ ही, जींद के राजा गजपत सिंह द्वारा निर्मित किले पर कब्जा कर उसे काबुल के आमिर दोस्त मोहम्मद खान के घर मे बदल दिया गया था.
इस किले का इस्तेमाल जेल, गरीब घर और घुड़सवार सेना के क्वार्टर के तौर पर किया गया था. बाद में साल 1862 में यहां पर शिक्षा विभाग बनाया गया था.
यह सभी जानकारी करनाल वेबसाइट से ली गई है.
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