Lakshman Teelaa vs Teele Wali Masjid Case: उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में लंबे समय से चल रहे लक्ष्मण टीला और टीले वाली मस्जिद मामले में एक नया अपडेट आया है. लखनऊ कोर्ट में हुई सुनवाई के दौरान जज ने मुस्लिम पक्ष के दावे को गलत ठहरा दिया है. दरअसल मुस्लिम पक्ष ने कहा था कि वहां की भूमि वक्फ की संपत्ति है, लेकिन कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष के दावे को खारिज करते हुए कहा है कि ‘यह एक सिविल विवाद है. साथ ही सर्वे कमीशन की सुनवाई 11 जुलाई को स्थागित की है.’
जानें आखिर क्या है पूरा मामला
दरअसल, साल 2018 में लक्ष्मण टीले के पास एक नगर निगम के पार्क में लक्ष्मण जी की मूर्ति बनाने के प्रस्ताव दिया था. यह प्रस्ताव नगर निगम की कार्यकारिणी के पास से किया गया था, लेकिन मुस्लिम मौलाना ने इस प्रस्ताव का पूरा तरह से विरोध किया था. कुछ समय बा्द इस मामले में एक नया मोड आया जिसमें वसीम रिजवी ने खुलासा किया था कि मौलाना और शाही इमाम के द्वारा मूर्ति लगाए जाने के विरोध करने वालों ने खुद गलत तरीके से मस्जिद को बनाया है.
ASI को पत्र लिख मांगी थी जानकारी
27 सितंबर, 2017 में लखनऊ के निवासी अजय वाजपेयी ने आर्कियोलॉजिकल सर्वे आफ इंडिया (ASI) को पत्र लिखकर इस मामले के बारे मेंं सूचना मांगी थी. जिस सूचना के अंतगर्त यह पता चला कि टीले वाली मस्जिद में तो निर्माण कराया हुआ है, हालांकि ASI ने इमामबाडे़ के 100 मीटर के अंतर्गत किसी भी तरह का निर्माण करने पर पांबदी लगा रखी है. परंत इसके बावजूद वहां पर निर्माण कराया गया था.
जिसके बाद ASI ने उन लोगों के खिलाफ 9 अगस्त, 2016 को इललीगल तरीके से निर्माण करने के आरोप में एफआईआर दर्ज की थी.साथ ही कारण बताओ का नोटिस भी जारी किया था. इस बात का खुलासा भी ASI के द्वारा जारी किए गए सूचना पत्र में बताया गया है. उन लोगों की तरफ से कारण बताओ नोटिस का कोई भी जवाब नहीं आया था. जिसके बाद विभाग ने नई दिल्ली ऑफिस में इस मामले से जुड़ी कार्रवाई के बारे में बताया और अनुरोध किया कि यदि कोई भी निर्माण बिना किसी अनुमति के होता है, तो उसे तोड़ दें.