World Hemophilia Day 2024: 17 अप्रैल को पूरी दुनिया के लोग विश्व हीमोफिलिया दिवस (World Hemophilia Day) मना रहे हैं. हर साल 17 अप्रैल को हीमोफिलिया और अन्य रक्तस्राव जैसी गंभीर समस्या के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए वर्ल्ड फेडरेशन ऑफ हीमोफिलिया द्वारा विश्व हीमोफिलिया दिवस (World Hemophilia Day) मनाया जाता है.
हीमोफिलिया दिवस की शुरुआत बेहतर इलाज और देखभाल के प्रावधान के लिए सरकारी अधिकारियों और स्थानीय नीति निर्माताओं के लिए आह्वान करने के इरादे से शुरू किया गया था. पूरे विश्व में भारी संख्या में लोग इस बीमारी से जूझ रहें हैं. यह बीमारी खून में थ्राम्बोप्लास्टिन (Thromboplastin) नामक पदार्थ की कमी से होती है. थ्राम्बोप्लास्टिक में खून को तुरंत थक्का में बदल देने की क्षमता होती है. रक्त में इसके न होने से खून का बहना बंद नहीं होता है. जिससे व्यक्ति की जान भी जा सकती है.
जॉइंट्स से खून बहना, त्वचा में से खून निकलना, मुंह और मसूढ़ों से खून बहना, टीके लगवाने के बाद खून बहना, प्रसव के बाद शिशु के सिर में रक्तस्राव, पेशाब या मल में खून आना, नाक से बार-बार खून निकलना आदि हीमोफीलिया के प्रमुख लक्षण हैं. आइए हीमोफिलिया दिवस (World Hemophilia Day) के इतिहास और महत्व के बारे में जानते हैं.
विश्व हीमोफिलिया दिवस का इतिहास
हीमोफिलिया दिवस (World Hemophilia Day) पहली बार वर्ल्ड फेडरेशन ऑफ हीमोफीलिया द्वारा 17 अप्रैल 1989 को मनाया गया था. इसे WFH के संस्थापक फ्रैंक श्नाबेल (Frank Schnabel’s) के जन्मदिन के सम्मान में मनाने के लिए चुना गया था. इस बीमारी की खोज 10वीं शताब्दी में हुई थी, जब लोगों ने इसे गंभीरता से लेना शुरू किया. उस समय इस बीमारी को अबुलकेसिस (Abulcasis) के नाम से जाना जाता था.
यह रोग ज्यादातर यूरोपीय शाही परिवारों में होता था और एस्पिरिन के साथ इलाज किया जाता था जिससे खून पतला हो जाता था और स्थिति और खराब हो जाती थी. फिर, साल 1803 में फिलाडेल्फिया के डॉ. जॉन कॉनराड ओटो ने “ब्लीडर्स” नाम के लोगों का अध्ययन करना शुरू किया था. वर्ष 1937 में, हीमोफीलिया को प्रकार A या B आनुवंशिक विकार के रूप में वर्गीकृत किया गया था. हालाँकि, उस समय तक प्रभावी उपचार विकसित नहीं हुआ था.
क्या है हीमोफिलिया दिवस का महत्व
साल 2000 में अनुमान लगाया गया था कि पूरी दुनिया में 4 लाख लोग या 10,000 जीवित शिशुओं में से लगभग एक, इस तरह की बीमारी से प्रभावित थे और प्रभावित लोगों में से केवल 25% को ही पूर्ण उपचार मिल पाया था. हालांकि, 2019 में, एक मेटा-विश्लेषण से पता चला कि विरासत में मिली रक्तस्राव की स्थिति वाले पुरुषों की संख्या कहीं अधिक 11.25 लाख है.
यहां तक कि उच्च आय वाले देशों में वैश्विक आबादी का केवल 15% ही हीमोफीलिया के प्रभावी उपचार तक पहुंच रखता है. निदान और इलाज के लिए संसाधनों की कमी के कारण निम्न और मध्यम आय वाले देशों में उच्च मृत्यु दर और रुग्णता दर बढ़ जाती है.
क्या है विश्व हीमोफिलिया दिवस की इस साल की थीम?
इस साल विश्व हीमोफीलिया दिवस की थीम “सभी के लिए समान पहुंच: सभी रक्तस्राव विकारों को पहचानना” है. यह विषय सभी के लिए उपचार पर जोर देता है और एक ऐसे समाज की कल्पना करता है जिसमें वंशानुगत रक्तस्राव विकारों वाले प्रत्येक मनुष्य को देखभाल प्राप्त हो.