चंडीगढ़: मुख्यमंत्री मनोहर लाल की अध्यक्षता में मंगलवार को हुई मंत्रिमंडल की बैठक में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए हरियाणा निवासियों के अधिकारों को सशक्त बनाने और सुरक्षित भूमि अधिकार सुनिश्चित करने के उद्देश्य से गांव ढंढूर, पीरांवाली, झिरी (चिकनवास) और बबरान (बस्ती और डिग्गी ताल) चार गांवों में रहने वालों को आवासीय भूमि या भूखंडों का मालिकाना देने वाली नीति बनाने को मंजूरी दी गई।
इस नीति के तहत 31 मार्च तक राजकीय पशुधन फार्म, हिसार से संबंधित 1873 कनाल 19 मरला भूमि पर निर्मित आवास वाले लोग स्वामित्व अधिकार के लिए पात्र होंगे। जिन लोगों ने 250 वर्ग गज तक की भूमि पर निर्माण किया है, उन्हें 2000 रुपये प्रति वर्ग गज का शुल्क चुकाने के बाद मालिकाना हक दिया जाएगा। इसी प्रकार जिन लोगों ने 250 वर्ग गज से लेकर 1 कनाल तक के क्षेत्र में निर्माण किया है, उन्हें 3000 रुपये प्रति वर्ग गज का भुगतान करने पर मालिकाना हक मिलेगा। जबकि एक कनाल से चार कनाल तक की संपत्ति वाले परिवारों को 4000 रुपये प्रति वर्ग गज के हिसाब से भुगतान करना होगा। इस पॉलिसी के तहत मालिकाना हक के लिए अधिकतम अनुमानित प्लॉट का आकार 4 कनाल तक है। 4 कनाल से बड़े प्लॉट के दावे स्वीकार नहीं किए जाएंगे।
इन चार गांवों में सरकारी पशुधन फार्म, हिसार की 1873 कनाल 19 मरला भूमि पर 31 मार्च, 2023 तक निर्मित आवास वाले भूखंड, संपत्ति के सभी कब्जाधारी और जिनके नाम जिला प्रशासन हिसार द्वारा किए गए ड्रोन-इमेजिंग सर्वेक्षण में दिखाई देते हैं, वे ही आवंटन के लिए पात्र होंगे। परिवार पहचान पत्र (पीपीपी) आईडी पात्र लाभार्थियों की पहचान के लिए एकमात्र दस्तावेज़ की आवश्यकता के रूप में काम करेगी, जब तक कि सरकार द्वारा किसी अन्य दस्तावेज को अपेक्षित प्रमाण के रूप में अधिसूचित नहीं किया जाता।
अतिरिक्त उपायुक्त, हिसार की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय समिति दावेदारों से आवेदन आमंत्रित कर उनकी जांच करेगी और सक्षम प्राधिकारी के समक्ष प्रस्ताव प्रस्तुत करेगी। स्थानीय समिति सार्वजनिक सूचना समाचार पत्रों, सामान्य वेब पोर्टल, अंत्योदय सरल पोर्टल के माध्यम से आवेदन मांगेगी। इन सभी दावे और आपत्तियों सहित सभी आवेदन सामान्य पोर्टल के माध्यम से प्राप्त कर संशोधित किए जाएंगे। डिमांड नोटिस जारी होने की तारीख से छह महीने के अन्दर प्रीमियम का भुगतान किया जाना चाहिए।
साभार: हिन्दुस्थान समाचार