जींद: हरियाणा रोडवेज संयुक्त कर्मचारी संघ के राज्य प्रधान आजाद गिल, राज्य महासचिव जगदीप लाठर और राज्य उप प्रधान संदीप रंगा ने गुरुवार को पत्रकारों से कहा की सरकार द्वारा 23 साल बाद नई ओवरटाइम पॉलिसी बनाई जा रही है। जिसमे बहुत सारी खामियां है। रंगा ने बताया की चालक और परिचालक विभाग की रीढ़ की हड्डी का काम करते हैं।
हमेशा ओवरटाइम की गणना स्टेयरिंग ड्यूटी न मान कर इन आउट के हिसाब से होनी चाहिए। नई ओवरटाइम पॉलिसी में लंबे मार्गो पर स्पीड बढ़ा कर 55 कर दी गई है। जो की किसी भी हिसाब से तर्क संगत नहीं है। क्योंकि आज से 23 साल पहले ट्रेफिक कुछ और था। परंतु जब की बजाय अब ट्रैफिक कई गुना बढ़ गया है और इस पॉलिसी में स्पीड घटाने की बजाय ज्यादा किया जा रहा है। परिचालक को टिकट बॉक्स बनवाने में 35 मिनट का समय दिया जाता था। परंतु नई पॉलिसी में इसको 25 मिनट कर दिया गया है। जबकि परिचालक का काम पहले की बजाय ज्यादा बढ़ गया है। क्योंकि अब उसको दो-दो टिकट बॉक्स बनवाने पड़ते हैं।
आठ घंटे ड्यूटी में कुल कितने किलोमीटर की ड्यूटी करनी होती है, ये पॉलिसी में साफ-साफ लिखा होना चाहिए। कई बार बीच रास्ते में गाड़ी ब्रेकडाउन हो जाती है या ट्रैफिक जाम होने के कारण गाड़ी कई घंटे लेट आती है। इसको भी ड्यूटी पीरियड माना जाए। सभी मार्गों का सर्वे कर जीप से न करवा कर चेकिंग स्टाफ द्वारा बस से करवाया जाना चाहिए। प्राकृतिक आपदा की स्थिति में चालक व परिचालक कई-कई दिन लगातार ड्यूटी करते हैं। उनको इसका उचित मानदेय मिलना चाहिए।
विभाग में बहुत सारे चालक परिचालक हैंडिकैप्ड हो चुके हैं। उनको रेश्यो में न जोड़ कर मार्ग पर कार्य कर रहे चालक व परिचालक के हिसाब से ओवरटाइम पूरी तरह से खोलना चाहिए। सरकार ने इसके लिए यूनियन और विभाग से सुझाव मांगे हैं। हरियाणा रोडवेज संयुक्त कर्मचारी संघ सरकार से मांग भी करता है की इन सभी तथ्यों के आधार पर ही नई ओवरटाइम पॉलिसी में संशोधन किया जाए।
साभार: हिन्दुस्थान समाचार