रोहतक: अतिरिक्त जिला एंव सत्र न्यायाधीश गगनदीप कौर की अदालत ने बहुचर्चित जाट अखाड़ा हत्याकांड में मुख्य दोषी सुखविंद्र कोच को फांसी की सजा सुनाई है. इस मामले में अदालत ने दोषी को हथियार देने वाले दोषी को तीन साल की सजा सुनाई है. अदालत ने मामले को जघन्य मामला है और अदालत ने फैसला सुनवाते हुए टिप्पणी भी की है. दोषी ने अखाडा हत्याकांड में एक बच्चे सहित सात लोगों को गोली मारी थी, जिसमें छह लोगों की मौत हो गई थी.
जाट कॉलेज स्थित अखाड़ा में मुख्य कोच मनोज मलिक, उनकी पत्नी साक्षी मलिक, गांव मांडोठी निवासी कोच सतीश, गांव मोखरा निवासी प्रदीप व महिला पहलवान यूपी की मथुरा निवासी पूजा तोमर को गोली मार दी थी. इस मामले में पुलिस ने सुखविंदर कोच को आरोपी बनाया था. पीड़ित पक्ष के वकील जय हुड्डा ने बताया कि जाट कॉलेज अखाड़ा के सीनियर कोच मनोज मलिक व उसकी पत्नी साक्षी मलिक ने आरोपी कोच सुखविंदर को उसके खिलाफ मिल रही शिकायतों के कारण उसे अखाड़ा में आने से मना किया था. मनोज मलिक जाट कॉलेज में डीपी के पद पर कार्यरत थे, कॉलेज के पीछे बना अखाड़ा भी मनोज की देखरेख में चलता था. इसी अखाड़ा में सुखविंदर भी कोचिंग देता था. वारदात के करीब 5 माह पहले दो महिला खिलाडियों ने मनोज से सुखविंदर की शिकायत की थी.
शिकायत मिलने के बाद मनोज ने सुखविंदर को मना कर दिया था कि वह कोचिंग देने अखाड़ा में न आए. इसी रंजिश के चलते मनोज और साक्षी की हत्या की गई थी. इनके तीन साल के बेटे सरताज की किसी के साथ कोई दुश्मनी नहीं थी, लेकिन उसके सिर में भी गोली मारी गई थी, जो आंख से आर-पार हो गई थी. सरताज 4 दिन तक अपनी जिंदगी की लड़ाई लड़ता रहा और बाद में दम तोड़ गया था.
गांव मोखरा का रहने वाला प्रदीप मलिक अखाड़ा में कभी-कभी कोचिंग देने के लिए आता था. वह रेलवे में टीटी था और समय मिलने पर अखाड़ा में आता था. पहले इसी अखाड़ा में सुखविंदर ने उसे ट्रेनिंग दी थी. लेकिन कुछ समय से प्रदीप और दूसरे कोच सतीश में नजदीकियां बढ़ गई थीं और सुखविंदर की अनदेखी शुरू हो गई थी.
मनोज व साक्षी ने सुखविंदर को अखाड़ा में आने से रोक दिया था. अमरजीत मेहर सिंह अखाड़ा में कोचिंग देते थे. इनसे पहले यहां सुखविंदर प्रैक्टिस करवाता था. शिकायत मिलने के बाद सुखविंदर को हटा दिया गया था और अमरजीत कोचिंग देने लगे थे. सुखविंदर ने अमरजीत को अखाड़ा में कोच बनने से मना किया था, लेकिन अमरजीत नहीं माना. यही रंजिश उसके मन में पल रही थी. वारदात वाली शाम सुखविंदर ने अमरजीत को मेहर सिंह अखाड़ा से फोन करके बुलाया था और उसे गोली मार दी थी. गोली मुंह से आर-पार हो गई थी. करीब 10 दिन के इलाज के बाद वह सकुशल घर लौट गए थे.
साभार: हिन्दुस्थान समाचार