चंडीगढ़: हरियाणा के शहरों एवं कस्बों में सड़कों पर घूम रहे लावारिस गौवंश को हटाने के लिए अब विशेष मुहिम चलेगी. राज्य सरकार ने गौसेवा आयोग को इसके लिए अगले दो महीने विशेष अभियान चलाने को कहा है.
गुरुवार को विधानसभा में कालका से कांग्रेस विधायक प्रदीप चौधरी के उठाए गए सवाल पर शहरी स्थानीय निकाय मंत्री डॉ. कमल गुप्ता ने कहा कि सरका ने गौसेवा आयोग से सभी शहर और कस्बों से लावारिस गौवंशों को हटान के लिए एक अभियान चलाने के निर्देश हैं.
सदन में प्रदीप ने कहा कि लावारिस पशुओं के सड़कों पर होने की वजह से हादसे हो रहे हैं. लोगों की जान भी जा रही है. उन्होंने आरोप लगाया कि पंचकूला के कोट गांव में नंदीशाला का उदघाटन जल्दबाजी में किया गया। यह पूरी भी नहीं हुई थी. इसमें जलभराव की भी समस्या रहती है. इस वजह से अब सरकार इस शिफ्ट करने की योजना बना रही है. उन्होंने पशुओं की वजह से दुर्घटनाओं का शिकार होने वाले लोगों को मुआवजा देने का मामला भी सदन में उठाया. इस पर स्पीकर ज्ञानचंद गुप्ता ने कहा कि अकेले पंचकूला जिले में चार नई गौशालाएं और एक नंदीशाल स्थापित की है. दो हजार के लगभग गौवंश को सड़कों से हटाया है.
वहीं निकाय मंत्री ने सदन में स्वीकार किया कि लावारिस पशुओं को पूरी तरह से सड़कों को हटाने का काम अभी तक नहीं हो पाया है. सरकार इसके लिए काफी गंभीर है. मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने पिछले बजट में गौसेवा आयोग का बजट भी चालीस करोड़ से बढ़ाकर चार सौ करोड़ रुपये किया. उन्होंने कहा कि गौशालाओं व नंदीशालाओं में रखे गए गौवंश के उपचार का भी सरकार ने प्रबंध किया हुआ है.
सदन में प्रश्नकाल के दौरान सढ़ौरा से कांग्रेस के सदस्य रेणु बाला ने अनुसूचित जातियों और उनके विकास प्राधिकरणों के लिए स्पेशल कम्पोनेंट प्लांट अधिनियम को लागू की मांग उठाई. उन्होंने आरोप लगाया कि इन वर्गों के लिए जारी होने वाला पैसा खर्च नहीं होता. यह पैसा या तो लेप्स हो जाता है या फिर अन्य योजनाओं में खर्च कर दिया जाता है. उन्होंने उड़ीसा और आंध्र प्रदेश की तर्ज पर विकास प्राधिकरण का गठन करने की मांग की. जवाब में सहकारिता मंत्री डॉ. बनवारी लाल ने कहा कि प्राधिकरण का गठन करने के बाद सरकार 20 प्रतिशत से अधिक पैसा खर्च नहीं कर सकेगी. वर्तमान में इससे अधिक पैसा खर्च किया जा रहा है.
साभार: हिन्दुस्थान समाचार