चंडीगढ़: हरियाणा के सरकारी अस्पतालों में तैनात डाक्टर मरीजों को प्राइवेट अस्पतालों में रैफर कर रहे हैं. यही नहीं बहुत से डाक्टर सरकारी डयूटी समाप्त होने के बाद उन्हीं प्राइवेट अस्पतालों में जाकर मरीजों का इलाज कर रहे हैं.
स्वास्थ्य महानिदेशक ने बुधवार को प्रदेश के सभी सिविल सर्जनों को एक पत्र जारी करके मरीजों को रेफर करने और सरकारी डॉक्टरों के प्राइवेट अस्पतालों में कार्य करने के मामले की जांच के आदेश दे दिए हैं. निदेशालय ने प्रदेश में कुल 60 डाक्टरों के खिलाफ जांच के आदेश दिए हैं. स्वास्थ्य विभाग की अंदरूनी जांच में सामने आया है कि प्रदेश में बहुत से डाक्टर ऐसे हैं, जिनका अपने अस्पताल में आने वाले मरीजों के साथ व्यवहार ठीक नहीं है. विभाग ने ऐसे छह डाक्टरों के खिलाफ जांच के आदेश दिए हैं. कई डाक्टरों की प्राइवेट अस्पतलों के साथ सैटिंग है. जिसके चलते वह मरीजों को प्राथमिक उपचार देने के बाद वहां रैफर कर देते हैं. यही नहीं कुछ जगहों पर तो यह बात भी सामने आई कि रैफर करने वाले डाक्टर खुद प्राइवेट अस्पतालों में जाकर उन्हीं मरीजों का इलाज करते हैं, जिन्हें सरकारी अस्पताल से भेजा जाता है. ऐसे 12 डाक्टरों के खिलाफ जांच के आदेश दिए गए हैं.
स्वास्थ्य विभाग की जांच में यह बात सामने आई कि प्रदेश में 40 के करीब डाक्टर ऐसे हैं, जिनके पति, पत्नी या अन्य परिजन प्राइवेट अस्पताल चला रहे हैं. यह अस्पताल उन्हीं शहरों में चलाए जा रहे हैं जहां उनके परिजन सरकारी अस्पतालों में तैनात हैं. यह डाक्टर डयूटी टाइम के बाद न केवल अपने परिवारजनों के अस्पतालों में जाकर प्रैक्टिस करते हैं बल्कि सरकारी अस्पताल में आने वाले मरीजों को भी जांच के लिए वहीं पर बुलाते हैं. स्वास्थ्य विभाग द्वारा ली गई रिपोर्ट में पता चला है कि 11 सामान्य अस्पतालों में अल्ट्रासांउड की सुविधा नहीं है. इसके अलावा 25 सामान्य अस्पतालों में एमआरआई की सुविधा नहीं है.
सिविल अस्पताल दादरी में कुछ डाक्टर समय पर नहीं आते हैं. इसके लैब टेक्निशियनों द्वारा मरीजों को टेस्ट करवाने के लिए ऐसी प्राइवेट लैब में भेजा जाता है जो सरकार से अप्रवूड नहीं है. गुरुग्राम जिले के अंतर्गत आते सिविल अस्पताल सोहना में सुविधाओं की कमी के चलते डाक्टरों द्वारा मरीजों को गुरुग्राम में रैफर किया जाता है. पलवल के अस्पताल में डाक्टरों द्वारा आप्रेशन करने की एवज में पैसे लिए जाते हैं. सर्वे रिपोर्ट में सामने आया है कि फरीदाबाद अस्पताल के डाक्टरों द्वारा जो दवाईयां लिखी जाती हैं वह अस्पताल में नहीं हैं. मरीजों को दवाईयां बाहर से खरीदनी पड़ती हैं. स्वास्थ्य विभाग द्वारा सिविल सर्जनों को भेजी गई रिपोर्ट में कुछ ऐसे डाक्टरों का नाम भी दिया गया है जो पैसे लेकर एमएलआर काट रहे हैं. महानिदेशक स्वास्थ्य सेवाएं हरियाणा के संयुक्त निदेशक (प्रशासन) द्वारा भेजे गए इस पत्र में सभी सिविल सर्जनों से दो दिन के भीतर कार्रवाई रिपोर्ट मांगी गई है.
साभार: हिन्दुस्थान समाचार