हिसार: हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के मौलिक विज्ञान एवं मानविकी महाविद्यालय के माइक्रो-बायोलॉजी विभाग की वैज्ञानिक डॉ. कमला मलिक को पराली प्रबंधन पर उत्कृष्ट कार्य करने पर फिनलैंड की ल्यूट विश्वविद्यालय ने प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया है. विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बीआर कम्बोज ने उन्हें बधाई दी.
विश्वविद्यालय की वैज्ञानिक डॉ. कमला मलिक ने फिनलैंड की ल्यूट विश्वविद्यालय एवं फोटम कंपनी की संयुक्त परियोजना के तहत हरियाणा के 11 जिलों, जिनमें अंबाला, फतेहाबाद, हिसार, जींद, कैथल, करनाल, कुरूक्षेत्र, पानीपत, सिरसा, सोनीपत व यमुनानगर शामिल है, में पराली प्रबंधन के लिए इन जिलों का सर्वें कर रिपोर्ट तैयार की है. उपरोक्त परियोजना का उद्देश्य फसल अवशेषों का डेटाबेस तैयार करना, अवशेषों की रासायनिक संरचना एवं तत्विक गुणवत्ता परखना, फसल अवशेष (पराली) के मूल्यवर्धक और उपयोगी उत्पाद बनाकर व आर्थिक स्थिति को प्रोत्साहन देना था. इस परियोजना में ल्यूट विश्वविद्यालय से प्रोफेसर जारको लिवनन और डॉ. ऐना हैरी ने भी अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा की. इस परियोजना से यह लाभ होगा कि हरियाणा में पराली से उत्पन्न चुनौतियों व पराली अवशेषों को जलाने से संबंधित समस्त समस्याओं के निदान के लिए भविष्य में योजना बनाने में मदद मिलेगी.
इस परियोजना में ल्यूट विश्वविद्यालय, फिनलैंड से आई डॉ. ऐना हैरी ने हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय और फसल अवशेषों से संबंधित प्रक्षेत्रों का दौरा किया. जहां पाया कि धान की पूसा 1401 किस्म की पराली में सैलुल्लोस की मात्रा अधिक (लगभग 42 प्रतिशत) है. इसी प्रकार पूसा 1121 किस्म में हैमि सैलुल्लोस की मात्रा ज्यादा पाई गई, जोकि बायो इथिनोल, पल्प व पेपर और बायो गैस व खाद तैयार करने के लिए उत्तम है.