चंडीगढ़, 14 दिसंबर (हि.स.)|
हरियाणा के उच्चतर शिक्षा मंत्री मूलचंद शर्मा ने कहा कि नई शिक्षा नीति-2020
का मुख्य उद्देश्य ‘भारत को एक वैश्विक ज्ञान महाशक्ति बनाना है’. उन्होंने कहा कि प्रदेश के मुख्यमंत्री मनोहर लाल का लक्ष्य इस नीति
को 2025 तक लागू करने का है.
मूलचंद शर्मा ने यह बात गुरुवार को चंडीगढ़ में राष्ट्रीय शिक्षा
नीति-2020 पर राज्य स्तरीय क्रियान्वयन समिति की बैठक के
दौरान कही. उन्होंने कहा कि आज भारत 21वीं सदी की जरूरतों के मुताबिक नई व्यवस्थाएं बना रहा है और राष्ट्रीय
शिक्षा नीति-2020 पहुंच, समानता,
गुणवत्ता, सामथ्र्य और जवाबदेही के पांच
आधार स्तंभों को ध्यान में रखकर बनाई गई है. राष्ट्रीय
शिक्षा नीति एक समावेशी और प्रेरक नीति है, जिसका
उद्देश्य भारत में शिक्षा प्रणाली का सुधार और परिवर्तन करना है. नई नीति रोजगार क्षमता से उद्यमिता की ओर बदलाव को दर्शाती है और यह
नौकरी चाहने वालों के बजाय नौकरी पैदा करने वालों को आगे बढ़ाने का प्रयास करती है.
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने नई राष्ट्रीय
शिक्षा नीति-2020 को दिशा देने का कार्य किया था. मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति की महत्वता को
समझते हुए इस नीति को वर्ष 2030 की बजाए वर्ष 2025
तक ही पूरे प्रदेश में लागू करने का लक्ष्य रखा है. स्नातक शिक्षा में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस, थ्री-डी
मशीन, डेटा-विश्लेषण, जैवप्रौद्योगिकी
आदि क्षेत्रों के समावेशन से अत्याधुनिक क्षेत्रों में भी कुशल पेशेवर तैयार होंगे
और युवाओं की रोजगार क्षमता में वृद्धि होगी.
शर्मा ने कहा कि प्रदेश में नई शिक्षा नीति-2020 को 30 अगस्त,2021 को
लागू किया गया था. इसका एक लक्ष्य वर्ष 2030 तक उच्चतर शिक्षा में लड़कियों का सकल नामांकन अनुपात 50 प्रतिशत से अधिक करना है. इस दिशा में भी
हरियाणा प्रदेश काफी आगे है. हमारे यहां लड़कियों का सकल
नामांकन अनुपात 32 प्रतिशत है.
हम 2030 से बहुत पहले ही 50 प्रतिशत
के लक्ष्य को प्राप्त कर लेंगे.
बैठक में उच्चतर व तकनीकी शिक्षा विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव
आनंद मोहन शरण, हरियाणा राज्य उच्चतर शिक्षा परिषद के
अध्यक्ष डॉ. के.सी. शर्मा और विभिन्न विश्वविद्यालयों के कुलपति व रजिस्ट्रार के
अलावा अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे.