सर्दी शुरू हो चुकी है और रात का तापमान भी कम होने लगा है. लेकिन जिला मुख्यालय पर ही प्रशासन ने बेसहारा लोगों के लिए रैन बसेरे की व्यवस्था नहीं की है. बेसहारा लोग ठंड में खुले में सोने को मजबूर हैं. नगर परिषद कार्यालय की पुरानी बिल्डिंग में पहली मंजिल पर प्रशासन द्वारा रैन बसेरा बनाया जाता है लेकिन मौजूदा हाल ये है कि यहां पर बिस्तर धूल फांक रही हैं.
हालात ऐसे हैं कि एक साल से यहां झाड़ू भी नहीं लगी होगी. ये ही नहीं प्रशासन ने रैन बसेरा को लेकर नोडल अधिकारी भी नियुक्त नहीं किए हैं. इसके अलावा न ही धर्मशालाओं को निर्देश जारी किए गए हैं. इसको लेकर पड़ताल की गई जिसमें सामने आया कि जिला मुख्यालय पर तैयारियां शून्य है. अफसर और कर्मचारी इससे बेखबर हैं. आम दिनों की तरह रात के समय भी रैन बसेरा को जाने वाले गेट पर ताला लटका रहता है. नगर परिषद कार्यालय में पहली मंजिल पर रैन बसेरा के लिए जगह निर्धारित है. यहां पर पड़ताल की गई तो सामने आया कि दोनों कमरों में चारपाई और बिस्तरों पर धूल फांक रही थी.
शहर के बीघड़ रोड पर दुर्गा मंदिर के सामने दुकानों के शटर के आगे दो व्यक्ति खुले में ही सोए हुए मिले. ये ही हालात लेबर शेड के पास मिले. यहां भी एक व्यक्ति खुले में सोया हुआ था.
शहर के पुराना बस स्टैंड के सामने बने क्यू शेल्टर में एक व्यक्ति सोया हुआ मिला. व्यक्ति ने बताया कि उसे वह बठिंडा से आया था और उसे करनाल जाना है लेकिन यहां से उसे बस नहीं मिली. रात के समय धर्मशाला और रैन बसेरा न होने के कारण यहां सोने को मजबूर है.
नगर परिषद द्वारा पहली मंजिल पर रैन बसेरा की जगह निर्धारित कर रखी है. यहां पर जब रात को पड़ताल की तो जाने का रास्ता ही बंद मिला. गेट को ताला लटका हुआ था.
ईओ नगर परिषद अधिकारी ऋषिकेश चौधरी के अनुसार रैन बसेरा को लेकर सफाई और कंबल लेने के निर्देश दे दिए गए हैं. रैन बसेरा को लेकर दिक्कत नहीं आने दी जाएगी.