Haryana Politics: लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Election 2024) के परिणाम 4 जून को आ चुके हैं, नतीजे आने के बाद से कई सारे राज्यों में राजनीति का रुख बदलते हुए देखने को मिला है. ठीक इसी बीच हरियाणा राज्य में सियासी हलचले देखने को मिल रही है. जहां 2019 में हुए आम चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने सभी 10 लोकसभा सीटे जीती थी, लेकिन 2024 में हुए चुनाव में भाजपा ने केवल 5 ही सीटें हासिल की है. वहीं दूसरी और लोकसभा चुनाव के बीच हरियाणा राज्य में तीन निर्दलीय सांसदों ने समर्थन ने वापस ले लिया था. जिसके कारण हरियाणा सरकार यानि भाजपा सरकार अल्पमत में आ चुकी है. ऐसे में अपनी सरकार को बचाने के लिए सीएम नायब सैनी और पूर्व सीएम मनोहर लाल खट्टर जननायक जनता पार्टी के विधायकों को अपनी पार्टी में लाने के लिए जुटी हुई है. 4 जून को लोकसभा चुनाव के परिणाम के साथ-साथ करनाल उप-चुनाव के परिणाम भी आ गए थे, जिसमें सीएम नायब सैनी से करनाल विधानसभा सीट से जीत हासिल की है.
जजपा के विधायक दुष्यंत चौटाला के नेतृत्व से नाखुश
अक्टूबर महीने में हरियाणा राज्य में विधानसभा के चुनाव आयोजित किए जाएंगे. ऐसे में हरियाणा सरकार अपनी सत्ता को बनाए रखने के लिए जजपा के विधायकों को अपनी पार्टी में जुटाने में लगी हुई है. दरअसल मार्च महीने में जजपा और बीजेपी का गठबंधन टूट गया था जिसके बाद जजपा पार्टी के प्रमख दुष्यंत चौटाला ने दिल्ली कार्यालय में अपने 10 विधायकों के साध मीटिंग बुलाई थी, जिसमें केल 5 ही विधायक शामिल हुए थे. बाकि के 5 विधायक इस मीटिंग में शामिल नहीं हुए. तभी से यह कयास लगाए जा रहे हैं कि जजपा के ये 5 विधायक सैनी सरकार के साथ मिल गए हैं.
जानें क्या है हरियाणा का राजनीति समीकरण
हरियाणा राज्य में कुल विधानसभा की सीट 90 हैं, जिसमें से फिलहाल 88 सदस्य हैं. बहुमत पाने के लिए सरकार को 45 सीटे चाहिए होती है. हरियाणा सरकार के पास अभी 43 विधायकों का समर्थन है. बीजेपी को राज्य में सरकार बनाने के लिए 2 विधायकों की कमी है, लेकिन हरियाणा सरकार ने 47 विधायकों के समर्थन होने का दावा किया है. परंतु सीएम सैनी ने सीएम पद हाासिल करने के बाद 13 मार्च को बहुमत साबित किया था, जिसके चलते आने वाले छह महीने यानि सिंतबर तक नायब सरकार को किसी तरह का कोई संकट नहीं हैं.
इसे पहले तीन निर्दलीय विधायकों ने बीजेपी पार्टी से अपना समर्थन वापस लेकर कांग्रेस को देने का फैसला लिया था.