Haryana Lok Sabha Seats: हरियाणा (Haryana) राज्य में लोकसभा चुनाव 2024 (Lok Sabha Election 2024) को लेकर तैयारियां पूरे जोरो-शोरों से चल रही है. लोकसभा चुनावों को लेकर हरियाणा का मैदान पूरी तरह से तैयार हो चुका है. 25 मई यानि छठे फेज में हरियाणा के सभी 10 लोकसभा सीटों पर चुनाव किए जाएंगे. चुनाव होने से कुछ समय पहले ही राज्य का सीएम बदल दिया गया था. इसके अलावा राज्य की कुछ लोकसभा सीटें ऐसी है, जिसमें काफी लंबे समय से परिवारों का वर्चस्व देखने को मिल रहा है.
प्रदेश में मुख्य रुप से चार पार्टियां चर्चा में रही है. कांग्रेस, बीजेपी, जजपा और इनेलो. मनोहर लाल खट्टर के सीए रहने तक बीजेपी और जजपा का महागठबंधन देखने को मिला था, लेकिन जैसे ही मनोहर लाल ने सीएम पद को छोड़ा, दोनों पार्टियों के बीच का रिश्ता भी खत्म हो गया. लेकिन इस सब राजनीति के उलट-पलट के बाद भी लोकसभा की कुछ निर्वाचन सीटों पर इन नेताओं ने परिवारवाद को बढ़ावा दिया है, साथ ही जनता ने इन्हें खूब सरहाया भी है.
इस आर्टिकल में आपको हरियाणा की इन 6 लोकसभा सीटों के इतिहास के बारे में पता चलेगा, जिसमें शुरुआत से ही परिवारों का वर्चस्व रहा है. तो आइए, जानें कौन-सी हैं वे लोकसभा की सीटें.
सिरसा में पिता-बेटी की जोड़ी ने मचाई धमाल
सिरसा (Sirsa) हरियाणा की 10 लोकसभा क्षेत्रों में से एक है. इस सीट में पिता और बेटी की जोड़ी ने खूब धूम मचाया है. साथ ही यहां के जनता ने इनके कामों को खूब पसंद भी किया है. कांग्रेस पार्टी से चौधरी दलबीर सिंह (Chaudhary Dalbir Singh) इस सीट से चार बार सांसद रहे. वहीं उनकी बेटी कुमारी सैलेजा (Selja Kumari) ने दो बार चुनाव में उतरकर इस सीट पर जीत हासिल की.
कुरुक्षेत्र की सीट में पिता – बेटे ने बनाई रखी अपनी पकड़
महाभारत में कौरव और पांडवों के युद्ध से मशहूर कुरुक्षेत्र (Kurukshetra) सीट पर पिता और बेटे की जोड़ी ने अपनी जगह कायम रखी हुई है. दोनों पिता और बेटे मशहूर उद्योगपति होने के साथ-साथ राजनीति में भी अच्छी पकड़ है. साल 1996 में ओपी जिंदल (O.P. Jindal) कुरुक्षेत्र के सांद बने. उसके बाद 2009 में उनके बेटे नवीन जिंदल (Naveen Jindal) ने यह सीट ले ली. 10 साल कांग्रेस पार्टी के नेतृत्व में नवीन जिंदल दो बार लोकसभा सीट से सांसद चुने गए. उसके बाद 24 मार्च , 2024 को उन्होंने कांग्रेस पार्टी से इस्तीफा देकर बीजेपी (BJP) में शामिल हो गए. इस बार वह कुरुक्षेत्र सीट से दोबारा प्रत्याशी के रुप में चुने गए है.
गुरुग्राम लोकसभा सीट पर राव परिवार का परिवारवाद
गुरुग्राम (Gurugram) जिसे पहले महेंन्द्रगढ़ लोकसभा सीट के नाम से भी जाना जाता था. इस सीट से पिता ने 3 बार, तो वहीं बेटे ने 5 बार जीत हासिल कर सीट पर अपना दबदबा बनाए रखा. लंबे समय से कांग्रेस पार्टी में अपने पिता राव बीरेन्द्र सिंह (Rao Birender Singh) का साथ दे रहे राव इंद्रजीत ( Rao Inderjit Singh) ने 2014 में भारतीय जनता पार्टी की सदस्यता ग्रहण कर ली थी. इस बार होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए एक बार गुरुग्राम लोकसभा सीट से राव इंद्रजीत को मैदान में उतारा गया है.
हिसार में दिखा दो परिवारों का राज
लोकसभा सीटों में हिसार लोकसभा सीट पर दो परिवारों की पिता-बेटे की टीम को जनता का खूब आशीर्वाद मिला है. यह हरियाणा की सभी लोकसभा सीटों में से एकमात्र सीट हैं, जहां पर पिता -पुत्र ने चुनाव जीत कर सांसद बने और सीट को अपने पास ही रखा. जहां एक तरफ हरियाणा के पूर्व सीएम भजनलाल ने साल 2009 में सांसद बने फिर उनके पुत्र कुलदीप बिशन्नोई सांसद बने. लेकिन इस बार बीजेपी ने कुलदीप बिश्नोई की टिकट काट रणजीत चौटाला को मैदान में उतारा है. इसके अलावा इस सीट पर चौधरी बीरेन्द्र सिंह और उनके बेटे बृजेन्द्र सिंह (Brijendra Singh) भी लंबे समय तक सासंद रह चुके हैं.
रोहतक सीट पर हुड्डा परिवार की तीन पीढ़ियां
रोहतक सीट पर हुड्डा परिवार की तीन पीढ़ियों के नेता एक के बाद एक सामने आते रहे. रोहतक लोकसभा सीट (Lok Sabha Seat) हरियाणा की वीआईपी सीटों में से एक है. इस सीट पर चौधरी रणबीर सिंह हुड्डा (Ranbir Singh Hooda) दो बार (1951, 1957), उनके बेटे भूपेन्द्र सिंह हुड्डा चार बार (1991, 1996, 1998, 2004) और उनके पोते दीपेन्द्र सिंह हुड्डा (Deepender Singh Hooda) तीन बार (2005, 2009, 2014) सांसद बन चुके हैं. लेकिन 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में बीजेपी के सांसद अरविंद कुमार शर्मा (A. K. Sharma) ने इन्हें हरा कर यह सीट अपने नाम कर ली.
भिवानी सीट पर चौधरी बंसीलाल (Chaudhary Bansilal) के परिवार का वर्चस्व
भिवानी सीट पर पूर्व सीएम (4 बार) और कांग्रेस नेता चौधरी बंसीलाल (Chaudhary Bansilal) तीन बार (1980, 1984, 1990) सांसद बने थे. उसके बाद इस सीट पर इनके बेटे सुरेन्द्र सिंह ( Surendra Singh) दो बार (1996, 1998) में सांसद बने थे. लेकिन सुरेन्द्र की मौत के बाद इस सीट पर उनकी बेटी श्रुति (2009) में सांसद बनी थी. कयास लगाए जा रहे हैं इस बार भी कांग्रेस पार्टी (Congress Party) से इस सीट पर श्रृति के नाम हो सकता है. लेकिन अभी तक कांग्रेस ने किसी भी उम्मीदवारों के नामों की घोषणा नहीं की है.