चंडीगढ़: हरियाणा व हिमाचल के बीच चल रहे अंतरराज्जीय विवाद अब समाप्त होने की दिशा में हैं. दोनों राज्यों के मुख्य सचिवों की अध्यक्षता में बुधवार को चंडीगढ़ में हुई बैठक में कई मुद्दों को लेकर सहमति बन गई है.
चंडीगढ़ में मुख्य सचिव स्तर की वार्ता में हरियाणा की ओर से मुख्य सचिव संजीव कौशल और हिमाचल प्रदेश की ओर से वहां के मुख्य सचिव प्रमोद सक्सेना ने भागीदारी की. सिंचाई, वित्त और बिजली विभाग के अधिकारी भी इस बैठक में शामिल हुए. हिमाचल की सीमा पर बनाए जाने वाले किशाऊ बांध के निर्माण में तकनीकी व कानूनी बाधाओं को दूर करने पर दोनों राज्यों में सहमति बनी है. केंद्र सरकार के सहयोग से हरियाणा और हिमाचल प्रदेश की सरकारों के किशाऊ बांध बनवाना है, जो 5400 एकड़ जमीन में बनेगा और उस पर सात से आठ हजार करोड़ रुपये की लागत आएगी. किशाऊ बांध के निर्माण में आ रही बाधाओं को दूर करने हेतु दोनों राज्यों की कमेटियां बनाने पर सहमति हुई है.
बैठक में हरियाणा की ओर से कहा गया कि यदि किशाऊ डैम बन जाए तो हथनीकुंड बैराज से क्रास होने वाला पानी रोका जा सकेगा. पहाड़ों से आने वाला 65 प्रतिशत पानी अलग-अलग चैनलों के माध्यम से कवर हो जाता है, लेकिन बाकी बचे 35 प्रतिशत पानी को कवर करने के लिए किशाऊ डैम का जल्दी बनना जरूरी है. इससे यमुना में आने वाली बाढ़ को भी रोकने में मदद मिलेगी तथा बरसात व बाढ़ के दिनों में अतिरिक्त पानी दिल्ली जाने से रोका जा सकेगा, जो वहां नुकसान करता है.
हिमाचल प्रदेश के मुख्य सचिव की ओर से कहा गया कि पीजीआई चंडीगढ़ समेत यहां सरकारी व निजी चिकित्सा संस्थानों में हिमाचल प्रदेश के हजारों-लाखों लोग इलाज के लिए आते हैं, लेकिन उनके रुकने का इंतजाम नहीं होता. चंडीगढ़ में ऐसे मरीजों व उनके तीमारदारों के लिए रुकना काफी खर्चीला होता है. इसलिए हिमाचल प्रदेश की सरकार चंडीगढ़ या पंचकूला में एक भवन का निर्माण करना चाहती है, जिसमें लोग रुक सकें. हिमाचल प्रदेश के मुख्य सचिव ने कहा कि हमारे अधिकारियों की टीम ने पंचकूला में तीन से चार जगह चिन्हित की हैं. इन जमीनों के प्रस्ताव हिमाचल प्रदेश की सरकार की ओर से हरियाणा सरकार को दे दिए जाएंगे. तब हरियाणा सरकार किसी एक जगह को मंजूरी प्रदान कर सकती है.
बैठक में किशाऊ डैम में बनने वाली बिजली की खरीद की इच्छा हरियाणा सरकार ने जताई है, जिस पर हिमाचल प्रदेश की ओर से कहा गया कि तब के मानदंडों के हिसाब से समझौता होने पर हमें कोई ऐतराज नहीं है. इस डैम से हरियाणा पांच सौ से छह सौ मेगावाट तक बिजली खरीद की इच्छा रखता है. बैठक में तय हुआ कि अंतरराज्यीय मसलों के समाधान के लिए दोनों राज्य सरकारों की ओर से लिखित प्रस्ताव और प्रतिवेदनों का आदान प्रदान किया जाए, ताकि उन पर विधिवत रूप से आगे बढ़ा जा सके.
साभार:हिन्दुस्थान समाचार