हिंदी फिल्मों ने बॉक्स ऑफिस पर
जबरदस्त वापसी की है। जवान, पठान और गदर-2 की जोरदार कमाई के बाद हाल ही में रिलीज हुई ‘एनिमल’ और ‘सैम बहादुर’
ने भी बॉक्स ऑफिस पर अच्छा प्रदर्शन किया है। ‘एनिमल’ ने 800 करोड़ से ज्यादा
की कमाई कर ली है और ‘सैम बहादुर’ भी 100 करोड़ के क्लब में शामिल हो गई है।
बॉक्स ऑफिस की इस प्रतिस्पर्धा से अन्य कई छोटी फ़िल्में भी प्रभावित हुई हैं।
मनोज बाजपेयी की फिल्म ‘जोरम’ 8 दिसंबर को रिलीज
हुई थी, लेकिन उनका
मानना है कि बॉक्स ऑफिस पर ‘एनिमल’ और ‘सैम बहादुर’ के बीच प्रतिस्पर्धा में
‘जोरम’ को दर्शकों ने पूरी तरह से नजरअंदाज कर दिया। मनोज ने कहा, “रिकॉर्ड बनाने
की आवश्यकता ने निर्देशकों और निर्माताओं को मनी माइंडिड बना दिया है। मैंने हमेशा
बॉक्स ऑफिस के प्रति जुनून के खिलाफ बोला है। मेरा हमेशा से मानना रहा है कि इसने
हमारे देश में फिल्म निर्माण की संस्कृति को बर्बाद कर दिया है। लोगों के चेहरे पर
नंबर फेंकना सही बात नहीं है।”
उन्होंने आगे कहा, “जब बातचीत चल रही होती है तो लोग
फिल्मों के रेवेन्यू के आंकड़ों का भी जिक्र करते हैं, उन्हें लगता है
कि अगर कोई फिल्म 100 करोड़ कमाती है तो यह एक अच्छी फिल्म है। यह दृष्टिकोण फिल्म उद्योग
के लिए बहुत खतरनाक है। इस एक चीज की वजह से फिल्म इंडस्ट्री के कई लोगों की
रचनात्मकता और सोच को काफी नुकसान पहुंचा है।”
मनोज बाजपेयी कहते हैं, “मैं जानता हूं
कि ‘एनिमल’ और ‘सैम बहादुर’ बड़े बजट की फिल्में हैं, इन पर
निर्माताओं ने भारी पैसा खर्च किया है, लेकिन हम ‘जोराम’ जैसी फिल्म को
प्रमोट करने के लिए इतना पैसा खर्च नहीं कर सकते, क्योंकि यह एक अलग शैली की फिल्म है।
हम इसे बढ़ावा देने के लिए केवल एक निश्चित राशि ही खर्च कर सकते हैं। हम फिल्म पर
बहुत अधिक दबाव नहीं डालना चाहते थे, क्योंकि आखिरकार अभिनेता के पास ही
इससे लाभ कमाने का असली कौशल है।”