शुक्रवार को पड़ने वाले प्रदोष व्रत को शुक्र प्रदोष व्रत के नाम से जाना जाता है. हिंदू धर्म शास्त्रों में प्रदोष व्रत को खास महत्व दिया गया है. ये व्रत सुख-समृद्धि और संपन्नता प्रदान करता है. शुक्र प्रदोष व्रत पर शिव जी-माता पार्वती के अलावा मां लक्ष्मी का प्रभाव भी रहता है.
इस व्रत को रखने वाला व्यक्ति जन्म-जन्मान्तर के फेरों से निकल कर मोक्ष मार्ग पर आगे बढता है. उसे उतम लोक की प्राप्ति होती है. जानें कार्तिक माह और नवंबर के आखिरी शुक्र प्रदोष व्रत की डेट, मुहूर्त और विधि.
शुक्र प्रदोष व्रत 2023 डेट
कार्तिक माह और नवंबर महीने का दूसरा और आखिर शुक्र प्रदोष व्रत 24 नवंबर 2023, शुक्रवार को रखा जाएगा. इस दिन प्रदोष काल यानी सूर्सास्त के बाद शिव साधना सर्वश्रेष्ठ मानी जाती है.
शुक्र प्रदोष व्रत 2023 मुहूर्त
पंचांग के अनुसार कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 24 नवंबर 2023 को रात 07.06 पर शुरू होगी और अगले दिन 25 नवंबर 2023 को शाम 05.22 पर इसका समापन होगा.
पूजा समय – रात 07.06 – रात 08.06
शुक्र प्रदोष व्रत में क्या करें
शुक्रवार के दिन होने वाला प्रदोष व्रत सौभाग्य और दाम्पत्य जीवन की सुख-शान्ति के लिए किया जाता है.
शुक्र प्रदोष व्रत करने के लिए मनुष्य को त्रयोदशी के दिन प्रात: सूर्य उदय से पूर्व उठना चाहिए. स्नानादि से निवृ्त होकर, भगवान श्री भोले नाथ का स्मरण करें. इस दिन आहार ग्रहण न करें.
पूरे दिन उपवास रखने के बाद सूर्यास्त से एक घंटा पहले, स्नान आदि कर श्वेत वस्त्र धारण किए जाते है. गाय के गोबर से लीपकर, मंडप तैयार किया जाता है.
उत्तर-पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठे और भगवान शंकर का पंचामृत से अभिषेक करें. मंत्र ‘ऊँ नम: शिवाय’ का जाप करते हुए शिव की पूजा करें. भोग लगाएं. आरती करें. फिर उसी स्थान पर बैठकर भोग ग्रहण करते हुए व्रत पारण करें.