Bhakra-Nangal Dam: हरियाणा-पंजाब दो पड़ोसी राज्य जिनमें हमेशा से पानी को लेकर एक बड़ा विवाद रहा है. हाल ही में भाखड़ा बांध के जरिए हरियाणा को मिलने वाले पानी को लेकर एक बार फिर दोनों राज्यों में बहस छिड़ चुकी है. ऐसे में भाखड़ा डैम लोगों के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है. तो आइए जानें क्या है भाखड़ा डैम का अनोखा इतिहास और इसकी खासियत.
भाखड़ा-नांगल डैम को बनाने का प्लान एक ब्रिटिश जनरल लुई डेन था. दरअसल, एक बार तेंदुआ का पीछा करते हुए लुई सतलज (सतलुज नदी) के पास पहुंचे. वहां उन्होंने पानी को बहाव को देखते हुए इसका इस्तेमाल करने का एक आइडिया आया. उन्होंने सोचा कि इस पानी का यूज कर बिजली का उत्पादन किया जा सकता है. जिसके बाद साल 1908 में जनरल लुई ने इस सुझाव को ब्रिटिश हुकुमत के सामने पेश किया, लेकिन पैसों की कमी होने की वजह से यह डैम नबीं बन पाया था.
बाद में आजादी के बाद तत्कालीन पीएम पंडित जवाहर लाल नेहरु ने इस डैम को बनाने का प्रस्ताव किया था. साल 1951 में इस डैम को बनाने का काम शुरू हुआ और साल 1963 में बांध बनकर पूरा तैयार हो गया था.
एशिया का दूसरा सबसे ऊंचा डैम
भाखड़ा-नांगल डैम पूरे एशिया में सबसे दूसरा ऊंचा बांध है. यह डैम पंजाब-हिमाचल प्रदेश की सीमा पर बना हुआ है. इस बांध की ऊंचाई 207.26 मीटर और लंबाई 168.35 किलोमीटर है. यह बांध पूरे देश में सबसे ऊंचा गुरुत्वाकर्षण डैम है.
बता दें, एशिया का सबसे ऊंचा बांध टिहरी बांध है, जो भारत के उत्तराखंड के गढ़वाल रिजीन में स्थित भागीरथी नदी पर बना हुआ है. इसकी ऊंचाई कुल 261 मीटर है.
भाखड़ा-नांगल डैम की विशेषता
भाखड़ा-नांगल डैम के गोविंद सागर जलाशय में 9.34 बिलियन क्यूबिक मीटर तक पानी को इकट्ठा करने की क्षमता है.
इस बांध का पानी दिल्ली, चंडीगढ़, पंजाब और हरियाणा समेत कई हिस्सों में बाढ़ तक ला सकता है.
जल सरंक्षण की दृष्टि से देखा जाए , तो यह बांध मध्य प्रदेश के इंदिरा सागर बांध के बाद भारत का दूसरा सबसे बड़ा जल निकाय है.
भाखड़ा बांध का मैनेजमेंट
भाखड़ा बांध के रखरखाव, प्रशासन और संचालन को बनाए रखने के लिए साल 1966 एक बोर्ड का गठन किया है, जिसका नाम भाखड़ा प्रंबधन बोर्ड (Bhakra Management Board) रखा गया. 1 अक्टूबर, 1967 में यह बोर्ड कार्य करने लगा.
इस बोर्ड में अधिकारियों की नियुक्ति भारत सरकार, पंजाब, चंडीगढ़, राजस्थान, दिल्ली और हिमाचल प्रदेश राज्यों के द्वारा नियुक्ति की जाती है.
बाद में 15 मई, 1976 को भाखड़ा प्रबंधन बोर्ड का नाम बदलकर भाखड़ा ब्यास प्रंबधन बोर्ड (BBMB) कर दिया गया. जिसका उद्देश्य ब्यास नदी पर बने बांधों का भी प्रबंधन किया जा सके.
BBM पौंग बांध, देहर जलविद्युत परियोजना, भाखड़ा बांध, गंगूवाल-कोटला विद्युत स्टेशन के विनियम और संचालन के लिए काम करता है.
भाखड़ा बांध बनने के लिए लाभ
भाखड़ा बांध बनाने का मुख्य उद्देश्य किसानों को सिंचाई में बढ़ावा देना और बिजली बनाना था. भाखड़ा-नांगल बांध बनने से होंगे ये लाभ
सिंचाई में होगी बढ़ोतरी
भाखड़ा बांध हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और राजस्थान के किसानों को सिंचाई के लिए पानी प्रदान करता है.
बिजली बनाने में मदद
भाखड़ा बांध के पानी से बिजली भी बनाई जाती है. बांध का पानी हरियाणा, पंजाब, हिमाचल प्रदेश और राजस्थान और राज्यों में बिजली दी जाती है.
बता दें, भाखड़ा बांध के हर तरफ 10 जलविद्युत जनरेटर है. पावरहाऊस के लिए यूज किए जाने वाले जनरेटर मुख्य रुप से हिताची, जापान के द्वारा प्रदान किए जाते हैं.
बांध के उल्टे तरफ स्थित बिजलीघर की क्षमता 3*108 मेगावाट और सीधी तरफ स्थित बिजलीघर की क्षमता 5*157 मेगावाट है.
पर्यटन क्षेत्र में होगी मदद
भाखड़ा बांध पर्यटकों के लिए आकर्षण का एक प्रमुख केंद्र है. यहां आने वाले पर्यटक सतलुज नदी पर बनी गोबिंद झील में जल क्रीड़ा का भरपूर आनंनद लेते हैं. बता दें, गोबिंद झील एक कृत्रिम झील है.
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