History of Sonipat: हरियाणा राज्य (Haryana Historical Places) अपनी विविध संस्कृति और इतिहास के चलते पूरे देश-दुनिया में जाना जाता है. हरियाणा के सभी जिलों का बहुत प्राचीन इतिहास रहा है. कई जिलों का तो महाभारत से भी खास संबध रहा है. ऐसे ही एक जिला सोनीपत के बारे में आज हम बात कर रहे हैं. सोनीपत को पहले ‘सोनप्रस्थ’ के नाम से भी जाना जाता था.
सोनीपत का इतिहास

सोनीपत का इतिहास बहुत पुराना है. इस नगर की स्थापना करीब 1500 ईसा पूर्व में आरंभिक आर्यो ने की थी. यह शहर यमुना नदी के किनारे बसा हुआ है. सोनीपत को स्वर्णपथ या सोनप्रस्थ के नाम से भी जाना जाता था. जिसका मतलब है सोने का पथ. कहा जाता है इसका नाम सोनीपत एक नदी सोनी से लिया गया है, जो इस शहर में बहती थी.
पौराणिक मान्यता
इस नगर का संबध महाभारत के दौर से भी जुड़ा हुआ था. जब पांडवों ने हस्तिनापुर के बदले कौरवों से पांच गांवों की मांग की थी, उन्हीं में से एक गांव सोनीपत भी था.
22 दिसंबर साल 1972, में सोनीपत को रोहतक जिले से अलग करके एक नया जिला बनाया गया था. सोनीपत में मध्यकाल के समय कई शक्तियों ने शासन किया था, जिसमें मुगल और मराठा दोनों शामिल थे. बाद में सन् 1809 में सोनीपत शहर में ब्रिटिश शासन ने भारत के आजाद होने तक इस शहर पर अपना शासन किया.
सोनीपत में कई ऐतिहासिक मंदिर-मस्जिद और गुरुद्वारे हैं, जो इसकी विविध सांस्कृतिक धरोहर को आज भी लोगों के बीच दर्शाते हैं.
सोनीपत में औद्योगीकरण की तेजी
आज के इस दौर में सोनीपत एक महत्वपूर्ण औद्योगिक और शैक्षिक केंद्र बन गया है. यहां पर कई सारे ऑटोमोबाइल के पार्टस, साइकिल बनाने की फैक्ट्री, होजरी-वस्त्रों और सिलाई मशीन के पुर्ज आदि की फैक्ट्रियां मौजूद हैं.

दिल्ली से सोनीपत की दूरी करीब 60-61 किलोमीटर पर स्थित है, जिसने सोनीपत में कच्चा माल और बिजली के स्त्रोत के रुप में मदद की है. जिससे सोनीपत में औद्योगीकरण का विकास तेजी से हुआ है.
स्वरोजगार में लोगों की रुझान बढ़ने से लघु-स्तरीय व्यवसाय करने में भी सोनीपत मशहूर हो रहा है.
सोनीपत में स्वर्णप्रस्थ संग्रहालय

सोनीपत के प्राचीन महत्व को समझाने के लिए सोनीपत में एक संग्रहालय का निर्माण किया गया था. जिसका नोम सोनीपत शहर के पुराने नाम यानि स्वर्णप्रस्थ (Swarnprastha Museum) पर रखा गया. इस संग्रहालय में सोनीपत के साथ पूरे देश की कई पुरानी वस्तुएं और शिलालेख को इकट्ठा करके संजोया गया है. इस संग्रहालय में महाभारत, रामायण और सोनीपत के प्राचीनतम प्रतीकों को भी दिखाया गया है.
रामायण के दौर में चकवाबैन मानधात्ता चक्रवर्ती सम्राट की राजधानी वर्तमान में खेड़ी गुर्जर में स्थित प्राचीन सतकुंभा मानी जाती है. उसे भी एक पेटिंग के जरिए संग्रहालय में बताया गया है.
सोनीपत में है कई ऐतिहासिक मंदिर
श्री लक्ष्मीनारायण मंदिर
सोनीपत में स्थित श्री लक्ष्मीनारायण मंदिर भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी को समर्पित है. यह मंदिर अपनी सुंदर मूर्तियों और नक्काशी के लिए लोगों के बीच खूब प्रसिद्ध है.
हनुमान मंदिर
सोनीपत शहर में हनुमान भक्तों के लिए कई सारे प्रसिद्ध मंदिर है. जहां जाकर भक्त हनुमान जी के दर्शन कर सकते हैं.
द्वारकाधीश मंदिर
सोनीपत में भगवान श्रीकृष्ण को समर्पित द्वारकाधीश मंदिर स्थित है. यह मंदिर अपनी शानदार वास्तुकला के लिए मशहूर है.
काली मंदिर
सोनीपत में काली माता का मंदिर भी स्थित है. यह मंदिर देवी काली को समर्पित है. यह मंदिर अपने धार्मिक महत्वों के कारण पूरे राज्य में प्रसिद्ध है.
बाबा धाम मंदिर

हरियाणा के सोनीपत जिले में बाबा धाम मंदिर स्थित है. यह मंदिर कामी रोड पर बना हुआ है. इस मंदिर का निर्माण साल 2005 में हुआ था. इस मंदिर को राकेश कुच्छल ने अपने पूर्वजों की याद में बनाया था.
आपको बाबा धाम में स्थित मां वैष्णो देवी के मंदिर में भगवान शिव, श्री गणेश, श्री राधा-कृष्णा , श्री गौरी शंकर, हनुमान जी और साई बाबा की मूर्ति स्थापित की गई है. बता दें, इस मंदिर में इस्कॉन पद्धति के अनुसार पूजा की जाती है.
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